Follow Us 👇

Blood Circulation ( परिसंचरण तंत्र )।।

परिसंचरण तंत्र संबंधित प्रश्नोत्तरी ।। 1. कौन सा ‘जीवन नदी’ के रूप में जाना जाता है? उत्तर: रक्त 2. रक्त परिसंचरण की खोज की गई? ...

क्या होती हैं संसदीय समितियाँ?

संसदीय लोकतंत्र में संसद के मुख्यतः दो कार्य होते हैं, पहला कानून बनाना और दूसरा सरकार की कार्यात्मक शाखा का निरीक्षण करना। संसद के इन्ही कार्यों को प्रभावी ढंग से संपन्न करने के लिये संसदीय समितियों को एक माध्यम के तौर पर प्रयोग किया जाता है। सैद्धांतिक तौर पर धारणा यह है कि संसदीय स्थायी समितियों में अलग-अलग दलों के सांसदों के छोटे-छोटे समूह होते हैं जिन्हें उनकी व्यक्तिगत रुचि और विशेषता के आधार पर बाँटा जाता है ताकि वे किसी विशिष्ट विषय पर विचार-विमर्श कर सकें।

कहाँ से आया संसदीय समितियों के गठन का विचार?

भारतीय संसदीय प्रणाली की अधिकतर प्रथाएँ ब्रिटिश संसद की देन हैं और संसदीय समितियों के गठन का विचार भी वहीं से आया है। विश्व की पहली संसदीय समिति का गठन वर्ष 1571 में ब्रिटेन में किया गया था। भारत की बात करें तो यहाँ पहली लोक लेखा समिति का गठन अप्रैल 1950 में किया गया था।

क्यों होती है संसदीय समितियों की आवश्यकता?

संसद में कार्य की बेहद अधिकता को देखते हुए वहाँ प्रस्तुत सभी विधेयकों पर विस्तृत चर्चा करना संभव नहीं हो पाता, अतः संसदीय समितियों का एक मंच के रूप में प्रयोग किया जाता है, जहाँ प्रस्तावित कानूनों पर चर्चा की जाती है। समितियों की चर्चाएँ ‘बंद दरवाज़ों के भीतर’ होती हैं और उसके सदस्य अपने दल के सिद्धांतों से भी बंधे नहीं होते, जिसके कारण वे किसी विषय विशेष पर खुलकर अपने विचार रख सकते हैं।

आधुनिक युग के विस्तार के साथ नीति-निर्माण की प्रक्रिया भी काफी जटिल हो गई है और सभी नीति-निर्माताओं के लिये इन जटिलताओं की बराबरी करना तथा समस्त मानवीय क्षेत्रों तक अपने ज्ञान को विस्तारित करना संभव नहीं है। इसीलिये सांसदों को उनकी विशेषज्ञता और रुचि के अनुसार अलग-अलग समितियों में रखा जाता है ताकि उस विशिष्ट क्षेत्र में एक विस्तृत और बेहतर नीति का निर्माण संभव हो सके।

०००००००००००००००००००००००००००००००००

0 comments:

Post a Comment

Thank You For messaging Us we will get you back Shortly!!!