भारत के संविधान में लिखा है कि भारत एक राज्यों का संघ है. इस समय भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं. इन सभी राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से हर 5 साल के अन्तराल पर गठित किये जाने वाले वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्र के करों में हिस्सा दिया जाता है; जिसे राज्य अपने विकास कार्यों और राज्य मशीनरी को ठीक से चलाने के लिए खर्च करता है.
वित्त आयोग द्वारा दिए जाने वाले हिस्से से अलग केंद्र सरकार किसी राज्य को और अधिक वित्तीय सहायता देता है. वर्तमान में भारत के 29 राज्यों में से 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है और 5 अन्य राज्य इस दर्जे की मांग कर रहे हैं.
विशेष राज्य का दर्जा कैसे दिया जाता है?
वर्ष 1969 में पांचवे वित्त आयोग (अध्यक्ष महावीर त्यागी) ने गाडगिल फोर्मुले के आधार पर 3 राज्यों (जम्मू & कश्मीर, असम और नागालैंड) को विशेष राज्य का दर्जा दिया था. इन तीनों ही राज्यों को विशेष दर्जा देने का कारण इन राज्यों का सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक पिछड़ापन था. राष्ट्रीय विकास परिषद् ने राज्यों को विशेष दर्जा देने के लिए निम्न मापदंडों को बनाया है.
जिस प्रदेश में संसाधनों की कमी हो
कम प्रति व्यक्ति आय हो
राज्य की आय कम हो
जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा हो
पहाड़ी और दुर्गम इलाके में स्थित हो
कम जनसंख्या घनत्व
प्रतिकूल स्थान
अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित होना
विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर क्या फायदा मिलता है?
किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर निम्न लाभ केंद्र सरकार की तरफ से प्राप्त होते हैं.
1. विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को उत्पादन कर (Excise duty), सीमा कर(Custom duty), निगम कर (Corporation tax), आयकर (Income tax) के साथ अन्य करों में भी छूट दी जाती है.
जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है उनको जितनी राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है उसका 90% अनुदान (grant) के रूप में और बकाया 10% बिना ब्याज के कर्ज के रूप में दिया जाता है. इसके अलावा अन्य राज्यों को केंद्र की आर्थिक सहायता का 70% हिस्सा कर्ज के रूप में (इस धन पर ब्याज देना पड़ता है) और बकाया का 30% अनुदान के रूप में दिया जाता है.
यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि जो राशि केंद्र सरकार से राज्य सरकार को अनुदान के रूप में दी जाती है उस राशि को केंद्र सरकार को वापस लौटाना नही पड़ता है, लेकिन जो राशि उधार के तौर पर राज्यों को दी जाती है उस पर राज्य सरकार को ब्याज देना पड़ता है.
केन्द्र के सकल बजट में नियोजित खर्च (planned expenditure) का लगभग 30% हिस्सा उन राज्यों को दिया जाता है जिनको विशेष श्रेणी के राज्यों में रखा गया है.
विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को ऋण स्वैपिंग स्कीम और ऋण राहत योजनाओं का लाभ भी मिलता है.
विशेष दर्जा प्राप्त जो राज्य; एक वित्त वर्ष में पूरा आवंटित पैसा खर्च नही कर पाते हैं उनको यह पैसा अगले वित्त वर्ष के लिए जारी कर दिया जाता है.
वर्तमान में किन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है?
मणिपुर , मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, असम, जम्मू & कश्मीर, नागालैंड
निम्न 5 राज्य विशेष राज्य के दर्जे को लेकर आंदोलित हैं:
1. बिहार, आन्ध्र प्रदेश ,राजस्थान, गोवा, ओडिशा
अन्य राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नही मिल रहा है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली का तर्क है कि 14 वें वित्त आयोग (Y.V रेड्डी के अध्यक्षता में गठित) की सिफारिशें सौंपी जा चुकी हैं; इसलिए अब इसकी सिफारिशें में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नही किया जा सकता है. इस कारण अब विशेष राज्य का किसी अन्य राज्य को नही दिया जा सकता है.
उम्मीद है कि लेख को पढने के बाद आप समझ गए होंगे कि विशेष राज्य का दर्जा किन राज्यों को दिया गया है, किस आधार पर दिया जाता है और जिन राज्यों के पास यह दर्जा है उनको क्या-क्या सुविधाएँ मिल रही हैं जो कि अन्य राज्यों को नही मिल रहीं हैं?
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