शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक आणविक सेंसर विकसित किया है जो यह पता लगाकर कैंसर की दवाओं की पहचान करने में सक्षम है कि ऐसे रसायन जीवित कोशिकाओं के अंदर सूक्ष्मनलिकाएं कैसे संशोधित करते हैं.
शोधकर्ताओं/ रिसर्चर्स ने हाल ही में एक आणविक सेंसर (मॉलिक्यूलर सेंसर) विकसित किया है जो यह पता लगाकर कैंसर की दवाओं की पहचान करने में सक्षम है कि ऐसे रसायन जीवित कोशिकाओं के अंदर सूक्ष्मनलिकाएं (माइक्रोट्यूबुलेस) कैसे संशोधित करते हैं.
ये सूक्ष्मनलिकाएं साइटोस्केलेटन का हिस्सा होती हैं, जो कोशिका के कोशिका द्रव्य के भीतर एक संरचनात्मक नेटवर्क है. वे कई रसायनों की प्रतिक्रिया में बदल जाते हैं.
अनुसंधान: मुख्य विशेषताएं
• यह शोध फ्रांस के ऑर्से में क्यूरी इंस्टीट्यूट के सहयोग से इनस्टेम, बैंगलोर से भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा आयोजित किया गया था.
• इसे इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर द प्रमोशन ऑफ़ एडवांस्ड रिसर्च द्वारा वित्त पोषित किया गया, जो एक द्विपक्षीय संगठन है और जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार और फ्रांस सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है.
• शोधकर्ताओं ने जीवित कोशिकाओं में माइक्रोट्यूब्यूल संशोधनों की गतिशीलता का अध्ययन करने और नई कैंसर चिकित्सीय दवाओं की पहचान के लिए इसका उपयोग करने के लिए पहले ट्यूबुलिन नैनो/ सेंसर को विकसित करके ट्यूबुलिन संशोधनों को समझने में कमी को दूर करने का निर्णय लिया.
• शोधकर्ताओं ने सिंथेटिक प्रोटीन को डिज़ाइन किया है जिसे नैनोबॉडी के तौर पर भी जाना जाता है और जो विशेष रूप से संशोधित सूक्ष्मनलिकाओं से बंध सकते हैं.
• हालांकि नैनोबॉडी एंटीबॉडी के समान हैं जो रोगजनकों के खिलाफ मानव शरीर में मुख्य रक्षा तंत्र बनाते हैं, ये आकार में बहुत छोटे होते हैं और प्रोटीन इंजीनियरिंग के लिए आसानी से उपलब्ध हैं.
• तब नैनोबॉडी को पता लगाने वाले उपकरण या सेंसर के रूप में कार्य करने के लिए एक फ्लोरोसेंट अणु के साथ बांधा गया था.
• शोधकर्ताओं ने तब एक अद्वितीय सूक्ष्मनलिका संशोधन के खिलाफ एक जीवित सेल संवेदक/ सेंसर को विकसित किया और सत्यापित किया, जिसे सूक्ष्मनलिकाएं का टाईरोसीनेटेड रूप कहा जाता है, जो पहले से ही कोशिका विभाजन और इंट्रासेल्युलर संगठन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.
• यह शोध सेल बायोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित किया गया था.
टायरोसिनेशन सेंसर क्या है?
• टायरोसिनेशन सेंसर पहला ट्यूबुलिन नैनोबॉडी है जिसका उपयोग जीवित कोशिकाओं में सूक्ष्मनलिका संशोधनों की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है.
• इस सेंसर का उपयोग सूक्ष्म अणु को लक्षित करने वाले छोटे-अणु यौगिकों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए अनुसंधान में किया गया था. इन रसायनों को अक्सर कैंसर रोधी दवाओं के तौर पर उपयोग किया जाता है.
• इससे यह समझ पैदा हुई कि टायरोसिनेशन सेंसर सूक्ष्मनलिका संबंधी कार्यों के अध्ययन की सुविधा प्रदान करेगा और चिकित्सीय महत्त्व की नई दवाओं की पहचान करने में सहायता करेगा.
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