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DRDO ने किया SFDR तकनीक का सफल उड़ान परीक्षण



SFDR मिसाइल प्रोपल्शन सिस्टम के सफल प्रदर्शन ने DRDO को तकनीकी लाभ प्रदान किया है.

05 मार्च 2021 को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट- SFDR मिसाइल प्रणोदन प्रणाली/ प्रोपल्शन सिस्टम का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया.

DRDO के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, नोजल रहित मोटर और बूस्टर मोटर सहित सभी उपप्रणालियों ने इस परीक्षण में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया.

SFDR के प्रक्षेपण की निगरानी विभिन्न DRDO प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने की, जिसमें रिसर्च सेंटर इमारत, रक्षा अनुसंधान, और विकास प्राधिकरण - DRDL और उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला - HEMRL शामिल हैं.

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी भारतीय वायु सेना और DRDO के वैज्ञानिकों को इस सॉलिड फ्यूल डक्ट्ड रैमजेट के सफल उड़ान परीक्षण के लिए बधाई दी.

DRDO को तकनीकी लाभ

DRDO के एक आधिकारिक बयान में उल्लेख किया गया है कि, SFDR तकनीक के सफल प्रदर्शन ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन को तकनीकी लाभ प्रदान किया है जो सरकारी संगठन को लंबी दूरी की हवा से हवा में वार करने वाली मिसाइल विकसित करने में सक्षम बनाएगा.

इसने आगे यह भी कहा कि वर्तमान में यह तकनीक केवल कुछ मुट्ठी भर देशों में ही उपलब्ध है.

SFDR का उड़ान परीक्षण: मुख्य विशेषतायें

मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और टेलीमेट्री उपकरणों द्वारा कैप्चर किए गए डाटा की मदद से की गई, जिन्हें ITRर द्वारा तैनात किया गया था और जिसने इस मिशन के उद्देश्यों के प्रदर्शन की पुष्टि की.

इस उड़ान-परीक्षण के दौरान, कई नई तकनीकों, जिसमें सॉलिड फ्यूल बेस्ड डक्टेड रैमजेट टेक्नोलॉजी भी शामिल थी, परीक्षण के दौरान प्रभावी साबित हुई.

परीक्षण के समय, बूस्टर मोटर के उपयोग के साथ एयर-लॉन्च को संचालित किया गया था. नोजल-रहित बूस्टर ने इसे रैमजेट ऑपरेशन के लिए आवश्यक मच नंबर तक गति प्रदान की.

सिंधु नेत्र उपग्रह का प्रक्षेपण

DRDO द्वारा विकसित सिंधु नेत्र उपग्रह को 28 फरवरी, 2021 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में तैनात कर दिया गया था. DRDO द्वारा विकसित किया गया यह उपग्रह हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रिय व्यापारिक जहाजों और युद्धपोतों की पहचान करने में सक्षम है.

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