वर्ल्ड स्लीप डे यानी कि विश्व नींद दिवस को इस साल 19 मार्च को पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है. इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को नींद और सेहत के बीच संबंध के प्रति जागरूक करना है.
हर साल मार्च महीने में तीसरे शुक्रवार को 'वर्ल्ड स्लीप डे' मनाया जाता है. वर्ल्ड स्लीप डे यानी कि विश्व नींद दिवस को इस साल 19 मार्च को पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है. इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को नींद और सेहत के बीच संबंध के प्रति जागरूक करना है.
इसकी अहमियत को जताने के लिए ही वर्ल्ड स्लीप डे (World Sleep Day) भी मनाया जाता है. हालांकि स्लीप हेल्थ को लेकर इस साल भारतीयों के लिए खुशखबरी है उनकी इस हेल्थ में सुधार के संकेत मिले हैं.
कम से कम 8 घंटे सोने की सलाह
आजकल लोग भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कम सोने लगे हैं. इससे उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसके लिए डॉक्टर्स रोजाना कम से कम 8 घंटे सोने की सलाह देते हैं.
वर्ल्ड स्लीप डे का थीम
इस साल 'विश्व स्लीप डे' का थीम 'Regular Sleep, Healthy Future' है. इसका मुख्य मकसद है दुनिया भर के लोगों को नींद के महत्व के प्रति जागरूक बनाना, जिससे कि उन्हें समझ आ सके कि जीवन में नींद कितने मायने रखती है और इसके पूरा न होने पर कई परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है.
वर्ल्ड स्लीप डे का महत्व
आधुनिक समय में लोग खराब दिनचर्या, गलत खानपान, तनाव और कम सोने के चलते कई तरह की बीमारियों से परेशान रहते हैं. इनमें कम सोने और तनाव से मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है. वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी का यह कदम सराहनीय है.
वर्ल्ड स्लीप डे का इतिहास
वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी द्वारा वर्ल्ड स्लीप डे के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित की जाती है. पर्याप्त नींद नहीं लेने के चलते लोग कई तरह की बीमारियों से गुजरते हैं. इससे बचाव के लिए वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी ने 'विश्व स्लीप डे' की शुरुआत की थी. आज विश्वभर के 88 से अधिक देशों में 'विश्व स्लीप डे' मनाया जाता है.
वर्ल्ड स्लीप डे की शुरुआत
वर्ल्ड स्लीप डे सबसे पहले साल 2008 में मनाया गया था. सेहतमंद रहने के लिए पर्याप्त नींद अनिवार्य है. इसके लिए वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी ने वर्ल्ड स्लीप डे की शुरुआत की. ताकि लोग जागरूक हो सके. रिपोर्ट के अनुसार बता दें कि दुनियाभर में वर्तमान में 10 करोड़ से ज्यादा लोग नींद से जुड़ी हुई समस्याओं से ग्रसित हैं.
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