Crustacea
हाल ही में पृथ्वी पर सबसे गर्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध मरुस्थल दश्त-ए लुट (Dasht-e Lut) से मीठे पानी के क्रस्टेशिया (Crustacea) की एक नई प्रजाति की खोज की गई है।
प्रमुख बिंदु:
क्रस्टेशिया की यह नई ज्ञात प्रजाति जीनस फालोक्रिप्टस (Phallocryptus) से संबंधित है।
गौरतलब है कि अलग-अलग शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में क्रस्टेशिया (Crustacea) की पहले से ही चार प्रजातियाँ ज्ञात हैं।
ईरानी संरक्षण जीवविज्ञानी ‘हादी फहीमी’ (Hadi Fahimi) के सम्मान में क्रस्टेशिया (Crustacea) की इस नई प्रजाति को फालोक्रिप्टिस फहीमी (Phallocryptus Fahimii) नाम दिया गया है। जिनकी वर्ष 2018 में एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
गौरतलब है कि जीवविज्ञानी ‘हादी फहीमी’ (Hadi Fahimi) वर्ष 2017 में उस अभियान दल का हिस्सा थे जो ईरान के दश्त-ए लुट मरुस्थल की पारिस्थितिकी, जैव विविधता, भू-आकृति विज्ञान एवं जीवाश्म विज्ञान को बेहतर ढंग से समझने के लिये इसका अन्वेषण कर रहा था।
क्रस्टेशिया (Crustacea) की इस नई प्रजाति से संबंधित निष्कर्षों को ‘ज़ूलॉजी इन मिडिल ईस्ट’ (Zoology in the Middle East) में प्रकाशित किया गया है।
दश्त-ए लुट (Dasht-e-Lut):
यह एक विशाल लवणीय रेगिस्तान है जो ईरान के केरमान (Kerman) एवं सिस्तान (Sistan) तथा बलूचिस्तान (Baluchestan) प्रांतों में फैला हुआ है।
यह दुनिया का 25वाँ सबसे बड़ा रेगिस्तान है और ईरान का दूसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है।
दश्त-ए-काविर (Dasht-e-Kavir) जिसे काविर-ए-नमक एवं ग्रेट साल्ट डेज़र्ट (Great Salt Desert) के रूप में भी जाना जाता है, ईरान का सबसे बड़ा मरुस्थल है।
इसे 17 जुलाई, 2016 को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था।
वर्ष 2006 में नासा (NASA) ने इस रेगिस्तान का तापमान 70.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया था जो हाल के दिनों में बढ़कर 80.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है। गहरे कंकड़ (Dark Pebbles) जो गर्मी उत्पन्न करते हैं, इस अधिकतम तापमान के कारणों में से एक हैं।
यहाँ औसत तापमान -2.6°C (सर्दियों में) से लेकर 50.4°C (गर्मियों में) तक होता है जबकि वार्षिक वर्षा 30 मिमी. प्रति वर्ष से अधिक नहीं होती है।
रेगिस्तान की एफ्रो-एशियाई बेल्ट (Afro-Asian Belt of Deserts):
ईरान, रेगिस्तान की एफ्रो-एशियाई बेल्ट का एक हिस्सा है जो पश्चिम अफ्रीका के केप वर्डे द्वीपों (Cape Verde Islands) से लेकर मंगोलिया तक फैली हुई है।
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