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Blood Circulation ( परिसंचरण तंत्र )।।

परिसंचरण तंत्र संबंधित प्रश्नोत्तरी ।। 1. कौन सा ‘जीवन नदी’ के रूप में जाना जाता है? उत्तर: रक्त 2. रक्त परिसंचरण की खोज की गई? ...

हिन्दी साहित्य की इतिहास लेखन पद्धतियाँ ।।

( अ ) वर्णानुक्रम
( ब ) कालानुक्रम
( स ) वैज्ञानिक पद्धति
( द ) विधेयवादी पद्धति

1. वर्णानुक्रम पद्धति ” : –

० सर्वाधिक दोषपूर्ण व प्राचीन पद्धति है ,

० इस पद्धति में कवियों व लेखको का परिचय उनके नाम के वर्णानुक्रमानुसार किया जाता है !

० गार्सा द तासी व शिवसिंह सेंगर ने अपने ग्रंथो में इसी पद्धति का प्रयोग किया है ,

० यह साहित्य इतिहास लेखन की सर्वाधिक दोषपूर्ण पद्धति है

० इस प्रणाली पर आधारित ग्रंथो को साहित्येतिहास की अपेक्षा ” साहित्यकार कोश कहना उपर्युक्त है !

० कोश ग्रंथो के लिए यह प्रणाली उपर्युक्त है !

2. कालानुक्रम पद्धति ” : –

#जॉर्ज ग्रियर्सन ने द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान “इतिहास ग्रंथ इसी पद्धति को आधार बनाकर लिखा है ।

० इस पद्धति पर या इसके आधार पर लिखे गये ग्रंथो को साहित्येतिहास कहने की अपेक्षा कविवृत्त संग्रह कहना उपर्युक्त होगा !

3 . वैज्ञानिक पद्धति ” : –

डॉ गणपति चंद्रगुप्त ने #हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास इसी पद्धति को आधार बनाकर लिखा है ।

० इस पद्धति में तथ्यों का संग्रहण कर विश्लेषण किया जाता है , व निष्कर्ष प्रस्तुत किये जाते है 1

० साहित्येतिहास लेखन की अपेक्षा कोड लेखन के लिए उपर्युक्त !

4 . विधेयवादी पद्धति ” : –

० साहित्य इतिहास लेखन की सर्वाधिक उपर्युक्त विधि !

० इस विधि के जन्मदाता ” तेन ” Taine माने जाते है !

० इस पद्धति में साहित्येतिहास प्रवृतियों का अध्ययन युगीन परिस्थितियों के संदर्भ में किया जाता है !

० आचार्य शुक्ल ने अपने साहित्येतिहास लेखन में इसी पद्धति का उपयोग किया है

० इसी कारण उनके इतिहास ग्रन्थ को सच्चे अर्थो में हिदी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रन्थ कहा जाता है !

० आचार्य शुक्ल के अनुसार प्रत्येक देश का साहित्य वहा की जनता की संचित चितवृति का बिम्ब होता है !

० तब यह निश्चित है , की जनता की चितवृति के परिवर्तन के साथ – साथ साहित्य का परिवर्तन साहित्य इतिहास कहलाता है
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