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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

जयपुर में महल

जयपुर की स्थापना – 18 नवम्बर, 1727 को, कच्छवाहा नरेश सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा की गई।

जयपुर की उपनाम– “भारत का पेरीस” “गुलाबी नगर” “रंग श्री को द्वीप (Island of Glory)

1. हवामहल

हवामहल 953 खिडकियों वाला महल है। हवामहल को 1799 ई. में सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया। ओर यह पांच मंजिला इस इमारत को उस्ताद लालचंद कारीगर ने बनवाया। हवामहल के मंजिलों के नाम क्रमश:- शरद मंदिर, रत्नमंदिर, विचित्र मंदिर, प्रकाश मंदिर हवा मंदिर है।

2. मुबारक महल

मुबारक महल अतिथि गृह (स्वागत महल) है। ओर मुबारक महल का निर्माण माधोसिंह ने करवाया।

3. चन्द्र महल

चन्द्र महल का निर्माण जयसिंह द्वितीय ने करवाया। ओर इसका वास्तुकार विद्याधर था।

4. सामोद भवन

सामोद भवन चैंमू (जयपुर) में स्थित है। ओर यह चित्रकला के लिए प्रसिद्ध भवन है।

5. जल महल

जल महल मानसागर झील (जयपुर) में स्थित है।

6. आमेर के महल (दीवाने– आम)

आमेर के महल का निर्माण कछवाहा राजा मानसिंह प्रथम न 1592 ई. में करवाया। ओर यह महल मावठा झील (जयपुर) के किनारे स्थित है।

7. शीश महल (दीवाने खास)

इस महल को महाकवि बिहारी ने “दर्पण धाम” कहा है।

8. एक जैसे नौ महल

यह नाहरगढ दुर्ग (जयपुर) में स्थित है।

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