फ्रेंच माइक्रोबायोलॉजिस्ट इमैनुएल चार्पियर और अमेरिकी बायोकैमिस्ट जेनिफर डूडना को संयुक्त रूप से जीनोम एडिटिंग की तकनीक पर उनके काम के लिए रसायन विज्ञान में 2020 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह दो महिलाओं द्वारा जीता जाने वाला पहला विज्ञान नोबेल है। हाल ही में नोबेल जीतने वाले काम की तुलना में, उन्हें यह सफलता बहुत हाल में मिली है।
दरअसल एक आम हानिकारक बैक्टीरिया पर शोध करते हुए, 51 वर्षीय चारपेंटियर ने पहले अज्ञात अणु (ट्रैक्राइन) की खोज की - बैक्टीरिया की प्राचीन प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा (CRISPR /) Cas9) जो उनके डीएनए के कुछ हिस्सों को छीनकर वायरस को निष्क्रिय करता है। उनकी इस खोज पर नोबेल ज्यूरी ने कहा, "इनके प्रयोग से शोधकर्ता जानवरों, पौधों और सूक्ष्मजीवों के डीएनए को अत्यधिक उच्च परिशुद्धता के साथ बदल सकते हैं। इस तकनीक का जीवन विज्ञान पर एक क्रांतिकारी प्रभाव पड़ा है। यह ना केवल नए कैंसर उपचार में योगदान कर रहा है बल्कि विरासत में मिली बीमारियों के इलाज के सपने को सच कर सकता है।'"
नोबेल ज्यूरी के चेयरपर्सन क्लेस गुस्ताफसन ने इसे मानव जाति के लिए एक महत्वपूर्ण तोहफा बताया। हालांकि उन्होंने इसे सावधानी से इस्तेमाल करने की नसीहत भी दी।
2011 में अपने शोध को प्रकाशित करने के बाद, चारपेंटियर ने 56 वर्षीय डोडना के साथ काम किया, जो कि एक पूर्व निर्धारित स्थल पर किसी भी डीएनए अणु को काटने के लिए बैक्टीरिया की आनुवंशिक कैंची को फिर से बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने 2012 में अपना सेमिनल पेपर प्रकाशित किया। इस उपकरण ने पहले से ही सूखे और फसल में लगने वाले कीटों का सामना करने के लिए अपने आनुवंशिक कोड को बदल दिया। इसने उच्च स्टेज के कैंसर का उपचार भी किया जा सकता है और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यह जीन में हेरफेर के माध्यम से विरासत में मिली बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। चार्लेपियर (मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन बायोलॉजी) और डोडना (कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले) रसायन विज्ञान के नोबेल विजेताओं की सूची में शामिल हो गए हैं जिसमें 185 पुरुष और अब सात महिलाएं शामिल हैं।
जाने कौन थे अल्फ्रेड नोबेल
अल्फ्रेड नोबेल स्वीडन के रहने वाले थे और रसायनज्ञ तथा इंजीनियर थे। इन्होने डाइनामाइट नामक प्रसिद्ध बिस्फोटक का आविष्कार किया था। नोबेल को डायनामाइट तथा इस तरह के विज्ञान के अनेक आविष्कारों की विध्वंसक शक्ति की बखूबी समझ थी। दिसंबर 1897 में मृत्यु के पूर्व अपनी विपुल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने एक ट्रस्ट के लिए सुरक्षित रख दिया। अल्फेड नोबेल की इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानव जाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाए। इस तरह से अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा के अनुसार नोबेल फाउंडेशन द्वारा हर साल यह अवार्ड प्रदान किया जाता है।
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