“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकि निशां होगा..”
(क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को ब्रिटिश खज़ाने की लूट के आरोप में आज ही के दिन 19 दिसम्बर, 1927 को फांसी की सजा दी गयी थी।)
✍ क्या था काकोरी कांड :-
• 9 अगस्त 1925 को, शाहजहाँपुर से लखनऊ की ओर जाने वाली 8 नंबर डाउन ट्रेन, कलकत्ता मेल पर बीच में आने वाली काकोरी, (यूपी) नामक जगह पर क्रांतिकारियों ने धावा बोल कर कथित रूप से वह भारतीय धन जो ब्रिटिश सरकार के खजाने में स्थानांतरित होने जा रहा था, को लूट लिया ।
• इस डकैती का उद्देश्य लूटे गए धन का इस्तेमाल एचआरए को फंड प्रदान करने के साथ ही संगठन की देशवासियों के सामने सकारात्मक छवि तैयार करनी थी।
• एचआरए संगठन - हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA)
• इस घटना में एक यात्री, अहमद अली की दुर्घटनावश अनजाने में मृत्यु हुई जिसे ब्रिटिश प्रशासन ने लूट के इरादें से की गयी हत्या करार देते हुए मामले की जांच करना शुरू किया।
• एचआरए के प्रमुख नेता राम प्रसाद बिस्मिल को सहारनपुर से 26 सितंबर 1925 और संगठन के लेफ्टिनेंट, अशफ़ाक उल्ला खान को 17 जुलाई, 1926 को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।
इन देशनायकों को देश की अलग –अलग जेलों में कैद किया गया था।
• गोरखपुर जेल – रामप्रसाद बिस्मिल
• फैजाबाद जेल – अशफ़ाक उल्ला खान
• इलाहाबाद (नैनी) जेल – ठाकुर रोशन सिंह
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