विख्यात संस्कृत विद्वान विद्यावाचस्पति बन्ननजे गोविंदाचार्य का आयु संबंधी बीमारियों के कारण रविवार को 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 'मधवा' विचारधारा के प्रचारक गोविंदाचार्य को साल-2009 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। गोविंदाचार्य ने करीब 150 पुस्तकें लिखीं और संस्कृत से कन्नड़ में कई अनुवाद किए और उनके प्रवचन तुलुवास/कन्नडिगास के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
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Blood Circulation ( परिसंचरण तंत्र )।।
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