गूंगे सिखा रहे मुंह कितना खोला जाए ।।



साथ रहो तो सबसे बेहतर
मौन रहो आभारी है
स्वार्थी दुनिया से बस
इतनी रिश्तेदारी है!

सारी दुविधा प्रतिशत पर है
कितना सच बोला जाए
गूँगे सिखा रहे हैं हमको
मुँह कितना खोला जाए


द्वारा:~ कवि कुमार विश्वास



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