=> स्थापना वर्ष - 1965
=> पुरुस्कार राशि - प्रारम्भ में 1 लाख रु
2005 में 7 लाख रु
2011 से वर्तमान तक 11 लाख रु
** ज्ञानपीठ पुरुस्कार के रूप में 11 लाख रूपये, प्रशस्ति पत्र और वाङ्गदेवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है।
=> भारतीय ज्ञानपीठ पुरुस्कार हिंदी साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरुस्कार है।
प्रथम विजेता - जी शंकर कुरूप
भाषा - मलयालम , वर्ष - 1965
=> 1965 से अब तक सर्वाधिक हिंदी भाषा में 10 लोगों को, जबकि कन्नड़ भाषा में 7 लोगों को दिया जा चूका है। सन कृति
१. सुमित्रानंदन पंत 1968 चिदंबरा
२. रामधारी सिंह दिनकर 1972 उर्वशी
३. सचिदानंद हीरानंद वा. अज्ञेय 1978 कितनी नावों में कितनी बार
४. महादेवी वर्मा 1982 यामा
=> हिंदी में भारतीय ज्ञानपीठ पुरुस्कार से नवाजे गए सर्वप्रथम सुमित्रा नंदन पंत थे।
=> हिंदी साहित्य में भारतीय ज्ञानपीठ से नवाजी गई प्रथम महिला महादेवी वर्मा थी।
=> भारतीय ज्ञानपीठ पुरुस्कार प्राप्त करने वाली सर्वप्रथम महिला आशापूर्ण देवी थी।
( यह इनको बांग्ला भाषा में 1976 में दिया गया था। )
मिलने वाले पुरुस्कारों का क्रम
१. सुमित्रानंदन पंत -- 4 वां पुरुस्कार
२. रामधारी सिंह दिनकर -- 8 वां पुरुस्कार
३. सचिदानंद हीरानंद वा. अज्ञेय -- 14 वां पुरुस्कार
४. महादेवी वर्मा -- 18 वां पुरुस्कार
=> नरेश मेहता को ज्ञानपीठ पुरुस्कार 'सम्पूर्ण साहित्य' के लिए 1992 में 28 वां पुरुस्कार दिया गया। यह हिंदी 'भाषा' के लिए दिया गया।
=> निर्मल वर्मा (हिंदी में) और गुरुदयाल (पंजाबी में ) सिंह 'सम्पूर्ण साहित्य' के लिए 1999 में35 वां ज्ञानपीठ पुरुस्कार दिया गया।
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