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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

2018-19 में अर्थव्यवस्था की स्थिति – वृह्द दृष्टि

सरकार ने वर्ष 2019-20 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया है। यह अनुमान निवेश तथा खपत में तेजी की संभावना के आधार पर व्यक्त किया गया है। केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में 2018-19 की आर्थिक समीक्षा प्रस्तुत की। आर्थिक समीक्षा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 2019-20 ने सरकार को विशाल राजनीतिक जनादेश दिया है, जो उच्च आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं के लिए शुभ है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के विश्व आर्थिक परिदृश्य (डब्ल्यूईओ) की अप्रैल 2019 की रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि 2019 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 7.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगा। यह अनुमान वैश्विक उत्पादन तथा उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में क्रमशः 0.3 तथा 0.1 प्रतिशत अंक में गिरावट की रिपोर्ट के बावजूद व्यक्त किया गया है।

भारत 2018-19 में विश्व की तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है। ऐसा 2017-18 के 7.2 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि से 2018-19 में 6.8 प्रतिशत के मामूली परिवर्तन के बावजूद हुआ है। दूसरी ओर विश्व उत्पादन में 2017 के 3.8 प्रतिशत की तुलना में 2018 में 3.6 प्रतिशत की कमी आई है। अमरीका-चीन व्यापार तनाव, चीन की कठोर रणनीतियों तथा बड़ी अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीतियों के सामान्यीकरण के साथ-साथ वित्तीय कठोरता के बाद विश्व अर्थव्यवस्था तथा उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में 2018 में मंदी आई है।

पिछले पांच वर्षों के दौरान (2014—15 के बाद) भारत की वास्तविक जीडीपी विकास दर उच्च रही है। इस दौरान औसत विकास दर 7.5 प्रतिशत रही। 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी। इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में विकास दर में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई। गिरावट का कारण कृषि और संबंधित क्षेत्र, व्यापार, होटल, परिवहन, भंडारण, संचार, प्रसारण संबंधित सेवाएं तथा लोक प्रकाशक एवं रक्षा क्षेत्रों में निम्न विकास दर रही। 2018-19 के दौरान रबी फसलों के लिए जोत के कुल क्षेत्र में थोड़ी कमी आई जिसने कृषि उत्पादन को प्रभावित किया। खाद्यान्नों की कीमत में कमी ने भी किसानों को उत्पादन कम करने के लिए प्रेरित किया। 2018-19 के दौरान जीडीपी के निम्न विकास दर कारण सरकार द्वारा खपत में कमी, स्टॉक में बदलाव आदि हैं।

चालू खाता घाटा (सीएडी) 2017-18 के दौरान जीडीपी का 1.9 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल-दिसंबर, 2018 में 2.6 प्रतिशत हो गया। घाटे में बढ़ोत्तरी का कारण अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों के कारण हुआ व्यापार घाटा है। व्यापार घाटा 2017-18 के 162.1 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2018-19 में 184 बिलियन डॉलर हो गया। सेवा क्षेत्र के निर्यात और आयात में गिरावट दर्ज की गई। सेवा क्षेत्र का निर्यात और आयात 2018-19 क्रमशः 5.5 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत रहा जबकि 2017-18 के दौरान यह क्रमशः 18.8 और 22.6 प्रतिशत था।

2018-19 रुपये का अमेरिकी डॉलर की तुलना में 7.8 प्रतिशत, येन की तुलना में 7.7 प्रतिशत और यूरो और पौंड स्टर्लिंग की तुलना में 6.8 प्रतिशत अवमूल्यन हुआ। 2018-19 के दौरान भारतीय रुपये ने अमेरिकी डॉलर की तुलना में अवमूल्यन रुख के साथ व्यापार किया और मार्च 2019 के अंत में 69.2 रुपये के स्तर पर सुधरने से पहले अक्टूबर, 2018 में 74.4 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को भी छुआ था। सामान्य अर्थों में मूल्यांकन प्रभावों सहित विदेशी मुद्रा भंडार मार्च -2018 की तुलना में मार्च 2019 के अंत में 11.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर घटा। वर्ष के दौरान आरबीआई हस्तक्षेप के कारण अक्टूबर, 2018 तक गिरता रहा। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 14 जून, 2019 के अनुसार 422.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आरामदायक स्तर पर बना हुआ है।

वर्ष 2018-19 में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आवक 14.2 प्रतिशत बढ़ा। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने वाले शीर्ष क्षेत्रों में सेवा, ऑटोमोबिल तथा रसायन प्रमुख हैं। कमोबेश 2015-16 से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आवक ऊंची दर से बढ़ी है। यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों के विश्वास में सुधार दर्शाती है।

भारतीय बैंक बैलेंस शीट की समस्या से जूझ रहे हैं जिसका असर कॉरपोर्ट्स और बैंकों पर देखा जा सकता है। गैर निष्पादित परिसंप्तियों(एनपीए) की वजह से बैंकों पर दबाव है और इसकी वजह से सरकारी बैंक अधिक दबाव में हैं।

आर्थिक विकास के उपभोग हमेशा ही मजबूत और प्रमुख कारक रहा है। जीडीपी में निजी उपभोग का स्तर उच्च बना हुआ है। आवश्य से लग्जरी, वस्तु से सेवा तक  उपभोग के पैटर्न में बदलाव आया है।

2011-12 से निवेश दर और फिक्सड निवेश दर में कमी के बाद 2017-18 में इसमें कुछ सुधार देखने को मिला है।  फिक्सड निवेश 2016-17 के 8.3 फीसदी से बढ़कर 2017-18 में 9.3 प्रतिशत और 2018-19 में यह बढ़कर 10.0 प्रतिशत तक पहुंच गया. 2016-17 तक फिक्सड निवेश मुख्य तौर पर घरेलू क्षेत्र द्वारा घटा है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र और निजी कॉरपोरेट क्षेत्र का निवेश लगभग एक समान रहा।   

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र के बाद उद्योग क्षेत्र में 2011-12 में सबसे अधिक निवेश किया गया था। वहीं कृषि क्षेत्र में सेवा क्षेत्र के आधा ही निवेश हो पाया था। 2017-18 में सेवा क्षेत्र में निवेश दर सबसे अधिक रहा था। इस साल भी कृषि क्षेत्र में सेवा क्षेत्र के आधा निवेश रहा था। इसी तरह घरेलू क्षेत्र में गिरावट के साथ बचत दर में भी कमी दर्ज की गई। वर्ष 2011-12 में बचत दर में गिरावट 23.6 प्रतिशत थी जबकि 2017-18 में यह कमी 17.2 प्रतिशत थी।

वर्ष 2018-19 में रुपये और अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में आय़ात और निर्यात का ट्रेंड अलग देखा गया। जहां अमेरिकी डॉलर में आयात और निर्यात दोनों में कमी आई वहीं रुपये में वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2018-19 में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में कमी आने की वजह से यह गिरावट दर्ज की गई।

सकल संवर्धित मूल्य की आर्थिक गतिविधियों में कमी दर्ज की गई और 2018-19 में विकास दर 6.6 प्रतिशत दर्ज की गई जो कि 2017-18 के मुकाबले कम है। वर्ष 2018-19 में अप्रत्यक्ष कर में विकास 8.8 प्रतिशत रहा जोकि 2017-18 के मुकाबले आर्थिक गतिविधियों में कमी की वजह से कम है।

अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र सबसे गतिशील रहा और आर्थिक विकास दर में मुख्य भूमिका निभाई है और सकल संवर्धित मूल्य में उसकी बड़ी भागीदारी रही। सेवा क्षेत्र का निर्यात कुल योगदान 2000-01 के 0.746 लाख रुपये से बढ़कर 2018-19 में 14.389 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। यानी कुल निर्यात में इसकी भागीदारी 26.8 प्रतिशत से बढ़कर 38.4 प्रतिशत हो गया।

कृषि के क्षेत्र में दो वर्ष अच्‍छी विकास दर हासिल करने के बाद वर्ष 2018-19 में कृषि और सहायक क्षेत्र की वास्‍तविक विकास दर कम होकर 2.9 प्रतिशत हो गई। कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार वर्ष 2018-19 के दौरान खद्यान्‍नों का कुल उत्‍पादन 2017-18 (अंतिम अनुमान) 283.4 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया था। 2018-19 में खाद्य वस्‍तुओं की कीमतों में महत्‍वपूर्ण गिरावट देखने को मिली, जैसा कि 2018-19 में शून्‍य प्रतिशत उपभोक्‍ता खाद्य मूल्‍य मुद्रास्‍फीति का संकेत दिया गया था, जिसमें वर्ष में पांच महीने के लिए मूल्‍य संकुचन देखने को मिला।

2018-19 के दौरान उद्योग में वृद्धि की दर में विनिर्माण और निर्माण गतिविधि में सुधार के बल पर तेजी आई, जिनकी वजह से दो उप क्षेत्रों, ‘खनन और उत्खनन’ तथा ‘बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाओं’ में वृद्धि हुई। वर्ष 2018-19 में विनिर्माण कुल जीवीए 16.4 प्रतिशत के लिए उत्तरदायी रहा, जो ‘कृषि एवं सम्बद्ध’ क्षेत्र से मामूली अधिक है।

वर्ष 2018-19 में विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर में तेजी आई हालांकि वित्तीय वर्ष के अंत में इसकी गति में कुछ कमी आई और साल की चौथी तिमाही में इसकी वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही, जोकि पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही में क्रमशः 12.1 प्रतिशत 6.9 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत रही। वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में एनबीएफसी की ओर से कम ऋण दिए जाने के कारण ऑटो सेक्टर में बिक्री में वृद्धि हुई।

निर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर अनुमान सीमेंट के उत्पादन और तैयार इस्पात की खपत में वृद्धि का इस्तेमाल कर लगाया जाता है। सीमेंट के उत्पादन और तैयार इस्पात की खपत में 2018-19 में क्रमशः 13.3 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई, जो उनकी 2017-18 की वृद्धि दर से अधिक है और  2018-19 में निर्माण क्षेत्र में उच्च वृद्धि को प्रतिबिंबित करती है।

‘वित्तीय, रियल स्टेट और व्यवसायिक सेवा’ क्षेत्र में 2018-19 में 7.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई, जो वर्ष 2017-18 में हुई 6.2 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है। यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था की समग्र जीवीए के 20 प्रतिशत से अधिक है।

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