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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

निजीकरण का जहर

तमाम मित्र निजीकरण का समर्थन कर रहें है पर जब तक वो इस मीठे जहर को समझेंगे तब तक वो हर नस में घुस चुका होगा।
    मुझे निजीकरण में जिस बात का डर था वो सामने आने लगे, उच्च वर्ग के लोग तेजस ट्रैन से खुस थे क्योकि वो पैसा खर्च कर सुविधा चाहते है पर हमरे देश मे 80%  जनता कम खर्च में काम करना चाहती है वो थोड़ा सा पैसा बचा कर बेटी की शादी, बेटे की पढ़ाई, मा बाप की दवाई आदि के लिए बचाता है आम इंसान तेजस नही सामान्य ट्रेन में सफर करता है ऐसा नही की वो करना नही चहतापर उसकी जिम्मेदारी उसे रोक देती है।हमारे देश मे आज भी लोग अपनी शादी का कोट पैंट पहन कर कम से कम 25 शादी निपटा देते है सोचते है कि कुछ देर की ही तो बात। आज खबर आ रही है तेजस के लिए ट्रेनों को अचानक रोका जाने लगा मतलब पैसे वाले समय से पहुंचे और गरीब घिसता रहे।
   देश के 5%  रईश भी वोट नही देते होंगे चुनाव रैली में नही जाते होंगे क्योकि उन्हें कोई फर्क नही पड़ता कि सरकार किसकी है वो तो पैसे से सब कर लेते है और जिसे फर्क पड़ता है सरकार से उसके लिए सरकार काम ही नही करना चाह रही।
             तेजस के लिए बाकी ट्रेनें रोकी जाएंगी अभी 50 और चलेंगी तब क्या हाल होगा सरकारी रेल का ट्रैक तो एक ही उस पर प्राथमिकता निजी ट्रेनों की रहेगी और सामान्य इंसान भटकता रहेगा और मजबूरन 100 किमी की दूरी 10 घंटे में पूरी करेगा।
                  एक बात बताइये आप भरोसा किस पर करते है सरकारी पर या निजी पर निश्चित तौर पर सरकारी पर वो भी इस हद तक कि लड़की की शादी के लिए भी 1लाख निजी क्षेत्र में पाने वाले कि जगह 40 हजार पाने वाले सरकारी को ही चाहते हैं।
    हर व्यक्ति चाहता है कि मेरे बेटे को सरकारी कॉलेज मिले क्यो उत्तर साफ है सरकारी की क़्वालिटी में कोई कमी नही है, IIT, IIM, AIMS ,PGIये सब सरकारी है, क्या कोई निजी कॉलेज इनकी बराबरी कर सकता है नही न।
            निजी का समर्थन करने से पहले सोचिए कि अगर देश के सारे हॉस्पिटल निजी कर दिए जाएं तो गरीब को कौन सा हॉस्पिटल इलाज के लिए लेगा। क्या आपको पता नही है कि आपका मरीज चाहे मर रहा हो पर जब तक पैसा नही जमा हो जाता इलाज शुरू नही होता कई बार मरने पर भी लाश तब तक नही दी जाती जब तक बिल का भुकतान नही हो जाता। कितने निजी हॉस्पिटल में किसी गरीब का इलाज होते देखा है।
      आज जब इलाज के लिए किसी निजी हॉस्पिटल में जाते ह तब भी देखते हैं कि वो डॉक्टर किस सरकारी हॉस्पिटल में डॉक्टर रह चुका है।जितने भी फेमस डॉक्टर है सब किसी न किसी सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर रहे हैं।
               अक्सर लोग बोल बैठते है कि जब सरकारी का इतना समर्थन है तो सरकारी मास्टर अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में क्यो नही पढ़ाते? तो मैं बता देना चाहता हूँ कि हर शिक्षक पढ़ाने को तैयार है हमे सरकारी शिक्षक से दिक्कत नही है, सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधायों से दिक्कत है। निजी विद्यालयों जैसे भवन दीजिये, फर्नीचर दीजिये, बोर्ड दीजिये,लैब दीजिये, स्मार्ट क्लास दीजिये, पुस्तकालय लीजिये,  शौचालय दीजिये,खेल का मैदान दीजिये, स्टाफ दीजिये, हर क्लास को एक शिक्षक दीजिये हर कोई पढ़ाने को तैयार हैं। 
       केरला एक ऐसा राज्य है जंहा 95% से अधिक जनता अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाती है और केरल सबसे अधिक IAS देता है IIT देता है वैज्ञानिक देता है डॉक्टर देता शिक्षा पूरे देश मे सबसे आगे है कैसे जबकि सब सरकारी है।
             जरा सोच कर वताइये आप सरकारी हॉस्पिटल जाने से क्यो बचते क्या वँहा के डॉक्टर पर भरोसा नही जी नही डॉक्टर पर बहुत भरोसा है पर वँहा की व्यवस्था से दिक्कत है तो बताइते क्या व्यवस्था डॉक्टर सुधारेंगे या सरकार सुधरेगी, वही हाल  शिक्षको है किसी भी स्कूल में निजी स्कूलों की तरह भैतिक साधन नही है, 2 शिक्षक 5 क्लास पढ़ाते है, साथ ही क्लर्क चैकीदार सब बन जाते है। जब प्रयाप्त शिक्षक नही है तो कैसे सुधरेगा स्कूल और दोष दिया जाता है शिक्षक को।
   अगर देश के सैनिक को हथियार की जगह गुलेल दे देंगे , जंहा 100 चाहिए वँहा 10 सैनिक देंगे और जब वो हार जाए तो उसे कायर कहेंगे सैनिक कितना भी बहादुर हो लड़ने के लिए हथियार तो चाहिए ही।
   निजीकरण जोंक की तरह है जब तक शरीर मे खून है चूसेंगे वरना बोल देंगे हम दिवालिया हो गए और चल देंगे।
 एक उदाहरण और देता हूँ pvr तो गए ही होंगे कोल्ड्रिंक भी पी होगी कितने की पी? जो बाहर 20रु की मिलती है वो उनके क्षेत्र में 220रु की हो जाती है वो उनका निजी क्षेत्र है वो कितने की भी बेंचे कोई कुछ नही बोल सकता। ये है निजीकरण ।
🤔😧😧

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