जिनेवा सम्मेलन में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल शामिल हैं जो युद्ध में मानवीय व्यवहार के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून के कुछ मानकों को निर्धारित करते हैं । यह नागरिकों और युद्ध बंदियों ( POW ) के साथ व्यवहार पर आधारित है ...
📲 जिनेवा कन्वेंशन को संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है । हालांकि , सभी देशों द्वारा तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल की पुष्टि नहीं की गई है । तीसरा प्रोटोकॉल केवल 79 देशों द्वारा अनुसमर्थित है । इसके अलावा 2019 में , रूस , प्रोटोकॉल 1 के अनुच्छेद 90 के तहत अपनी घोषणा वापस ले चुका है ।
✍ पहला जिनेवा कन्वेंशन 1864 : इसमें युद्ध के दौरान घायल और बीमार सैनिकों को सुरक्षा प्रदान करने के अलावा चिकित्सा कर्मियों , धार्मिक लोगों व चिकित्सा परिवहन की सुरक्षा की भी व्यवस्था की गई है ।
✍ दूसरा ' जिनेवा कन्वेंशन 1906 : युद्ध के दौरान समुद्र में घायल , बीमार और जलपोत क्षतिग्रस्त सैन्य कर्मियों को इस कन्वेंशन के तहत सुरक्षा प्रदान की गयी है ।
✍ तीसरा जिनेवा कन्वेंशन 1929 : यह युद्ध बंदियों पर लागू होता है जिन्हें ' प्रिजनर ऑफ वार ' कहा गया है । इस कन्वेंशन में विभिन्न सामान्य सुरक्षा का उल्लेख है जैसे मानवीय व्यवहार , कैदियों के बीच समानता , , कैद की स्थिति , कैदियों की निकासी आदि । कैदियों की धार्मिक , बौद्धिक और शारीरिक गतिविधियों का अधिकार भी इसके अंतर्गत शामिल है ।
✍ चौथा जिनेवा कन्वेंशन 1949 : इसमें युद्ध क्षेत्र एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण का प्रावधान किया गया है ताकि किसी भी नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन ना किया जा सके । 2022 के रूस - यूक्रेन युद्ध ने एक बार जिनेवा सम्मेलनों , विशेष रूप से चौथे सम्मेलन से संबंधित मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया है ।
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