✍️ दीवान-ए- मुस्तखराज की स्थापना का उद्देश्य बकाया लगान की वसूली का था।
✍️ बक्शी - सल्तनत काल में प्रान्त का सैन्य एवं प्रशासनिक अधिकारी था।
✍️ जैनुल आबिदीन को बड़शाह भी कहा जाता था।
✍️ अलाउद्दीन खिलजी का विजयक्रम - गुजरात - रणथम्भौर - चित्तौड़ - तेलंगाना
✍️ नसीरुद्दीन खुसरो शाह - दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठने वाला अकेला भारतीय सुल्तान था।
✍️ तुगलक साम्राज्य - 23 मुक्तकों प्रांतों में विभक्त था।
✍️ फिरोजशाह तुगलक ने सेना में विरासत का सिद्धांत शुरु किया।
✍️ अधिराज्य में विश्वास रखने वाला सुल्तान इल्तुतमिश था।
✍️ इक्तादारों की आय का आकलन करने के लिए "ख्वाजा" (साहिबे दिवान) की नियुक्ति बलबन ने की थी
📌 Important Facts Related to Medieval History -
✍ The purpose of the establishment of Diwan-i-Mustakhraj was to recover and collect arrears of rent.
✍️ Bakshi performed the military and administrative functions in a province during the Sultanate period
✍️ Zainul Abidin was also known as Budshah.
✍️ Conquest of Alauddin Khilji in chronological order - Gujarat - Ranthambore - Chittoor - Telangana
✍️ Nasiruddin Khusro Shah - the only Indian Sultan to sit on the throne of Delhi Sultanate
✍️ Tughlaq Empire - was divided into 23 Muktas (provinces)
✍️ The system of hereditaryship in the Army was introduced by Firoz Shah Tughlaq. In other words Iqtadari system was made hereditary in Firoz Shah Tughlaq's period.
✍️ Sultan who believed in divine-right theory of Kingship - Iltutmish. However, the first ruler who had propounded the divine-right theory of Kingship was Balban.
✍️ "Khwaja" (Sahib-e-Diwan) was appointed by Balban to assess the income of Iqtadars.
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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav
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