चीन और रूस 2027 तक चंद्रमा पर संयुक्त बेस स्थापित करने की तैयारी में हैं। इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) को पहले 2035 तक बनाने की योजना बनाई गई थी। इसे अंतरिक्ष में अमेरिका के लिए सीधे तौर पर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। चीन ने पिछले साल ही अंतरिक्ष में अपने पहले स्पेस स्टेशन को सक्रिय किया है। रूस भी 2030 तक अपने स्पेस स्टेशन को लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
चंद्रमा पर चीन के दो मिशन सक्रिय
वर्तमान में चंद्रमा पर चीन के चांग'ई 4 लैंडर और युतु 2 रोवर सक्रिय हैं। ये चंद्रमा के अंधेरे इलाके में मौजूद क्रेटर की जांच पड़ताल कर रहे हैं। इसमें चांग'ई 4 चंद्रमा पर जीवन से संबंधित खोज कर रहा है। इसमें देखा जा रहा है कि रेशम के कीड़ों, आलू और अरबिडोप्सिस (एक छोटा फूल वाला पौधा) के बीज चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण में कैसे बढ़ते हैं। वहीं, युतु-2 रोवर वॉन कार्मन क्रेटर की खोज कर रहा है।
अमेरिका के बहिष्कार के रूप में देखा जा रहा
चीन और रूस की ज्वाइंट मून बेस की योजना को अमेरिका के आर्टेमिस अकार्ड परियोजना के बहिष्कार और प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है। इसका उद्देश्य अमेरिका और उसके भागीदार देशों के लिए अंतरिक्ष खोजबीन के लिए सिद्धांतों, दिशानिर्देशों और सही नियम-कानून को स्थापित करना है। आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए अमेरिका चंद्रमा पर मानव बस्तियां भी बसाना चाहता है।
अमेरिका ने चीन पर लगाया हुआ है प्रतिबंध
अमेरिका ने वुल्फ अमेंडमेंट के जरिए अंतरिक्ष में चीन के साथ संयुक्त परियोजनाओं को चलाने पर रोक लगाई हुई है। इस अमेडमेंट को 2011 में अमेरिकी कांग्रेस ने पास किया था। इसके तहत संसद के अनुमोदन के बिना नासा और चीन अंतरिक्ष में कोई भी योजना को साथ मिलकर नहीं चला सकते हैं। नतीजतन चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में आत्मनिर्भर होने को मजबूर है।
ज्वाइंट मून बेस पर क्या करेंगे रूस-चीन?
इस ज्वाइंट मून बेस से कई साइंटिफिक एक्टिविटी जैसे चंद्रमा पर खोज, चंद्रमा पर आधारित रिसर्च, एक्सपेरिमेंट और टेक्नोलॉजी वेरिफिकेशन का काम किया जाएगा। चीन ILRS की स्थापना के पहले चरण के रूप में चांग'ई 8 लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन को शुरू करने की योजना बना रहा है। इस मिशन के जरिए चंद्रमा पर मौजूद स्थानीय संसाधनों और 3डी प्रिंटिंग के निर्माण से जुड़ी तकनीक का टेस्ट किया जाएगा।
#🌕चंद्रमा पर जल्द बनेगा बसेरा
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