ओडिशा के समुद्री तट के पास रुशिकुल्या नदी के मुहाने पर सारी तैयारियाँ कर ली गई हैं जहाँ विश्व के सबसे छोटे समुद्री कछुए ओलिव रिडले (Olive Ridleys) प्रत्येक वर्ष अंडे देने के लिये आते हैं।
मुख्य बिंदु:
ओलिव रिडले समुद्री कछुओं (Lepidochelys olivacea) को ‘प्रशांत ओलिव रिडले समुद्री कछुओं’ के नाम से भी जाना जाता है।
ये मुख्य रूप से प्रशांत, हिंद और अटलांटिक महासागरों के गर्म जल में पाए जाने वाले समुद्री कछुओं की एक मध्यम आकार की प्रजाति है। ये मांसाहारी होते हैं।
आईयूसीएन स्थिति:-
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाले विश्व के सबसे पुराने और सबसे बड़े संगठन आईयूसीएन (International Union for Conservation of Nature- IUCN) द्वारा जारी रेड लिस्ट में इसे अतिसंवेदनशील (Vulnerable) श्रेणी में रखा गया है।
ओलिव रिडले कछुए हज़ारों किलोमीटर की यात्रा कर ओडिशा के गंजम तट पर अंडे देने आते हैं और फिर इन अंडों से निकले बच्चे समुद्री मार्ग से वापस हज़ारों किलोमीटर दूर अपने निवास-स्थान पर चले जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि लगभग 30 साल बाद यही कछुए जब प्रजनन के योग्य होते हैं, तो ठीक उसी जगह पर अंडे देने आते हैं, जहाँ उनका जन्म हुआ था।
दरअसल अपनी यात्रा के दौरान वे भारत में गोवा, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश के समुद्री तटों से गुज़रते हैं, किंतु प्रजनन करने और घर बनाने के लिये ओडिशा के समुद्री तटों की रेत को ही चुनते हैं।
ओलिव रिडले कछुए
◾️ भारत में ओडिशा का तट ओलिव-रिडले के लिए सबसे बड़ा सामूहिक घोंसला बनाने का स्थल है।
◾️️ ये प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर के गर्म पानी में पाए जाते हैं।
◾️️ ओलिव रिडले कछुए दुनिया में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले कछुए हैं।
◾️️ वे अपने अनोखे सामूहिक घोंसले के लिए जाने जाते हैं जिन्हें अरिबडा कहा जाता है।
◾️ वे एक वर्ष के दौरान भोजन और संभोग के मैदानों के बीच हजारों किलोमीटर की दूरी तय करते हैं।
◾️️ उनके मांस, खोल और चमड़े और उनके अंडों के लिए बड़े पैमाने पर अवैध शिकार किया जाता है।
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