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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

संधि किसे कहते हैं? /संधि कितने प्रकार की होती हैं?

संधि 

👉संधि दो शब्दों से मिलकर बना है – सम् + धि। जिसका अर्थ होता है ‘मिलना ‘। 

👉जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द  की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाती हैं उसे संधि कहते हैं। 

👉अथार्त संधि किये गये शब्दों को अलग-अलग करके पहले की तरह करना ही संधि विच्छेद कहलाता है। अथार्त जब दो शब्द आपस में मिलकर कोई तीसरा शब्द बनती हैं तब जो परिवर्तन होता है , उसे संधि कहते हैं।

उदहारण :- 
हिमालय = हिम + आलय , 
सत् + आनंद =सदानंद।

संधि के प्रकार :

संधि तीन प्रकार की होती हैं :-

१. स्वर संधि
२. व्यंजन संधि
३. विसर्ग संधि

◆ स्वर संधि :- 

जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है तब जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं। हिंदी में स्वरों की संख्या ग्यारह होती है। बाकी के अक्षर व्यंजन होते हैं। जब दो स्वर मिलते हैं जब उससे जो तीसरा स्वर बनता है उसे स्वर संधि कहते हैं।

उदहारण :- विद्या + आलय = विद्यालय।

★स्वर संधि पांच प्रकार की होती हैं :-

(क) दीर्घ संधि

(ख) गुण संधि

(ग) वृद्धि संधि

(घ) यण संधि

(ड)अयादि  संधि

★1. दीर्घ संधि :- जब ( अ , आ ) के साथ ( अ , आ ) हो तो ‘ आ ‘ बनता है , जब ( इ , ई ) के साथ ( इ , ई ) हो तो ‘ ई ‘ बनता है , जब ( उ , ऊ  ) के साथ ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ऊ ‘ बनता है।

👉 अथार्त सूत्र – अक: सवर्ण – दीर्घ: मतलब अक प्रत्याहार के बाद अगर सवर्ण हो तो दो मिलकर दीर्घ बनते हैं।
◆ दूसरे शब्दों में हम कहें तो जब दो सुजातीय स्वर आस – पास आते हैं तब जो स्वर बनता है उसे सुजातीय दीर्घ स्वर कहते हैं , 
◆इसी को स्वर संधि की दीर्घ संधि कहते हैं। 
◆इसे ह्रस्व संधि भी कहते हैं।

उदहारण :-     धर्म + अर्थ = धर्मार्थ

पुस्तक + आलय = पुस्तकालय

विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

रवि + इंद्र = रवीन्द्र

गिरी +ईश  = गिरीश

मुनि + ईश =मुनीश

मुनि +इंद्र = मुनींद्र

भानु + उदय = भानूदय

वधू + ऊर्जा = वधूर्जा

विधु + उदय = विधूदय

भू + उर्जित = भूर्जित।

2. गुण संधि :- जब ( अ , आ ) के साथ ( इ , ई ) हो तो ‘ ए ‘ बनता है , जब ( अ , आ )के साथ ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ओ ‘बनता है , जब ( अ , आ ) के साथ ( ऋ ) हो तो ‘ अर ‘ बनता है। उसे गुण संधि कहते हैं।

उदहारण :-

  नर + इंद्र + नरेंद्र

   सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र

   ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश

   भारत + इंदु = भारतेन्दु

   देव + ऋषि = देवर्षि

   सर्व + ईक्षण = सर्वेक्षण


3. वृद्धि संधि :- जब ( अ , आ ) के साथ ( ए , ऐ ) हो तो ‘ ऐ ‘ बनता है और जब ( अ , आ ) के साथ ( ओ , औ )हो तो ‘ औ ‘ बनता है। उसे वृद्धि संधि कहते हैं।

उदहारण :-

मत+एकता = मतैकता

एक +एक =एकैक

धन + एषणा = धनैषणा

सदा + एव = सदैव

महा + ओज = महौज

4. यण संधि :- जब ( इ , ई ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है , जब ( उ , ऊ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है , जब ( ऋ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है। 

◆यण संधि के तीन प्रकार के संधि युक्त्त पद होते हैं। 
(1) य से पूर्व आधा व्यंजन होना चाहिए। (2) व् से पूर्व आधा व्यंजन होना चाहिए। (3) शब्द में त्र होना चाहिए।

◆यण स्वर संधि में एक शर्त भी दी गयी है कि य और त्र में स्वर होना चाहिए और उसी से बने हुए शुद्ध व् सार्थक स्वर को + के बाद लिखें। उसे यण संधि कहते हैं।

उदहारण :-

 इति + आदि = इत्यादि

  परि + आवरण = पर्यावरण

  अनु + अय  = अन्वय

  सु + आगत = स्वागत

  अभि + आगत = अभ्यागत

5. अयादि संधि :- जब ( ए , ऐ , ओ , औ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ ए – अय ‘ में , ‘ ऐ – आय ‘ में , ‘ ओ – अव ‘ में, ‘ औ – आव ‘ ण जाता है। य , व् से पहले व्यंजन पर अ , आ की मात्रा हो तो अयादि संधि हो सकती है लेकिन अगर और कोई विच्छेद न निकलता हो तो + के बाद वाले भाग को वैसा का वैसा लिखना होगा। उसे अयादि संधि कहते हैं।

उदहारण :-

 ने + अन = नयन

  नौ + इक = नाविक

  भो + अन = भवन

  पो + इत्र = पवित्र

◆ व्यंजन संधि। 

👉व्यंजन संधि :- जब व्यंजन को व्यंजन या स्वर के साथ मिलाने से जो परिवर्तन होता है , उसे व्यंजन संधि कहते हैं।

उदहारण :-

  दिक् + अम्बर  = दिगम्बर

   अभि + सेक = अभिषेक

👉व्यंजन संधि के नियम :-

◆(1) जब किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या य्, र्, ल्, व्, ह से या किसी स्वर से हो जाये तो  क् को ग्  , च् को ज् , ट् को ड् , त् को  द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है अगर स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी लेकिन अगर व्यंजन का मिलन होता है तो वे हलन्त ही रहेंगे।

उदहारण :-👉 क् के  ग् में बदलने के उदहारण –

 दिक् + अम्बर = दिगम्बर

 दिक् + गज = दिग्गज

 वाक् +ईश = वागीश

👉च् के ज् में बदलने के उदहारण :-

   अच् +अन्त = अजन्त

अच् + आदि =अजादी

👉ट् के ड् में बदलन के उदहारण :-

     षट् + आनन = षडानन

     षट् + यन्त्र = षड्यन्त्र

     षड्दर्शन = षट् + दर्शन

     षड्विकार = षट् + विकार

               षडंग = षट् + अंग

👉त् के  द् में बदलने के उदहारण :-

    तत् + उपरान्त = तदुपरान्त

    सदाशय = सत् + आशय

    तदनन्तर = तत् + अनन्तर

    उद्घाटन = उत् + घाटन

    जगदम्बा = जगत् + अम्बा

👉प् के ब् में बदलने के उदहारण :-

    अप् + द = अब्द

      अब्ज = अप् + ज

◆(2) यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन न या म वर्ण ( ङ,ञ ज, ण, न, म) के साथ हो तो क् को ङ्, च् को ज्, ट् को  ण्, त् को न्, तथा प् को म् में बदल दिया जाता है।

उदहारण :- 👉क् के ङ् में बदलने के उदहारण :-

 वाक् + मय = वाङ्मय

दिङ्मण्डल = दिक् + मण्डल

प्राङ्मुख = प्राक् + मुख

👉ट् के  ण् में बदलने के उदहारण :-

    षट् + मास = षण्मास

    षट् + मूर्ति = षण्मूर्ति

   षण्मुख = षट् + मुख

👉त् के  न् में बदलने के उदहारण :-

   उत् + नति = उन्नति

   जगत् + नाथ = जगन्नाथ

  उत् + मूलन = उन्मूलन

👉प् के म् में बदलने के उदहारण :-

   अप् + मय = अम्मय

°◆(3) जब त् का मिलन  ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व से या  किसी स्वर से हो  तो द् बन जाता है। म के साथ क से म तक के किसी भी वर्ण के मिलन  पर ‘ म ‘ की जगह पर मिलन वाले वर्ण का अंतिम नासिक वर्ण बन जायेगा।

👉उदहारण :- म् + क ख ग घ ङ के उदहारण :-

सम् + कल्प = संकल्प 

      सम् + ख्या = संख्या

सम् + गम = संगम

शंकर = शम् + कर

👉म् + च, छ, ज, झ, ञ के उदहारण :-

  सम् + चय = संचय

  किम् + चित् = किंचित

सम् + जीवन = संजीवन

👉म् + ट, ठ, ड, ढ, ण के उदहारण :-

        दम् + ड = दण्ड/दंड

खम् + ड = खण्ड/खंड

👉म् + त, थ, द, ध, न के उदहारण :-

सम् + तोष = सन्तोष/संतोष

किम् + नर = किन्नर

सम् + देह = सन्देह

👉म् + प, फ, ब, भ, म के उदहारण :-

   सम् + पूर्ण = सम्पूर्ण/संपूर्ण

        सम् + भव = सम्भव/संभव

👉त् + ग , घ , ध , द , ब  , भ ,य , र , व्  के उदहारण :-

  सत् + भावना = सद्भावना

       जगत् + ईश =जगदीश

  भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति

  तत् + रूप = तद्रूपत

  सत् + धर्म = सद्धर्म


◆(4) त् से परे च् या छ् होने पर च, ज् या झ् होने पर ज्, ट् या ठ् होने पर ट्, ड् या ढ् होने पर ड् और ल होने पर ल् बन जाता है। म् के साथ य, र, ल, व, श, ष, स, ह में से किसी भी वर्ण का मिलन होने पर ‘म्’ की जगह पर अनुस्वार ही लगता है।

👉उदहारण :- म + य , र , ल , व् , श , ष , स , ह के उदहारण :-

     सम् + रचना = संरचना

     सम् + लग्न = संलग्न

     सम् + वत् = संवत्

          सम् + शय = संशय

👉त् + च , ज , झ , ट ,  ड , ल के उदहारण :-

      उत् + चारण = उच्चारण

      सत् + जन = सज्जन

      उत् + झटिका = उज्झटिका

      तत् + टीका =तट्टीका

      उत् + डयन = उड्डयन

    उत् +लास = उल्लास

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