सिंधु घाटी सभ्यता के मोहनजोदड़ो शहर की खुदाई के दौरान 1927 में एक बेहद महत्वपूर्ण मूर्ति मिली। यह मूर्ति एक दाढ़ी वाले पुरुष की है, जिसकी आँखें आधी बंद दिखाई देती हैं, जैसे वह गहरे ध्यान में बैठा हो। उसके कंधों पर बारीक डिज़ाइन वाली चादर पड़ी हुई है, और दाएँ हाथ में दो कंगन नजर आते हैं। इन्हें देखने से पता चलता है कि वह व्यक्ति साधारण नहीं था, बल्कि समाज के उच्च वर्ग से था।
इतिहासकार इसे पुजारी राजा कहते हैं, क्योंकि उसकी मुद्रा में धार्मिक गंभीरता और राजसी गरिमा दोनों दिखाई देती हैं। इस छोटी सी मूर्ति से हमें उस समय की कला, धर्म और सामाजिक व्यवस्था के बारे में महत्वपूर्ण संकेत मिलते हैं।
आज यह मूर्ति कराची संग्रहालय में सुरक्षित रूप से रखी हुई है, और दुनिया भर के लोग सिंधु घाटी की अद्भुत संस्कृति को समझने के लिए इसे देखने आते हैं। यह नन्हा सा शिल्प आज भी हजारों साल पुराने सभ्यता के रहस्यों को उजागर करता है।
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