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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

हम गौरव को बिसरा दे,ऐसी अपनी जात नहीं

मैं ही वैष्णव , मैं ही हूं  सौर ,
मैं शैव, शाक्त ,गाणपत्य और  ।

मुझमें  हैं  बसते  सभी पंथ
मैं हूं स्मार्त्त , निर्भय ,  निर्द्वन्द्व।।

जलने दो जिनको जलते हैं ,
गजराज पंथ निज चलते हैं ।

हम   ऋषियों के हैं अमर वंश ,
स्मृति मानस  के राजहंस ।।

स्मृतियॉ हैं  गौरव अपना ,
मनुवाद  हमारा है सपना ।

सपना अपना साकार करें
हम हैं स्मार्त्त , हुंकार भरें । ।

हमको निज पथ से भटका दे,
 जग में इतनी औकात नहीं ।

हम अपना गौरव बिसरा दें , 
ऐसी तो अपनी जात नहीं ।।

है बात हमारी सत्य और,
 शिव सुन्दरता से दीप्तमान् ।

ऋषि संस्कृति अपनी ध्वजा और ,
उनकी स्मृतियॉ हैं स्वाभिमान।।

  अभिमान हमारा झुठला दे ,
 जग की इतनी औकात नहीं ।

हम अपना गौरव बिसरा दें ,
ऐसी तो अपनी जात नहीं ।।


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