▪️ मुख्य बिंदु:
ये तूफान आमतौर पर पृथ्वी के निचले वातावरण में घटित होते हैं। यह ऊपरी वायुमंडल में कभी नहीं देखा गया था। इससे पहले, स्पेस हरिकेन का अगस्त 2014 में एक पूर्वव्यापी विश्लेषण के दौरान पता चला था, जिसका नेतृत्व चीन के शेडोंग विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने किया था। इसके निष्कर्ष फरवरी 2021 में नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुए थे।
▪️ खोज के बारे में :
अमेरिका, नॉर्वे, चीन और यूनाइटेड किंगडम के वैज्ञानिकों ने रक्षा मौसम विज्ञान उपग्रह कार्यक्रम (DMSP) उपग्रहों और एक 3D मैग्नेटोस्फीयर मॉडलिंग का उपयोग करके स्पेस हरिकेन की छवि का अवलोकन किया। उत्तरी ध्रुव पर पाए गए तूफान में कई स्पाइरल भुजाओं वाले प्लाज्मा शामिल हैं। यह एक एंटीक्लॉकवाइज दिशा में घूम रहा था। इस तूफान का व्यास 1,000 किलोमीटर है, जबकि ऊंचाई में यह 110 किलोमीटर से 860 किलोमीटर तक है। इसमें 2,100 मीटर प्रति सेकंड तक की गति है।
▪️ स्पेस हरिकेन क्या है?
प्लाज्मा का घूमता द्रव्यमान जो पानी के बजाय आयनमंडल में इलेक्ट्रॉनों की बारिश करता है, उसे “स्पेस हरिकेन” कहा जाता है। इस तूफान के परिणामस्वरूप आश्चर्यजनक प्रभाव होता है जो एक विशाल, चक्रवात के आकार का चमकता हुआ हरा अरोरा होता है। खगोलविदों ने मंगल, शनि और बृहस्पति ग्रह पर स्पेस हरिकेन दर्ज किये हैं।
▪️ अध्ययन का महत्व :
स्पेस हरिकेन के अध्ययन से वैज्ञानिकों को उच्च आवृत्ति रेडियो संचार में गड़बड़ी, सैटेलाइट ड्रैग, उपग्रह नेविगेशन, ओवर-द-होराइजन रडार लोकेशन और संचार प्रणालियों में गड़बड़ी जैसे महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मौसम प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी।
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