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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

1857 की क्रान्ति ।।


🔲1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति की शुरूआत '10 मई 1857' की संध्या को मेरठ मे हुई थी और इसको समस्त भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष ”क्रान्ति दिवस“ के रूप में मनाते हैं, क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है! 

🔲मेरठ से निकली इसी चिंगारी की आग दादरी होते हुए बुलंदशहर तक पहुँची ओर अंग्रेजी शासन के ख़िलाप विकराल रूप धारण करती गई!

🔳1857-के दौरान हुये भारतीय विद्रोह के प्रमुख केन्द्रों: मेरठ, दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, झाँसी और ग्वालियर को दर्शाता सन ! 

🔳तिथि = 10 मई 1857

🔳स्थान = भारत 

🔳परिणाम = विद्रोह का दमन,ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत

🔳नियंत्रण = ब्रिटिश ताज के हाथ में।

🔳क्षेत्रीय बदलाव = पूर्व ईस्ट इंडिया कंपनी के क्षेत्रों को मिलाकर बना भारतीय साम्राज्य, इन क्षेत्रों मे से कुछ तो स्थानीय राजाओं को लौटा दिये गये जबकि कईयों को ब्रिटिश ताज द्वारा जब्त कर लिया गया।

🔲🔳[1857-विद्रोह के कारण]🔳🔲

🔲🔳राजनीतिक कारण🔳🔲

🔳1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण ब्रिटिश सरकार की 'गोद निषेध प्रथा' या 'हड़प नीति' थी।
🔳यह अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति थी जो ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के दिमाग की उपज थी।
🔳 कंपनी के गवर्नर जनरलों ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने के उद्देश्य से कई नियम बनाए।
उदाहरण के लिए, किसी राजा के निःसंतान होने पर उसका राज्य ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बन जाता था।
🔳 राज्य हड़प नीति के कारण भारतीय राजाओं में बहुत असंतोष पैदा हुआ था। रानी लक्ष्मी बाई के दत्तक पुत्र को झांसी की गद्दी पर नहीं बैठने दिया गया।
🔳 हड़प नीति के तहत ब्रिटिश शासन ने सतारा, नागपुर और झांसी को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया।
🔳अब अन्य राजाओं को भय सताने लगा कि उनका भी विलय थोड़े दिनों की बात रह गई है।
🔳इसके अलावा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब की पेंशन रोक दी गई जिससे भारत के शासक वर्ग में विद्रोह की भावना मजबूत होने लगी।


🔳आग में घी का काम उस घटना ने किया जब बहादुर शाह द्वितीय के वंशजों को लाल किले में रहने पर पाबंदी लगा दी गई।
🔳कुशासन के नाम पर लार्ड डलहौजी ने अवध का विलय करा लिया जिससे बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, अधिकारी एवं सैनिक बेरोजगार हो गए।
🔳इस घटना के बाद जो अवध पहले तक ब्रिटिश शासन का वफादार था, अब विद्रोही बन गया।

🔲[1857]सामाजिक एवं धार्मिक कारण🔲

🔳भारत में तेजी से पैर पसारती पश्चिमी सभ्यता को लेकर समाज के बड़े वर्ग में आक्रोश था।
🔳1850 में ब्रिटिश सरकार ने हिंदुओं के उत्तराधिकार कानून में बदलाव कर दिया और अब किस्चन धर्म अपनाने वाला हिंदू हीअपने पूर्वजों की संपत्ति में हकदार बन सकता था।
🔳इसके अलावा मिशनरियों को पूरे भारत में धर्म परिवर्तन की छूट मिल गई थी।
 🔳लोगों को लगा कि ब्रिटिश सरकार भारतीय लोगों को क्रिस्चन बनाना चाहती है। 
🔳भारतीय समाज में सदियों से चली आ रही कुछ प्रथाओं जैसे सती प्रथा आदि को समाप्त करने पर लोगों के मन में असंतोष पैदा हुआ।

🔲🔳[1857]आर्थिक कारण🔳🔲

🔳भारी टैक्स और राजस्व संग्रहण के कड़े नियमों के कारण किसान और जमींदार वर्गों में असंतोष था। इन सबमें से बहुत से ब्रिटिश सरकार की टैक्स मांग को पूरा करने में असक्षम थे और वे साहूकारों का कर्ज चुका नहीं पा रहे थे जिससे अंत में उनको अपनी पुश्तैनी जमीन से हाथ धोना पड़ता था।
🔳 बड़ी संख्या में सिपाहियों का इन किसानों से संबंध था और इसलिए किसानों की पीड़ा से वे भी प्रभावित हुए।

🔳इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के बाद भारतीय बाजार ब्रिटेन में निर्मित उत्पादों से पट गए। 
इससे भारत का स्थानीय कपड़ा उद्योग खासतौर पर तबाह हो गया। 
🔳भारत के हस्तशिल्प उद्योग ब्रिटेन के मशीन से बने सस्ते सामानों का मुकाबला नहीं कर पाए।
🔳भारत कच्ची सामग्री का सप्लायर और ब्रिटेन में बने सामानों का उपभोक्ता बन गया। 
🔳जो लोग अपनी आजीविका के लिए शाही संरक्षण पर आश्रित थे, सभी बेरोजगार हो गए। इसलिए अंग्रेजों के खिलाफ उनमें काफी गुस्सा भरा हुआ था।

🔲🔳[1857]सैन्य कारण🔳🔲

🔳भारत में ब्रिटिश सेना में 87 फीसदी से ज्यादा भारतीय सैनिक थे! 
उनको ब्रिटिश सैनिकों की तुलना में कमतर माना जाता था।
🔳 एक ही रैंक के भारतीय सिपाही को यूरोपीय सिपाही के मुकाबले कम वेतन दिया जाता था।
➡इसके अलावा भारतीय सिपाही को सूबेदार रैंक के ऊपर प्रोन्नति नहीं मिल सकती थी। 
➡इसके अलावा भारत में ब्रिटिशन शासन के विस्तार के बाद भारतीय सिपाहियों की स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई। उनको अपने घरों से काफी दूर-दूर सेवा देनी पड़ती थी।
🔳1856 में लार्ड कैनिंग ने एक नियम जारी किया जिसके मुताबिक सैनिकों को भारत के बाहर भी सेवा देनी पड़ सकती थी।

🔳बंगाल आर्मी में अवध के उच्च समुदाय के लोगों की भर्ती की गई थी।
 उनकी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, उनका समुद्र (कालापानी) पार करना वर्जित था। 
🔳उनलोगों को लार्ड कैनिंग के नियम से शक हुआ कि ब्रिटिश सरकार उनलोगों को किस्चन बनाने पर तुली हुई है।
🔳अवध के विलय के बाद नवाब की सेना को भंग कर दिया गया।
🔳 उनके सिपाही बेरोजगार हो गए और ब्रिटिश हुकूमत के कट्टर दुश्मन बन गए।

🔲🔳🔲🔳मंगल पांडे🔳🔲🔳🔲

29 मार्च, 1857 ई. को मंगल पांडे नाम के एक सैनिक ने 'बैरकपुर छावनी' में अपने अफसरों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, लेकिन ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों ने इस सैनिक विद्रोह को सरलता से नियंत्रित कर लिया और साथ ही उसकी बटालियन '34 एन.आई.' को भंग कर दिया। 24 अप्रैल को 3 एल.सी. परेड मेरठ में 90 घुड़सवारों में से 85 सैनिकों ने नए कारतूस लेने से इंकार कर दिया।
🔳आज्ञा की अवहेलना के कारण इन 85 घुड़सवारों को कोर्ट मार्शल द्वारा 5 वर्ष का कारावास दिया गया।
🔳 'खुला विद्रोह' 10 मई, दिन रविवार को सांयकाल 5 व 6 बजे के मध्य प्रारम्भ हुआ।
🔳 सर्वप्रथम पैदल टुकड़ी '20 एन.आई.' में विद्रोह की शुरुआत हुई, उसके बाद '3 एल.सी.' में भी विद्रोह फैल गया।
🔳 इन विद्रोहियों ने अपने अधिकारियों के ऊपर गोलियां चलाई।
🔳 मंगल पांडे ने 'हियरसे' को गोली मारी थी, जबकि 'अफसर बाग' की हत्या कर दी गई थी।
🔳मंगल पांडे को 8 अप्रैल को फांसी दे दी गई। 
🔳9 मई को मेरठ में 85 सैनिकों ने नई राइफल इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया जिनको नौ साल जेल की सजा सुनाई गई।


🔲🔳[1857]तात्कालिक कारण🔳🔲

🔲1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारणों में यह अफवाह थी कि 1853 की राइफल के कारतूस की खोल पर सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई है। 
🔳यह अफवाह हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रही थी।
🔳ये राइफलें 1853 के राइफल के जखीरे का हिस्सा थीं।

🔲🔳🔲🔳विद्रोह का प्रसार🔳🔲🔳🔲

🔳इस घटना के बाद मेरठ छावनी में विद्रोह की आग भड़क गई।
🔳 9 मई को मेरठ विद्रोह 1857 के संग्राम की शुरुआत का प्रतीक था। 
🔳मेरठ में भारतीय सिपाहियों ने ब्रिटिश अधिकारियों की हत्या कर दी और जेल को तोड़ दिया।
🔳10 मई को वे दिल्ली के लिए आगे बढ़े। 
🔳11 मई को मेरठ के क्रांतिकारी सैनिकों ने दिल्ली पहुंचकर, 
12 मई को दिल्ली पर अधिकार कर लिया।
🔳 इन सैनिकों ने मुगल सम्राट बहादुरशाह द्वितीय को दिल्ली का सम्राट घोषित कर दिया। 
🔳शीघ्र ही विद्रोह लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, बरेली, बनारस, बिहार और झांसी में भी फैल गया। 
🔳अंग्रेजों ने पंजाब से सेना बुलाकर सबसे पहले दिल्ली पर अधिकार किया। 

🔳21 सितंबर, 1857 ई. को दिल्ली पर अंग्रेजों ने पुनः अधिकार कर लिया, परन्तु संघर्ष में 'जॉन निकोलसन' मारा गया और लेफ्टिनेंट 'हडसन' ने धोखे से बहादुरशाह द्वितीय के दो पुत्रों 'मिर्ज मुगल' और 'मिर्ज ख्वाजा सुल्तान' एवं एक पोते 'मिर्जा अबूबक्र' को गोली मरवा दी। 
🔳लखनऊ में विद्रोह की शुरुआत 4 जून, 1857 ई. को हुई।
 यहां के क्रांतिकारी सैनिकों द्वारा ब्रिटिश रेजिडेंसी के घेराव के बाद ब्रिटिश रेजिडेंट 'हेनरी लॉरेन्स' की मृत्यु हो गई।
🔳 हैवलॉक और आउट्रम ने लखनऊ को दबाने का भरकस प्रयत्न किया, लेकिन वे असफल रहे।
 आखिर में कॉलिन कैंपवेल' ने गोरखा रेजिमेंट के सहयोग से मार्च, 1858 ई. में शहर पर अधिकार कर लिया। 
वैसे यहां क्रांति का असर सितंबर तक रहा।

🔲🔳🔲🔳बगावत को कुचलना🔳🔲🔳🔲

🔳1857 का संग्राम एक साल से ज्यादा समय तक चला। 
इसे 1858 के मध्य में कुचला गया। 
🔳मेरठ में विद्रोह भड़कने के चौदह महीने बाद 8 जुलाई, 1858 को आखिरकार कैनिंग ने घोषणा किया कि विद्रोह को पूरी तरह दबा दिया गया है।

🔲विद्रोह की असफलता के कारण🔲

🔲🔳सीमित आंदोलन🔳🔲 [1857]

🔳हालांकि, बहुत कम समय में आंदोलन देश के कई हिस्सों तक पहुंच गया लेकिन देश के एक बड़े हिस्से पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
🔳 खासतौर पर दोआब क्षेत्र में इसका असर रहा। 
दक्षिण के प्रांतों ने इसमें कोई हिस्सा नहीं लिया। 
🔳अहम शासकों जैसे सिंधिया, होल्कर, जोधपुर के राणा और अन्यों ने विद्रोह का समर्थन नहीं किया।


1857 ई. की क्रांति से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी❗️

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