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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाएं, भारत आजाद कैसे हुआ?

✅भारत में राष्ट्रीय आंदोलन

🔶राष्ट्रीय आंदोलन, भारत की आज़ादी के लिए सबसे लम्बे समय तक चलने वाला एक प्रमुख राष्ट्रीय आन्दोलन था। 
🔶भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की औपचारिक शुरुआत 1885 ई. में कांग्रेस की स्थापना के साथ ही हुई। जो 15 अगस्त, 1947 ई. तक लगातार जारी रहा
🔶भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन ब्रिटिश राज के विरुद्ध भारतीय उपमहाद्वीप में स्वतन्त्रता हेतु ऐतिहासिक विद्रोह ( 1857-1947 ) भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका उद्देश्य, अंग्रेजी शासन से भारतीय उपमहाद्वीप को मुक्त करना था। इस आन्दोलन का आरम्भ 1857 में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है । जिसमें स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों की जान गई।

✅भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित (1904)

भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम लॉर्ड कर्जन ने लागू किया। यह लॉर्ड एल्गिन द्वितीय के बाद 1899 ई . में भारत के वायसरॉय बनकर आया लॉर्ड कर्ज़न (1899-1905 ई.) के कार्यकाल में पारित किया गया। 
🔶शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1902 ई. में सर टॉमस रैले की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग ‘ का गठन किया । आयोग द्वारा दिये गए सुझावों के आधार पर विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 ई . पारित किया गया।

✅बंगाल का विभाजन (1905)

बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय कर्जन के द्वारा किया गया था। 
🔶एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य से ही भारत के बंगाल को दो भागों में बाँट दिये जाने का निर्णय लिया गया था। विभाजन के सम्बन्ध में कर्ज़न का तर्क था कि तत्कालीन बंगाल, जिसमें बिहार और उड़ीसा भी शामिल थे, काफ़ी विस्तृत है और अकेला लेफ्टिनेंट गवर्नर उसका प्रशासन भली-भाँति नहीं चला सकता है।
🔶बंगाल – विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ । इतिहास में इसे बंगभंग नाम से भी जाना जाता है। अतः इसके विरोध में 1908 ई. में सम्पूर्ण देश में ‘बंग-भंग’ आन्दोलन शुरु हो गया। इस विभाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनो तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह से बंगाल के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से पुनः एक हो गए।

✅मुस्लिम लीग की स्थापना (1906)

हिंदुओं के बीच सरकार विरोधी रुख को देखकर ब्रिटिश अधिकारियों ने मुसलमानों के प्रति पुरानी दमन – नीति को छोड़कर उन्हें संरक्षण देने की नीति अपना ली थी . बंग – विभाजन ने मुस्लिम साम्प्रदायिकता को प्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहन दिया था। 
🔶लार्ड मिण्टो के समर्थन में 30 दिसंबर, 1906 में ब्रिटिश भारत के दौरान ढाका (वर्तमान में बांग्लादेश) में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना हुई थी। लीग में आगा खां , ख्वाज़ा सलीमुल्लाह और मोहम्मद अली जिन्ना समेत कई नेता शामिल थे। 
🔶सलीमुल्ला ख़ाँ ‘मुस्लिम लीग ‘ के संस्थापक व अध्यक्ष थे, जबकि प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता मुश्ताक हुसैन ने की। 1947 में पाकिस्तान के गठन के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ‘मुस्लिम लीग’ बन गई थी।

✅सूरत अधिवेशन, कांग्रेस में फूट (1907)

सूरत अधिवेशन 26 दिसम्बर, 1907 ई. को ताप्ती नदी के किनारे यह अधिवेशन सम्पन्न हुआ। ऐतिहासिक दृष्टि से यह अधिवेशन अति महत्त्वपूर्ण था। 
🔶कांग्रेस आपसी मतभेदों के कारण गरम दल और नरम दल नामक दो दलों में बंट गयी। इसी को सूरत विभाजन कहते हैं। स्वराज्य की प्राप्ति के लिए आन्दोलन एवं अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नरम दल तथा गरम दल दोनों में काफ़ी मतभेद था। 
🔶अधिवेशन से पूर्व ही दोनों दलों में भयंकर मार – पीट हुई, जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस का दो भागो में विभाजन हो गया। सूरत विभाजन के बाद गरम दल का नेतृत्व तिलक, लाला लाजपत राय एवं विपिन चन्द्र पाल ( लाल, बाल, पाल ) ने किया। नरम दल के नेता गोपाल कृष्ण गोखले थे। 1916 ई. में कांग्रेस के ‘ लखनऊ अधिवेशन ‘ में पुनः दोनों दलों का आपस में विलय हो गया।

✅मार्ले-मिंटो सुधार या भारत परिषद नियम (1909)

वर्ष 1909 में भारत परिषद अधिनियम, जिसे मार्ले मिंटो सुधार भी कहा जाता है, ब्रिटिश संसद द्वारा पारित एक अधिनियम था, जिसे ब्रिटिश भारत में स्वशासित शासन प्रणाली स्थापित करने के लक्ष्य से पारित किया गया था। इस अधिनियम द्वारा चुनाव प्रणाली के सिद्धांत को भारत में पहली बार मान्यता मिली। 
🔶गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में पहली बार भारतीयों को प्रतिनिधित्व मिला तथा केंद्रीय एवं विधानपरिषदों के सदस्यों को सीमित अधिकार भी प्रदान किये गए। 
🔶मार्ले-मिन्टो सुधार के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि इस समय मार्ले भारत राज्य सचिव एवं लार्ड मिन्टो भारत के वाइसरॉय थे।

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