■मॉब लिंचिंग 'सामूहिक नफ़रत' से जुड़ा एक ऐसा अपराध है जिसमें एक भीड़ क़ानून के दायरे से बाहर जाकर, महज़ शक के आधार पर, किसी तथाकथित 'अपराधी' को सजा दे देती है।
दरअसल, मॉब लिंचिंग 'पहचान की राजनीति' का एक परिणाम है जिसमें कोई एक समूह या कौम किसी दूसरे कौम पर अपना प्रभुत्व थोपने की कोशिश करती है।ऐसे घटनाओं में भीड़ बहुसंख्यक लोकतंत्र के एक हिस्से के तौर पर दिखती है जहां वह ख़ुद ही क़ानून का काम करती है, खाने से लेकर पहनने तक सब पर अपना नियंत्रण जताना चाहती है।
मॉब लिंचिंग की ऐतिहासिकता----
मॉब लिंचिंग दरअसल आज से नहीं बल्कि सैकड़ों सालों से किसी न किसी रूप में हो रही है। शरुआत में, लिंचिंग जैसे जघन्य अपराध अमेरिका में देखने को मिलते थे। एक वक़्त था जब अमेरिका में नस्ल-भेद की समस्या अपने चरम पर थी। उस दौरान, यदि कोई 'गैर-श्वेत' अपराध करता था तो उसे सार्वजनिक रूप से फांसी दी जाती थी। वहां के 'श्वेत' लोगों का मानना था कि इसके ज़रिये वे 'पीड़ित' को न्याय देने का काम कर रहे हैं।
क्यों हो रही हैं ऐसी घटनाएँ?
1.नफ़रत की राजनीति: नफ़रत की राजनीति हिंसात्मक भीड़ की एक बड़ी वजह है। 'भीड़तंत्र' तो वोट बैंक के लिये प्रायोजित हिंसा या धर्म के नाम पर करवाई गई हिंसा का एक जरिया है।
2.तमाम समुदायों के बीच आपसी अविश्वास: बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच अविश्वास बढ़ता जा रहा है। एक कौम के लोग दूसरे कौम को शक के निगाह से देख रहे हैं। और फिर मौका मिलने पर वे एक-दूसरे से बदला लेने के लिये भीड़ को उकसाते हैं। सरकारी तंत्र की विफलता ऐसी घटनाओं में आग में घी का काम करता है।
3.समाज में व्याप्त गुस्सा: लोगों के मन में शासन व्यवस्था, न्याय व्यवस्था या फिर सुरक्षा को लेकर गुस्सा हो सकता है। ये गुस्सा भी इन घटनाओं को किसी न किसी रूप में बढ़ावा दे रहा है। जो कि बाद में उन्मादी भीड़ के ज़रिये देखने को मिलता है।
4.अफवाह और जागरूकता की कमी: अफ़वाह और जागरूकता की कमी के चलते 'लिंचिंग' की जो घटनाएं हुईं उनमें भीड़ का अलग ही रूप देखने को मिलता है। इसमें भीड़ के गुस्से के पीछे एक गहरी चिंता भी दिखाई देती है। बच्चे चोरी होना किसी के लिए भी बहुत बड़ा डर है। यहां हिंसा ताक़त से नहीं बल्कि घबराहट से जन्म लेती है।
5.तकनीक का दुरुपयोग: इस तरह की 'भीड़तंत्र' में सोशल मीडिया का दुरुपयोग एक बड़ा कारक है। देशभर के अलग-अलग हिस्सों से सामने आ रहे मॉब लिंचिंग के मामले बताते हैं कि वॉट्सएप इसकी सबसे बड़ी वजह रहा है।
6.स्थानांतरण एक बड़ी समस्या: अक्सर आर्थिक ज़रूरतों के कारण लोग एक इलाके से दूसरे इलाकों में आकर बसने लगते हैं। इन लोगों को रहने की जगह तो मिल जाती है, लेकिन उन पर लोगों को विश्वास नहीं हो पाता। तमिलनाडु में इस तरह की कुछ घटनाएं देखने को मिली थीं।
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