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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

पत्नी का महत्व समझने का मतलब माँ का महत्व कम करना नहीं होता।।


 _पत्नी और माँ एक आदमी के जिंदगी के अलग अलग पड़ाव के आधार होते है , अलग अलग पड़ाव से मतलब माँ एक आदमी के बचपन के पड़ाव का आधार होती है और पत्नी बुढ़ापे के पड़ाव का. ठीक उसी तरह एक औरत के जिंदगी के भी दो आधार होते है एक बचपन का आधार माँ और बाप और एक बुढ़ापे का वो है पति.लेकिन परेशानी तब होती है जब औरत तो एक पड़ाव से निकल कर पूरी तरह अपने दूसरे पड़ाव के साथी से जुड़ जाती है लेकिन आदमी अपने दूसरे पड़ाव के साथी को सही जगह क्या उसके महत्त्व तक को स्वीकारना नहीं चाहता._ 

 _हाँ औरतें तो अपने माता-पिता को पीछे छोड़ के आती है तो अपना पूरा ध्यान अपने पति पर देती है लेकिन आदमियों को ताउम्र अपने माँ बाप की जिम्मेदारी का कर्तव्य निभाना पडता है. और ये अच्छी बात है क्यूंकि अगर हम औरतो को भी ऐसा कोई मौका मिले तो हम भी अपने माँ बाप की ताउम्र सेवा करना चाहेंगे, इसमें स्वभाग्य होगा हमारा कि जिन्होंने बचपन में ऊगली पकड़ कर चलना सिखाया ,उनके बुढ़ापे की लाठी हम भी बने और जब वो बिस्तर पर पड़े तो हम भी उनका अंतिम दिनों में खूब सेवा कर अपना जन्म सफल कर ले._ 

 _क्यूंकि माँ बाप का अहसान तो चाह के भी उतारा नहीं जा सकता. इसलिए लड़कों के जीवन के दोनों अहम् हिस्से उसके जिंदगी में एक साथ और कह ले साथ साथ चलते है इसलिए उनका मेह्नत और इम्तिहान ज्यादा होता है , लेकिन फिर भी मैं ये कहूंगा कि वो ये कैसे भूल जाते है कि उनके जिंदगी का एक अहम् हिस्सा उनके माता-पिता का ख्याल रखने में उसकी पत्नी का उससे कई गुना ज्यादा हिस्सा मेह्नत और टाइम लगता है , वो ये कैसे भूल जाते है की उनके साथ साथ उनकी पत्नी उनके गुजरे कल के आधार उनके माता पिता और आने वाले कल के आधार उनके बच्चे दोनों का ख्याल रखती है ....._ 

 _किसी को महत्त्व देने के लिए ये जरुरी नहीं होता के किसी दूसरे का महत्व कम कर दिया जाये क्यूंकि हर इंसान , हर इंसान के जिंदगी में हर कोई अलग अलग महत्व रखता है इसलिए एक आदमी का अपने माँ और पत्नी के बीच किसी एक को ज्यादा महत्व देना सही नहीं होता ,क्योंकि एक ने आपको जन्म दिया है तो एक ने आपके लिए जन्म देने वाले को छोड़ा है और आपको और आपके परिवार दोनों को अपनाया है और ये आपका कर्तव्य है की उसको उसका वांछित स्थान अपने जिंदगी और समाज में दे .._ 

 _नारी हर रूप में एक आदमी के जिंदगी का आधार होती है क्यूंकि वो नारी है , वो सृजनकर्ता है वो सिर्फ देना जानती है. याद रखे आप कितना भी कमा रहे हो लेकिन आपको और आपके जीवन को सँभालने करने के लिए आपको एक नारी का ही सहारा लेना होगा अब चाहे वो माँ के रूप में हो या पत्नी के रूप में ..._

_एक पति को ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि एक लड़की सिर्फ उसके भरोसे उसके साथ अपना घर छोड़ के आ गयी है और एक पत्नी को भी कभी नहीं भूलना चाहिए कि एक लड़का सिर्फ उसके भरोसे ही अपने माँ बाप को पीछे छोड़ काम पर जाता है इसलिए भरोसा टूटे ऐसा काम किसी को भी नहीं करना चाहिए,क्यूंकि शुरुआत कोई भी करे तोड़ने की लेकिन अंत कब और कहा होगा जब सिलसिला शुरु होगा तो ये कोई नहीं जनता_ 

 _आदमियों पर एक बड़ी जिम्मेदारी होती है की जिसने उसे इस दुनिया में लाया और जिसे उसने ब्याह के अपने घर में लाया उन दोनों की खुशिया बानी रही और अगर आप किसी एक के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह कर के ये सोचते हो की आप गंगा नहा लिए तो रुकिए और ये जान लीजिये की जो आपके प्रति अपना कर्तव्य निभा के गंगा नहायेगा यानि आपका बेटा उसे इस दुनिया में आपकी पत्नी ही लाएगी इसलिए अपने आने वाले कल का सृजनकर्ता अपने पत्नी के महत्व को नहीं ठुकराइए ...अपनी पत्नी को महत्वा देने से आपकी माँ का मह्त्व कही से काम नहीं होगा_

 _अगर आप न्यायप्रिय है तो आपके लिए रास्ता असान है लेकिन अगर आप भेदभाव करने वाले है तो रास्ता बहुत कठिन है और याद रखियेगा अर्धनारीश्वर में आधा भाग पत्नी का होता है यदि आपकी पत्नी का आप अनादर करेंगे तो कही ना कही अपना ही अनादर कर रहे होते है , क्यूंकि अगर माता पिता भगवन होते है तो पत्नी आधा अंग और आधे अंग से अपने भगवान् की पूरी पूजा आप कैसे कर सकते है आपको अपना आराधना पूरी करने के लिए पुरे अंगो की जरुरत होगी ..._

_लोग कहते है पत्नी दूसरी मिल सकती है लेकिन माँ नहीं, बात तो सच है लेकिन क्या अपने कभी सोचा है की जिस तरह आप अपनी पत्नी का अपमान करते है और वो फिर भी आपका साथ नहीं छोड़ती उस तरह अगर आप अपने माँ का अपमान करे तो माँ भी आप से किनारा कर लेगी और जो बेटा उनका सम्मान करेगा उसके पास ही रहेगी लेकिन पत्नी अपने पास आपके अल्वा कोई अन्य विकल्प नहीं रखती ,जबकि वो चाहे तो पति तो उसे भी दूसरा मिल सकता है ..._

_पत्निया अगर आपकी डाट फटकार सुन के भी आपको प्यार करती है तो ये उनकी जरुरत नहीं उनका प्यार है इसको दूसरा रूप देने का प्रयास ना करे .. और अगर अपने माँ के जैसा मान सम्मान उनको भी आप दे तो आपको दुरी पत्नी खोजने की जरूरत ही ना हो क्यूंकि वो सच में आपके घर को ही स्वर्ग बना देगी वो ..._

_.हर पति से मेरा ये ही निवेदान है की एक पत्नी के मह्त्व को समझे , वो आपकी नहीं लेकिन आपके बेटे की माँ जरूर है उसका अपमान कर के अपने बेटे के माँ का अपमान ना करे .., जिस तरह आपकी माँ के अपमान पर आपके दिल पर चोट लगती है उसी तरह आपके बेटे को भी लग सकती है_

 _आपके पत्नी आपके सलामती के लिए ऊपर वाले के सजदे में झुकते समय वक्त नहीं देखती होगी की सुबह है या शाम है, या कोई तीज ,त्यौहार का इन्तजार नहीं करती होगी , वो तो जब भी भगवान् की मूरत देखती होगी आपके ही सलामती की दुआ करती होगी और इस बात से तो वो पत्नियां भी सहमत होगी जो एक बेटे की माँ है क्योंकी हर पत्नी के जीवन में रंग अपने पति से ही होता है ना की बेटे से .. वो ही औरते अपने बेटे को ज्यादा मह्त्व देती है जिन्हे अपनी पतियों से कोई महत्व नहीं मिला हो ,_

 _इसलिए अपनी पत्नियों को मह्त्व दे ताकि जिंदगी के आखिरी पड़ाव में वो आपको मह्त्व दे सके माँ बेटे को नो महीने पेट में रखती है तो पत्नी अपने पति के वंश को बढ़ने के लिए एक कभी दो बच्चो को वही दर्द सह के जन्म देती है ,_

 _माँ आपको पाल पोश के बड़ा करती है तो पत्नी आपको ,आपके बच्चे को ,आपके माँ बाप को , और कभी कभी आपके रिस्तेदारो सबको देखती है और ख्याल रखती है .. हर रिश्ते की अपनी एक अहमियत है कृपा कर इसे मिश्रित ना करे ._

_और अदि आप अपनी पत्नी के मह्त्व को ठुकरा रहे है तो याद रखे की आपके माँ का भी कोई मह्त्व नहीं है और आप उनके महत्वा को भी अप्रत्यछ रूप से महत्वहीन करार दे रहे है ...और हर सास से भी ये गुजारिश है की कृपा कर उनदोनो के नजदीकियों को अपने और अपने बेटे से दुरी के नजर से ना देखे क्यूंकि आखिर माँ के पैरो में जन्नत होती है और कोई जन्नंत से दूर कैसे रहना चाहेगा ..._

_आपके पति के पास अभी आप ही होना ना तो अपने बेटे के भी बुढ़ापे के साथी को उसके जिंदगी में जगह बनने का सहूलियत दे_

_हो सकता है आपका बेटा आपको टाइम नहीं दे रहा हो लेकिन वो आपको अपना आधा अंग को सोप के जाता है और जरूरत है उस आधे अंग से जुड़ने की क्यूंकि अगर आप ऐसा नहीं करती तो अंतता आप अपने बेटे के आधे अस्तित्वा को नकार रही है और इस हाल में आपके बेटे पर क्या असर होगा ये सोचे और अपने प्यार को स्वार्थी होने से बचाये .._

 _याद रखे एक औरत की जिंदगी का सफर बेटी से गुजरते हुए पहले पत्नी तक पहुँचता है फिर कही जा कर माँ तक पहुँचता है तो औरते भी ये बात समझे की एक पत्नी के रूप में आप एक माँ के रूप से कई गुना महान है ..._








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