COVID-19 के मद्देनज़र राज्यों द्वारा अपने राज्यों की सीमाओं को बंद करने का निर्णय लेने के बाद देश भर में फंसे ट्रकों की स्थिति को देखते हुए ट्रांसपोर्टरों ने एक्स्पायर्ड ई-वे बिल (E-way Bill) पर संभावित दंड को लेकर चिंता जताई है।
मुख्य बिंदु:
लाकडाउन के कारण ट्रक ड्राइवरों के पास ट्रांजिट या गोदामों में माल के लिये ई-वे बिल की अवधि समाप्त हो रही है और उन्हें नियत तारीख पर नवीनीकृत भी नहीं किया जा सकता है।
अधिसूचित ई-वे बिल नियमों के अनुसार, प्रत्येक पंजीकृत आपूर्तिकर्त्ता को इन सामानों की आवाजाही के लिये ई-वे बिल पोर्टल पर पूर्व ऑनलाइन पंजीकरण की आवश्यकता होती है।
ई-वे बिल से संबंधित नियम यह भी निर्दिष्ट करते हैं कि पारंपरिक खेप हेतु परमिट एक दिन के लिये (100 किमी. के लिये माल की आवाजाही हेतु) मान्य है और बाद के दिनों में उसी अनुपात में परमिट जारी किये जाते हैं।
कर अधिकारियों के पास कर चोरी की जाँच करने के लिये पारगमन के दौरान किसी भी समय ई-वे बिल की जाँच करने का अधिकार होता है।
सामान्य तौर पर ई-वे बिल की वैधता को बढ़ाया नहीं जा सकता है किंतु एक आयुक्त केवल कुछ श्रेणियों के लिये अधिसूचना जारी करके वैधता अवधि को बढ़ा सकता है।
यदि वैध ई-वे बिल निर्गमित किये बिना माल ले जाया जाता है तो कर अधिकारी उस पर 10,000 रुपए का जुर्माना या कर की राशि जो भी अधिक हो, लगा सकते है। ऐसी स्थिति में माल साथ उस वाहन को भी हिरासत में लिया जा सकता है।
ई-वे बिल:
ई-वे बिल, जी.एस.टी. के तहत एक बिल प्रणाली है जो वस्तुओं के हस्तांतरण की स्थिति में जारी की जाती है। इसमें हस्तांतरित की जाने वाली वस्तुओं का विवरण तथा उस पर लगने वाले जी.एस.टी. की पूरी जानकारी होती है।
नियमानुसार 50000 रुपए से अधिक मूल्य की वस्तु, जिसका हस्तांतरण 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक किया जाना है, उस पर इसे आरोपित करना आवश्यक होता है। नागरिकों की सुविधा के लिये लिक्विड पेट्रोलियम गैस, खाद्य वस्तुओं, गहने इत्यादि 150 उत्पादों को इससे मुक्त रखा गया है।
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