विश्व बैंक की 'दक्षिण एशिया वैक्सीनेट्स' नाम से जारी रिपोर्ट में कहा है कि 'महामारी के चलते वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.5 से 12.5 प्रतिशत तक हो सकती है.
विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की ग्रोथ रेट 7.5 प्रतिशत से 12.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया है. विश्व बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि वृद्धि दर 10 प्रतिशत से थोड़ी ऊपर रह सकती है. विश्व बैंक ने साउथ एशिया वैक्सीनेट्स नाम की अपनी रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है.
विश्व बैंक की 'दक्षिण एशिया वैक्सीनेट्स' नाम से जारी रिपोर्ट में कहा है कि 'महामारी के चलते वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.5 से 12.5 प्रतिशत तक हो सकती है. टीकाकरण अभियान कैसे आगे बढ़ते हैं, इस पर वृद्धि दर निर्भर रहेगी.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2021-22 के दौरान भारत की विकास दर 11.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था. आईएमएफ के अनुसार, महामारी से भारत बुरी तरह प्रभावित हुआ, लेकिन कंपनियों से झटकों से उबरते हुए अब गतिविधियां शुरू कर दी हैं. इसका सकारात्मक असर विकास दर पर देखने को मिलेगा.
एजेंसी👇🇮🇳
विकास दर का अनुमान 👇🇮🇳
फिच
12.8 प्रतिशत
मूडीज
12 प्रतिशत
आईएमएफ
11.5 प्रतिशत
केयर रेटिंग्स
11-11.2 प्रतिशत
एसएंडपी
11 प्रतिशत
आरबीआई
10.5 प्रतिशत
आईएमएफ ने क्या कहा?👇🇮🇳
आईएमएफ ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से सुधार के रास्ते पर है. हालांकि, कोरोना संक्रमण के फिर से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए लागू होने वाले लॉकडाउन से सुधार को झटका लग सकता है.
आईएमएफ के प्रवक्ता गैरी राइस ने एक सम्मेलन में कहा कि कोरोना महामारी के झटकों से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर आगे बढ़ रही है. साल 2020 की चौथी तिमाही में वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि फिर से सकारात्मक हो सकती है, जो महामारी की शुरुआत के बाद पहली बार होगा. इसकी प्रमुख वजह सकल और स्थिर पूंजी में बढ़ोतरी है.
देश में कोरोना की दूसरी लहर👇🇮🇳
देश में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी है. पिछले कई दिनों से 50 हजार से अधिक केस आ रहे हैं. ऐसे में कुछ जगहों पर लॉकडाउन जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो गई हैं. लगातार बढ़ते कोरोना के मामले से एक बार फिर बाजार सशंकित है.
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