पहेलियां ही पहेलियां ( बुंदेलखंडी/ बुन्देलखण्डी पहेलियां )
~ धुंआ/ Smoke
2. इधर खूंटा उधर खूंटा भैंस मरखनी दुधा मीठा
~ सिंघाड़ा
3. हरी थी दुधभरी थी राजा जी के बाग में दुशाला ओढ़े खड़ी थी
~ अडिया/ मका/ भुट्टा/ Corn
4. एक मठी के दो द्वारे बाबा निकले दे मारे
~ नाक/Nose
5. हम कटे तुम काहे रोए
~ प्याज/ Onion
6. करिया मुंह करहाएं पे आंखें
~ भारा/ भारो ( भाड़ )
7. गेर-गेर बारी लगी वीच में कुइया
~ आँख
8. चार चरण छोटी भुजा नही पीठ न शीश रामायण न ढूंढीयो हनुमान न होय.
~ (खेंटन) लांकरी
9. मड भीतर देवरा बसे, ननद बसे आकाश पिया हमारे बन रहें, जेठा जल के पास.
~ (पान)
10. सिव के सूत की मांत के, आखर चारे सुरेश बीच-बीच के छोड़के, भेजो करे हमेश
~ (चिट्ठी-पतरी)
11. पन्द्रा आये पंवने, बार बनाओ एक सबखां परसों आदौ-आदौ, दूले परसों एक.
~ (पूर्णमासी)
12. झट नाहाँ झट माँहाँ, छै गोडे दो बाहाँ पीठ के ऊपर पूँछ लटके, जौ तमासौ काँ है.
~ (तराजू)
13. तीन नेत्र शंकर नहीं, दूध देत नहिं गाय, पेड़ चढ़ो पंछी नहीं, ईकौ अरथ बताय.
~ ( कच्चा नारियाल )
14. दस नख धरनी पे चलें, अतफर चलें पचास तीन मूड दो अँखियाँ, पतो लगा दो ख़ास.
~ अंधे माता- पिता को कांवर में बैठाकर श्रवणकुमार उन्हें ले जा रहे हैं.
15. तेली लौ कौ तेल,कुमार हंडी हाँती कैसी सूंड, नाबाव की झंडी.
~ (दीपक और उसकी लौ)
16. गंगा सिर पर ऊपर बहत, गरें मुंड कीमाल बरधा पे असवार गौ, गौर कौ पति नाय.
~ (रहट)
17. नीर छीर की उठें हिलोरे, बोले हाँ-हूँ बानी भरे कुआ में बुड्की दैबे, और मुगावे पानी.
~ (नवनीत या मक्खन)
18. घर में बावन चोर घुसे हैं, सबरं कौ मौ कारो पूँछ पाकर के तनक रगड़ दो, करन लगत उज्यारो.
~ (माचिस और उसकी तीलियाँ)
19. एक रंग के हैं दो भैया, बड़ो है उनमें नाता एक-एक से बिछुर जाय तौ, दूजौ काम न आता.
~ (जूते की जोड़ी)
20. लाल मूड़ मुरगा नहीं, लम्बी पूंछ नहीं मोर।
नीलकंठ शंकर नहीं, चार पाँव नहिं ढोर.
~ (गिरगिट)
21. बे हांत कौ बे पाँव कौ, पहार चडो जाय देखौ बनखंडी बाबा, कौन जनावर आय
~ (धुआं और बादल)
22. संजा कें पैदा भई, आधी रात जवान होत भुनसरा मर गयी, घर हो गओ मसान.
~ (ओस)
23. सोने की वह है नहीं, सोने की है नार खाती पीती कुछ नहीं, बूझौ बूझनहार
(खटिया)
24. चार खूंट कौ नगर बसों है, चार कुंआ बिन पानी छाए अठारा ऊके अन्दर, संग में लयें एक रानी।।
( कैरम बोर्ड )
25. पहार है पर पथरा नइयां, नदी है पर पानी नइयां सहर है पर आदमी नइयां, जंगल है पर पेड़ नइयां
(नओसुआ)
26. जैसी हिरनी वैसी बछिया जैसी मताई वैसी बिटिया
(सही विवेक न होना)
27. दाल भात में मूसर चंद
(बना काम बिगाड़ना)
28. नंगी नाचे पूते खाय, बेटा की सों जेई जाय
(बार-बार झूठ बोलना)
29. भोंदू लला की उल्टी रीत, भर वसकारें उठावें भीत
(उलटे काम करना)
30. भरे समुद्र में घोघा पियासो
(समय का सदुपयोग न करना)
31. तीन दिन काउ तीनक नीना फिर अंधियारी रात
(अपना रौब ज़माना)
32. बच्चन से हम बोलत नाहीं, ज्वान लगे हमाये भैया।
बुढन के हम छोड़त नाहीं, चाहे ओढ़ें फिरें रजइया।।
(सर्दी/ठंड)
33. खट पांय खट पांय चलत विकट पानी पांय तीन मूड़ दस पांय
बताओ क्या :~ (हल जोतता किसान)
34. पीते भी हैं खाते भी हैं और जलाते भी हैं :~(नारियल)
35. उठो दीदी हम लेटें :~ (रोटी)
36. चार चिड़ियां चारों कलर की दरवा में घूसें एक ही कलर की :~
(पान)
37. जूता क्यों ना पहना समोसा क्यों न खाया ~ ( तला ना था )
38. एक खड़ी थी एक पड़ी थी एक दनादन नाच रही थी ~ ( रोटी )
39 सात रोज़ में हूं आता, बालकों का हूं चहेता । वे करते हैं बस मुझसे प्यार, नित्य करते हैं इंतजार ।। ~ रविवार ( Sunday )
अगर आप भी ऐसी ही पहेलियां हमसे साझा करना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में लिखें ।।
#बताइये क्या ??
0 comments:
Post a Comment
We love hearing from our Readers! Please keep comments respectful and on-topic.