मांगलिक अवसरों पर विभिन्न रंगो के माध्यम से उकेरी गई कलात्मक आकृतियां माण्डणे कहलाती है।
(ए) पगल्या
1. दीपावली के समय लक्ष्मी पूजन से पूर्व देवी के घर में आगमन के रूप में पगल्ये बनाए जाते है।
(बी) ताम
1. विवाह के समय लगन मंडप में तैयार किया गया मांडणा ताम कहलाता है।
2. यह दाम्पत्य जीवन में खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
(सी) चैकड़ी
1. होली के अवसर पर बनाए गए मांडणे जिसमे चार कोण होते है जो चारों दिशाओं में खुशहाली का प्रतीक माने जाते है।
(डी) थापा
2. मांगलिक अवसरों पर महिलाओं द्वारा घर की चैखट पर कुमकुम तथा हल्दी से बनाए गये हाथों के निशान थापे कहलाते है।
(ई) मोरड़ी माण्डणा
1. दक्षिणी तथा पूर्वी राजस्थान में मीणा जनजाति की महिलाओं द्वारा घरों में बनाई गई मोर की आकृति मोरड़ी माण्डणा कहलाती है।
2. मोर को सुन्दरता, खुशहाली तथा समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
(एफ) स्वास्तिक/सातिया/सांखिया
1. उत्तरी व पश्चिमी राजस्थान में सांखिया, तथा पूर्वी राजस्थान में सातिया कहते है।
2. मांगलिक अवसरों पर ब्राहाणों के द्वारा मन्त्रोचार से पूर्व पूजा के स्थान पर स्वास्तिक का अंकन किया जाता है।
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