० मध्य प्रदेश वन विभाग ने पहली बार एक इंडियन पैंगोलिन (Indian Pangolin) को रेडियो-टैग किया है।
🔰मुख्य बिंदु:-
० रेडियो-टैगिंग में एक ट्रांसमीटर द्वारा किसी वन्यजीव की गतिविधियों पर नज़र रखी जाती है। इससे पहले कई वन्यजीवों जैसे- बाघ, तेंदुआ और प्रवासी पक्षियों को भी टैग किया जा चुका है।
० इंडियन पैंगोलिन की पारिस्थितिकी विशेषताओं एवं प्रभावी संरक्षण योजना विकसित करने के तरीके के बारे में जानने के लिये इसे रेडियो-टैग किया गया है।
० रेडियो-टैगिंग, वन विभाग और वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट (WCT) नामक गैर-लाभकारी संगठन की एक संयुक्त परियोजना का हिस्सा है।
🔰 पैंगोलिन:-
० पैंगोलिन की आठ प्रजातियों में इंडियन पैंगोलिन और चीनी पैंगोलिन भारत में पाए जाते हैं।
० इंडियन पैंगोलिन एक बड़ा चींटीखोर (Anteater) है जिसकी पीठ पर शल्कनुमा संरचना की 11-13 पंक्तियाँ होती हैं।
० इंडियन पैंगोलिन की पूँछ के निचले हिस्से में एक टर्मिनल स्केल मौजूद होता है जो चीनी पैंगोलिन में नहीं मिलता है।
🔰आवास:-
० इंडियन पैंगोलिन व्यापक रूप से शुष्क क्षेत्रों, उच्च हिमालय एवं पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर शेष भारत में पाया जाता है। यह प्रजाति बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में भी पाई जाती है।
० चीनी पैंगोलिन पूर्वी नेपाल में हिमालय की तलहटी क्षेत्र में, भूटान, उत्तरी भारत, उत्तर-पूर्वी बांग्लादेश और दक्षिणी चीन में पाया जाता है।
🔰 IUCN में स्थिति:-
० इंडियन पैंगोलिन को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की लाल सूची में संकटग्रस्त ( #Endangered) , जबकि चीनी पैंगोलिन को गंभीर संकटग्रस्त (Critically Endangered) की श्रेणी में रखा गया है।
० इन दोनों प्रजातियों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के भाग-I की अनुसूची-I के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
🔰 विश्व पैंगोलिन दिवस:-
० विश्व पैंगोलिन दिवस प्रत्येक वर्ष फरवरी महीने के तीसरे शनिवार को मनाया जाता है जिसका उद्देश्य पैंगोलिन के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना और इन प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिये विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाने का एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास है।
० इस वर्ष नौवाँ विश्व पैंगोलिन दिवस 15 फरवरी, 2020 को मनाया गया।
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