Coral Osteoporosis
हाल ही में किये गए एक अध्ययन में पता चला कि जलवायु परिवर्तन के मद्देनज़र महासागरों के अम्लीय होने के कारण कोरल 'ऑस्टियोपोरोसिस' (Osteoporosis) विकसित होता है।
प्रमुख बिंदु:
27 अगस्त, 2020 को जर्नल ‘जियोफिज़िकल रिसर्च लेटर्स’ (Geophysical Research Letters) में प्रकाशित एक पेपर में शोधकर्त्ताओं ने ग्रेट बैरियर रीफ (Great Barrier Reef) के साथ-साथ दक्षिण चीन सागर में दो प्रवाल भित्तियों पर कोरल कंकाल घनत्व में उल्लेखनीय कमी देखी है। यह कमी वर्ष 1950 के बाद से इन प्रवाल भित्तियों के आसपास जल में बढ़ती अम्लीयता से संबंधित है।
अध्ययन में बताया गया कि 20वीं सदी के समुद्री अम्लीकरण का ग्रेट बैरियर रीफ और दक्षिण चीन सागर में की-स्टोन रीफ-बिल्डिंग कोरल प्रजातियों के विकास पर औसत दर्जे का प्रभाव था। किंतु अगले कई दशकों में समुद्री अम्लीकरण के बढ़ने से इन प्रभावों में तेज़ी आएगी।
सामान्य तौर पर वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का एक तिहाई हिस्सा समुद्र द्वारा अवशोषित होता है जिससे पूर्व-औद्योगिक युग के बाद से समुद्री जल के पीएच (pH) में औसत 0.1 यूनिट की गिरावट हुई है। समुद्री अम्लीकरण के रूप में जानी जाने वाली इस घटना से समुद्री जल में कार्बोनेट आयनों की सांद्रता में 20% की कमी आई है।
परिणामतः कोरल जैसे जीव जो अपना कंकाल बनाने के लिये कैल्शियम कार्बोनेट पर निर्भर रहते हैं, वे जोखिम की स्थिति से गुजर रहे हैं क्योंकि महासागरीय पीएच (pH) में लगातार गिरावट जारी है।
महासागरीय अम्लीकरण, कोरल द्वारा निर्मित कंकाल घनत्व को लक्षित करता है और धीरे-धीरे प्रवाल की क्षमता को कमज़ोर करता है जैसे ऑस्टियोपोरोसिस मनुष्यों में हड्डियों को कमज़ोर करता है।
शोधकर्त्ताओं ने पाया कि वर्ष 1950 के आसपास शुरू हुआ महासागरीय अम्लीकरण ग्रेट बैरियर रीफ (13%) और दक्षिण चीन सागर (7%) में कंकाल घनत्व में महत्त्वपूर्ण गिरावट का कारण है। इसके विपरीत उन्होंने फीनिक्स द्वीप (Phoenix Islands) और मध्य प्रशांत में एक ही प्रकार के कोरल पर समुद्री अम्लीकरण का कोई प्रभाव नहीं मिला जहाँ संरक्षित रीफ प्रदूषण, अत्यधिक मत्स्यन आदि से प्रभावित नहीं होती हैं।
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