Follow Us 👇

Blood Circulation ( परिसंचरण तंत्र )।।

परिसंचरण तंत्र संबंधित प्रश्नोत्तरी ।। 1. कौन सा ‘जीवन नदी’ के रूप में जाना जाता है? उत्तर: रक्त 2. रक्त परिसंचरण की खोज की गई? ...

बरामदे की छत में जंगला लोहे का जाल और सूर्य /शनि का खेल

बरामदे की छत में जंगला ( लोहे का जाल ) और सूर्य/शनि का खेल

पुरानी बात है लगभग 18 साल पहले, जब मैं ज्योतिष अभी नई नई सीखना शुरू हुआ था तो एक दिन काफिर साहेब के साथ एक अफसर ( नाम नहीं लिखूंगा )  के घर जाने का मौका मिला , उस अफसर के घर घुसते ही खुला बरामदा था , हवेली की तरह तीन तरफ कमरे और बीच में खुली छत थी तथा छत पर लोहे की सलाखों का जंगला लगा हुआ था, जैसे पुराने घरों में अक्सर होता था और उस बरामदे में एक तख्तपोश लगा हुआ था जिस पर दरी बिछी हुई थी, सिरहाना लगा हुआ था , पास ही एक स्टूल पर पानी की गड़वी ढक कर रखी हुई थी |  हम जैसे ही अंदर प्रवेश हुए उनके संतरी ने हमे बरामदे रोक कर साहब को खबर देने के लिए समय माँगा तो मैं झट से उस तख्तपोश पर बैठ गया, परन्तु मैंने देखा की गुरु इंदर देव काफिर साहेब खड़े ही रहे और मुझे भी ऑंखें दिखाते हुए डांट  कर खड़े होने के लिए बोल दिया तो मैं बहुत हैरान हुआ की बरामदे में बैठने की व्यवस्था थी तो काफिर साहेब उस तख्तपोश पर न खुद बैठे और न ही मुझे बैठने दिया , इतने में कप्तान साहेब खुद गुरुदेव को लेने के लिए बाहर आ गए, उन्होंने गुरुदेव के चरणों को स्पर्श किया और आदर सहित अंदर बैठक ( ड्राइंग रूम) में ले गए | चाय पीते हुए काफिर साहेब ने ssp साहेब से पुछा की बाहर तख्तपोश क्यों लगाया हुआ है , उस पर कौन बैठता है ???

उस को वहां से हटा दो वो बीमारी और लड़ाई का घर है , उसको प्रयोग नहीं करना चाहिए तो एकदम ssp साहेब ने हैरान हो कर पूछा की ऐसा क्यों ???

मैं भी बड़े ध्यान से सुन रहा था क्योंकि काफिर साहेब ने मुझे भी गुस्सा किया था तो काफिर साहेब बोले उस तख्तपोश के ऊपर लोहे की सलाखों वाला जंगला लगा हुआ है , उसके नीचे जो भी बैठेगा उसे अधरंग हो सकता है , याददाश्त जा सकती है , औलाद से झगड़ा होगा , बीमारी लग जाएगी |
इतनी बात सुनते ही ssp साहेब के होश उड़ गए और वो बोले उस पर  तो उनके बुजुर्ग आराम करते हैं और उन्हें पैरालाइसिस है वो बैसाखी से चलते हैं और बाहर बैठे बैठे सबको गाली ही निकलते हैं और उनकी सचमुच उनके साथ नहीं बनती !!!

ये सब सुन कर अब मेरे होश उड़ गए, मैंने हिम्मत करके काफिर साहेब से पूछ हीलिया की बाऊ जी ( मैं उनको बाऊ जी ही कहता था )  ये आपने कैसे जान लिया ???

तो उन्होंने खुलासा किया की छत पर लगा हुआ जंगला शनि का रूप है उसमें से पार हो कर आती हुई धुप सूरज की शक्ति है जो भी नीचे बैठेगा उसे सूरज और शनि का क़हर पड़ेगा जिस से हार्ट अटेक तक हो सकता है, बीमारी चिम्ब्दड जाएगी और सूरज/शनि यानि बाप-बेटे का झगड़ा बढ़ेगा इसलिए वो गलत है उसका इस्तेमाल न करें और जंगले पर तिरपाल डाल  दें !!!

ये बात सुन कर मैं काफिर साहेब की प्रैक्टिस  को मान गया की जो मैं किताबों में पड़ता था की सूरज और शनि इकठे हो गए तो कहर ढा  देते हैं वो उन्होंने मुझे साक्षात् दिखा दिए और ऐसा ही अनुभव मुझे अपने निजी घर में भी हुआ जहां छत पर मेरे दादा जी ने जंगला लगवाया हुआ था और उस जंगल पर हमेशा सोने वाले चाचा जी का भयानक एक्सीडेंट हुआ जिसमे उनकी एक बाजू कट कर गिर गयी और  अचानक युवा अवस्था में ही एक दिन मेरे चाचा जी  चल बसे और उस घर में पिता-पुत्र में विवाद बढ़ते मैंने देखे और उनका पतन होते हुए देखा और आज भी वहां वंश वृद्धि की प्रॉब्लम चल रही है और दादा जी की आयु लगभग 95 वर्ष हो चुकी है |

आज काफिर साहेब भी स्वर्गवासी हो चुके हैं परन्तु उनके सिखाये हुए फार्मूले आज भी बिना कुंडली के लक्षण  देख कर ही सामने वाले के घर के हालात बता देते हैं और मैं मन ही मन उनको प्रणाम करता हूँ और मनमसोस कर रह जाता हूँ की काफिर साहेब से ज्यादा कुछ सीख नहीं पाया .........

बाकी फिर कभी लिखूंगा किसी और अनुभव याद आया तो.....


Source

Pandit Rajan Sharma

0 comments:

Post a Comment

Thank You For messaging Us we will get you back Shortly!!!