नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने कुल 396 सीटें हासिल कीं, जो वर्ष 2015 की 390 सीटों की तुलना में अधिक है. वर्ष 2015 के बाद म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की की यह लगातार दूसरी जीत है.
म्यांमार की नेता आंग सान सू की सत्तारूढ़ पार्टी - नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने म्यांमार आम चुनाव 2020 में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है. इस पार्टी को आधिकारिक तौर पर 15 नवंबर, 2020 को म्यांमार के केंद्रीय चुनाव आयोग (यूईसी) द्वारा विजेता घोषित किया गया था.
नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने कुल 396 सीटें हासिल कीं, जो वर्ष 2015 की 390 सीटों की तुलना में अधिक है. पार्टी ने म्यांमार के निचले सदन पाइथु ह्लुटाव में 258 सीटें और ऊपरी सदन - अम्योथा ह्लुटाव में 138 सीटों पर जीत हासिल की. इस पार्टी को आम चुनावों में बहुमत हासिल करने के लिए केवल 322 सीटों की आवश्यकता थी.
दूसरी ओर, मुख्य विपक्षी दल - सैना-समर्थित यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (यूएसडीपी) केवल 33 सीटें जीतने में कामयाब रही. इस पार्टी ने संसद के निचले सदन में 26 और ऊपरी सदन में केवल 7 सीटें ही हासिल कीं.
मुख्य विवरण
नव निर्वाचित म्यांमार संसद का पहला सत्र चुनाव परिणाम की औपचारिक घोषणा के 90 दिनों के भीतर ही आयोजित किया जाना चाहिए.
इस सत्र के दौरान, यहां की सेना द्वारा नामित सदस्यों के साथ-साथ संसद के दोनों सदनों के सदस्य देश के राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे.
म्यांमार के संविधान के तहत, संसद में 25 प्रतिशत सीटें सैन्य उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं. इन सदस्यों का चुनाव सेना द्वारा किया जाता है.
आंग सान सू की का पहला कार्यकाल और म्यांमार की राजनीति
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की का पहला कार्यकाल म्यांमार की पहली स्टेट काउंसलर के तौर पर काफी अशांत रहा, जिसे वर्ष 2017 में राखीन राज्य में जातीय रोहिंग्याओं पर क्रूर हमले के कारण पहचाना गया था, जिसके लिए उन्हें वैश्विक स्तर पर आलोचना सहनी पड़ी.
इस क्रूर हमने ने सैकड़ों और हजारों रोहिंग्याओं को इस क्षेत्र से भागने और बांग्लादेश जैसे अन्य देशों में शरण लेने के लिए मजबूर कर दिया.
इसे सू की की सरकार की ओर से देश के असंख्य जातीय संघर्षों को नियंत्रित करने के संबंध में एक बड़ी विफलता के तौर पर देखा गया था. म्यांमार अपने सख्त सैन्य शासन के कारण लगभग 50 वर्षों तक अलगाव और विनाश का शिकार रहा था.
वास्तव में, म्यांमार की सेना के जनरलों की शक्ति को कम होने से पहले, सू की ने अपने घर पर गिरफ्तारी के तहत कई साल बिताए और वर्ष 2011 में पहले आम चुनाव हुए, जिनका सू की की पार्टी ने बहिष्कार किया था.
उनकी पार्टी ने वर्ष 2015 के म्यांमार चुनावों में शानदार जीत हासिल की और लगभग 86 प्रतिशत सीटें जीत लीं.
महत्व
म्यांमार चुनाव 2020 के परिणाम यह बताते हैं कि, आंग सान सू की सरकार ने अपने देश में अपनी लोकप्रियता बनाए रखी, क्योंकि रोहिंग्या संकट ने इसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है. हालांकि, रोहिंग्या लोगों को इस मतदान से बाहर रखा गया और कुछ विवादस्पद क्षेत्रों में मतदान रद्द कर दिया गया, जिससे लगभग 1.5 मिलियन लोग प्रभावित हुए.
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