भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वाँग यी के बीच गुरुवार को मॉस्को में हुई मुलाक़ात में यह फ़ैसला लिया गया.
भारत के विदेश मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भारत एलएसी पर जारी तनाव को और नहीं बढ़ाना चाहता है और चीन के प्रति भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. भारत का यह भी मानना है कि भारत के प्रति चीन की नीति में भी किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है.
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो पड़ोसी देश होने के नाते ये बहुत स्वाभाविक है कि चीन और भारत में कुछ मुद्दों पर असहमति है, लेकिन अहम बात यह है कि उन असहमतियों को सही परिपेक्ष्य में देखा जाए.
समाचार एजेंसी एएनआई ने चीनी विदेश मंत्रालय के हवाले से लिखा है, "चीनी विदेश मंत्री वाँग यी ने कहा कि चीन और भारत के संबंध एक बार फिर दोराहे पर खड़े हैं. लेकिन जब तक दोनों पक्ष अपने संबंधों को सही दिशा में बढ़ाते रहेंगे, तब तक कोई परेशानी नहीं होगी और ऐसी कोई भी चुनौती नहीं होगी जिसको हल नहीं किया जा सकेगा."
⭕️पांच बिंदुओं पर बनी सहमति
INDO-CHINA SEP 2020
बैठक के बाद जारी एक बयान में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच भारत-चीन सीमा को लेकर और भारत-चीन के बीच संबंधों को लेकर सकारात्मक बातचीत हुई.
⭕️जिन पांच मुद्दों पर दोनों के बीच सहमति बनी, वो हैं -
भारत और चीन के बीच संबंध बढ़ाने को लेकर दोनों पक्ष नेताओं के बीच हुई सहमतियों से सलाह लेंगे. इसमें असहमतियों को तनाव का रूप अख्तियार नहीं करने देना भी शामिल है.
दोनों नेताओं ने माना कि सीमा को लेकर मौजूदा स्थिति दोनों पक्षों के हित में नहीं है. दोनों पक्ष की सेनाओं को बातचीत जारी रखनी चाहिए, जल्द से जल्द डिस्इनगेज करना चाहिए, एक दूसरे से उचित दूरी बनाए रखना चाहिए और तनाव कम करना चाहिए.
भारत-चीन सीमा के इलाक़ों में शांति और सौहार्द्य बनाए रखने और सीमा मामलों को लेकर दोनों पक्ष सभी मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करेंगे और तनाव बढ़ाने जैसी कोई कार्रवाई न की जाए.
भारत-चीन मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच स्पेशल रिप्रेज़ेन्टेटिव मेकनिज़्म के ज़रिए बातचीत जारी रखी जाए. साथ ही सीमा मामलों में कन्सल्टेशन और कोऑर्डिनेशन पर वर्किंग मेकानिज़्म के तहत भी बातचीत जारी रखी जाएगी.
जैसे-जैसे तनाव कम होगा दोनों पक्षों को सीमा इलाक़ों में शांति बनाए रखने के लिए आपस में भरोसा बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए
⭕️15-16 जून को हिंसक झड़प
गलवान घाटी में अप्रैल के महीने से ही तनाव बना हुआ है. भारत में कुछ रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अप्रैल से ही और ख़ासकर मई महीने के पहले हफ़्ते से चीनी सैनिक एलएसी के उन इलाक़ों में घुस गए हैं जिन्हें भारत अपना मानता रहा है.
लेकिन भारत का सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व इन आरोपों को ख़ारिज करता रहा है.
भारत का कहना है कि मई महीने के मध्य में चीन ने सीमा पर पश्चिमी सेक्टर में एलएसी का उल्लंघन करने की कोशिश की जिसका उन्हें उचित जवाब दिया गया. इसके बाद सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों पक्षों में सैन्य स्तर पर और कूटनीतिक स्तर पर भी बात हुई और 6 जून 2020 को वरिष्ठ कमांडरों की बैठक हुई.
भारत का दावा है कि दोनों पक्ष एलएसी का सम्मान करने के लिए सहमत हुए और इस बात पर भी आम राय बनी थी कि स्थिति बदलने वाला कोई क़दम नहीं उठाया जाएगा.
लेकिन गलवान घाटी इलाक़े को लेकर चीन इस सहमति का सम्मान नहीं कर सका और एलएसी के ठीक नज़दीक निर्माण कार्य शुरु किया. जब उन्हें ऐसा करने से रोका गया तो 15 जून को उन्होंने हिंसक क़दम उठाए जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई.
चीन ने इसके लिए भारत को ज़िम्मेदार ठहराया था.
चीन का कहना था कि 15 जून की रात को सीमा पर तैनात भारतीय सैनिक कमांडर स्तर की बैठक में हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए एक बार फिर एलएसी पार कर गए. जब गलवान घाटी में तनाव कम हो रहा था, उन्होंने जानबूझकर उकसावे की कार्रवाई की थी.
चीन के जो सैनिक और अधिकारी वार्ता करने के लिए उनके पास गए उन पर उन्होंने हिंसक हमला किया जिससे भीषण हिंसा हुई और लोग हताहत हुए.
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