✍️Repo Rate - रेपो रेट क्या है.
जिस प्रकार किसी व्यक्ति को पैसे की जरुरत होती है और उसके अकाउंट में पैसा न होने पर वो बैंक से कर्ज लेता है, जिसपर ब्याज भी चुकानी पड़ती है. ऐसे ही बैंक भी अपनी जरुरत के अनुसार RBI से उधार ले सकते हैं, यह कर्ज उन्हें जिस ब्याज दर के साथ चुकाना होता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. Commercial banks RBI से कर्ज तब लेते हैं पैसे की कमी होती है और लोन की मांग अधिक होती है. इसलिए बाजार की मांग को पूरा करने के लिए वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से पूंजी प्राप्त करने के लिये रेपो दर के अनुसार उधर लेते हैं.
✍️रेपो रेट का आम आदमी पर क्या असर पड़ता है -
अगर बैंक को कम ब्याज दर पर RBI से लोन मिलेगा, उससे ग्राहकों को भी सस्ते ब्याज दर पर कर्ज मिलता है. अर्थात रेपो रेट कम होने पर पर्सनल लोन, होम, कार लोना पर भी कम ब्याज देना होगा. ऐसे ही अगर रेपो रेट बढ़ता है तो आपसे भी बैंक ब्याज अधिक वसूलेंगे.
✍️Reverse Repo Rate - क्या है रिवर्स रेपो रेट ?
जब Commercial banks दिनभर के काम काज के बाद बची हुई रकम को RBI के पास जमा कर देता है, जिस पर RBI बैंक को ब्याज देती है. Commercial banks द्वारा रखी गई इस रकम पर, जिस ब्याज दर पर RBI ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है. यह हमेशा रेपो रेट से कम होता है.
✍️आम आदमी पर रिवर्स रेपो रेट में बदलाव का असर
जब कभी बैंकों के पास नगद ज्यादा हो जाता है तो देश में महंगाई बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है, ऐसे में RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, जिससे Commercial banks ज्यादा से ज्यादा रकम RBI के पास ब्याज कमाने के लिए रख दें. जिससे बैंकों के पास बाजार में बांटने के लिए कम रकम रह जाती है और महंगाई का खतरा कम हो जाता है.
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