प्रमुख बिंदु:
इस वर्ष (2020) जनवरी में अमेरिका ने घोषणा की थी कि स्टील और एल्युमीनियम के डेरिवेटिव टैरिफ वृद्धि के अधीन होंगे। इसके पश्चात् मार्च 2018 में घोषित टैरिफ वृद्धि को पहले के सेफगार्ड मीज़र्स (Safeguard Measures) के विस्तार के रूप में माना जा रहा है।
भारत अमेरिका के इन मीज़र्स को ‘जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड, 1994’ (General Agreement on Tariffs and Trade 1994) और ‘एग्रीमेंट ऑन सेफगार्ड’ (Agreement on Safeguards) के तहत एक सेफगार्ड मीज़र्स मानता है।
एग्रीमेंट ऑन सेफगार्ड के प्रावधान के अनुसार, एक WTO सदस्य देश जो एक सुरक्षा उपाय लागू करने का प्रस्ताव करता है, उसको अन्य प्रभावित सदस्य देशों के साथ परामर्श के लिये पर्याप्त अवसर प्रदान करना चाहिये।
हालांकि परामर्श/मंत्रणा विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रणाली के तहत नहीं आते हैं।
इस प्रकार भारत इस प्रकरण में अमेरिका से निर्यात प्रभावित होने की स्थिति में उचित व्यापार मुआवज़े का निर्धारण करने के उपायों की मांग कर रहा है। जिससे भारत अपने भुगतान संतुलन को ठीक कर सके।
भारत अमेरिका से इस संबंध में अमेरिका से त्वरित प्रतिक्रिया की अपेक्षा कर रहा है जिससे वर्तमान वैश्विक मंदी की स्थिति में अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने के पक्ष में सकारात्मक कार्रवाई कर सके।
ध्यातव्य है कि इससे पहले मार्च 2018 में, जब अमेरिका ने स्टील पर 25 प्रतिशत और एल्युमीनियम पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया था तब भी भारत और अमेरिका के मध्य आयात शुल्क को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
विश्व व्यापार संगठन
WTO की स्थापना की भूमिका वर्ष 1944 में आयोजित ब्रेटनवुड्स सम्मेलन (Bretton Woods Conference) से जुड़ी है जिसने द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद वैश्विक वित्तीय प्रणाली की आधारशिला रखी। इसके आधार पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) और विश्व बैंक (World Bank) की स्थापना की गई।
विश्व के सभी देशों को व्यापार के लिये एक मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1948 में बनाए गए गैट (General Agreement on Tarrifs & Trade-GATT) के स्थान पर 1 जनवरी, 1995 को WTO की स्थापना हुई थी।
WTO विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना मराकेश संधि के तहत की गई थी।
यह सामान्य परिषद (General Council) का काम भी देखती है, जो कि विभिन्न देशों के राजनयिकों से मिलकर बनती है और संस्था के प्रतिदिन के कामों को देखती है। इसमें होने वाले फैसलों को लागू कराने के लिये सभी सदस्य देशों के हस्ताक्षर ज़रूरी हैं।
वर्तमान में विश्व के अधिकतम देश इसके सदस्य हैं। सदस्य देशों का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इसके निर्णयों के लिये सर्वोच्च निकाय है, जिसकी बैठक प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित की जाती है।
29 जुलाई, 2016 को अफगानिस्तान इसका 164वाँ सदस्य बना।
इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
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