भारत के प्रसिद्ध व्यक्तित्व, जिन्होंने दुनियाभर में लोकप्रियता हासिल की और भारत के झंडे गाड़े। इन भारतीय व्यक्तित्वों में विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लोग मौजूद है। सभी सरकारी परीक्षाओं के हिसाब से विश्व प्रसिद्ध 85 व्यक्तित्व की सूची संक्षिप्त परिचय के साथ यहां उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे आप किसी भी परीक्षा में 5 नंबर पक्के कर सकते है।
1. अबुल फजल (1561-1602) – मुगल सम्राट अकबर के 9 रत्नों में से एक 'आइने अकबरी' तथा 'अकबर नामा' के लेखक हैं। ये अकबर के प्रधानमंत्री थे।
2. आर्यभट्ट (476—520 ई.) – आर्यभट्ट के नाम पर प्रथम भारतीय उपग्रह का नाम रखा गया है। आर्यभट्ट प्राचीन भारत के महान खगोलविद् थे। ये चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय के दरबार में थे।
3. आचार्य विनोबा भावे (1895–1982) – आचार्य विनोबा भावे 'सर्वोदय' व 'भूटान' आंदोलन के जनक थे। मरणोपरान्त 1983 में इन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
4. आचार्य नरेन्द्र देव (1819–1956) – सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक नरेन्द्र देव प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ व विद्वान थे।
5. आर्देशिर कर्सेट जी वाडिया (1808–1877) – प्रसिद्ध यांत्रिक एवं समुद्री इंजीनियर। ये रॉयल सोसाइटी, लंदन के फैलो चुने जाने वाले प्रथम भारतीय थे।
6. ईश्वर चंद्र विद्यासागर (1820–1891) – प्रसिद्ध समाज सुधारक व शिक्षाविद् ईश्वर चद्र विद्यासागर ने प्राथमिक शिक्षा व विधवा विवाह के लिए सराहनीय कार्य किये।
7. उत्पल दत्त (1929–1993) – हिंदी तथा बांग्ला फिल्मों के विख्यात अभिनेता।
8. कृष्णदेव राय – कृष्णदेव राय ने दक्षिण भारत के विजनगर साम्राज्य पर 1509 से 1529 ई. तक राज्य किया। कृष्णदेव राय उत्कृष्ट योद्धा व कला व साहित्य के संरक्षक थे। इसके शासनकाल में विजयनगर साम्राज्य समृद्ध हुआ।
9. कनिष्क – कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रतापी राजा था। अश्वघोष व चरक जैसे साहित्यकार व वैद्य इसके दरबार में थे। कनिष्क ने चौथे बौद्ध संगीतिका का कश्मीर में आयोजन करवाया। कनिष्क बौद्ध धर्म का अनुयायी व संरक्षक था।
10. कबीरदास (1398–1518) – महान कवि व समाज सुधारक कबीर ने अपनी कविताओं के द्वारा समाज की रूढ़िवचादी परंपराओं पर प्रहार किया। निगुर्ण भक्ति धारा का यह महान कवि साम्प्रदायिकता व जाति—पाति का प्रबल विरोधी था। कबीर की रचनायें 'साखी', 'सबद' का 'रमैनी' में मिलती है।
11. कानन देवी – भारतीय फिल्म जगत् की महान अभिनेत्री, दादा साहब फाल्के सम्मान सम्मानित किया गया था। इंदिरा गांधी स्मारक पुरस्कार भी इन्हें प्रदान किया गया था।
12. कृतिवाद – 14वीं सदी के प्रमुख बांग्ला कवि, जिन्होंने रामायण (बाल्मीकी कृत) का बांग्ला में अनुवाद किया।
13. काश्यप मातंग – लगभग 67 ई पू में चीन की यात्रा पर जाने वाला प्रथम बौद्ध भिक्षु। मगध में जन्मे मातंग गंधार में रहते थे।
14. कल्हण – कश्मीर के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं कवि। इन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना 'राजतरंगिणी में कश्मीर का तिथिवार एवं व्यवस्थित इतिहास लिखा है।
15. के कामराज नाडार (1903–1975) – प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ। ये 'जनता के नेता' उपनाम से भी प्रसिद्ध थे। इन्हें मरणोपरांत 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था।
16. कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी (1887-1971) – गुजराती एवं अंग्रेजी भाषाओं के प्रसिद्ध विद्वान, लेखक, कानूनविद्, स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ। इन्होंने देश में 'वन महोत्सव' का आरंभ किया था। इन्होंने मुंबई में भारतीय विद्याभवन की स्थापना भी की थी। ये मुंबई के गृहमंत्री (1937-39) केंद्र सरकार के खाद्य मंत्री (1950-51) तथा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल (1952-57) भी रहे।
17. गुरु गोविंद सिंह – सिक्खों के 10वें व अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना कर सिक्ख शक्ति की स्थापना की। गुरु गोविंद सिंह जीवनपर्यन्त मुगलों से संघर्षरत रहे।
18. गुरु नानक (1469–1538) – सिक्ख धर्म के संस्थापक व प्रथम गुरु, गुरु नानक का जन्म पाकिस्तान के तलवंडी नामक गांव में हुआ।
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19. गणेश शंकर विद्यार्थी (1890–1931) – गणेश शंकर विद्यार्थी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में पूर्ण ऊर्जा के साथ भागीदारी की, ये एक प्रबुद्ध पत्रकार थे। इन्होंने राष्ट्रवादी पत्रिका 'प्रताप' का संपादन किया। अंग्रेजी सरकार विरोधी लेखन के कारण इन्होंने कई बार जेल यात्रा की।
20. गोपाल कृष्ण गोखले (1866-1915) – भारत के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एवं महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु। इन्होंने 'सर्वेन्ट ऑफ इंडिया सोसाइटी' की स्थापना की। इन्होंने 1907 में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की अध्यक्षता भी की।
21. गोपीकृष्ण (1933–94) – देश के सुविख्यात कत्थक नर्तक, जिन्होंने 800 से भी अधिक फिल्मों में नृत्य निर्देशन किया। इन्होंने 9 घंटे 20 मिनट तक लगातार नृत्य कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।
22. गुरु अर्जुनदेव – सिक्खों के 5वें गुरु एवं 'गुरु ग्रंथ साहिब' के संकलनकर्त्ता। इन्होंने अमृतसर में स्वर्णमंदिर का निर्माण करवाया। सम्राट जहांगीर ने इन्हें, इस्लाम विरोधी घोषित कर इनकी हत्या करवा दी।
23. गोविन्द वल्लभ पंत (1887–1961) – प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, जो अपनी प्रशासनिक नीतियों के कारण विख्यात रहे। ये उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री तथा बाद में केंद्र सरकार के गृहमंत्री भी रहे।
24. चाणक्य – प्रसिद्ध नीतिज्ञ चाणक्य, मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे। इनका प्रसिद्ध ग्रंथ अर्थशास्त्र है।
25. चवार्क – भारतीय दर्शन में सर्वप्रथम चर्वाक ने भौतिक विचारधारा का समावेश किया। इस आदि वैज्ञानिक ने प्रचलित धार्मिक विश्वासों व ग्रंथों की प्रासंगिकता को स्वीकारने से इंकार कर दिया।
26. चितरंजन दास (1970–1925) – 1923 में मोतीलाल नेहरू के साथ मिलकर स्वराज पार्टी बनाई। प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को 'देशबंधु' के नाम से भी जाना जाता है।
27. तेज बहादुर सप्रू (1875–1945) – भारत के प्रमुख बैरिस्टर एवं न्यायविद्। इन्हें वायसराय की कार्यकारिणाी परिषद् की न्यायिक सदस्य बनाया गया था।
28. दादाभाई नौरोजी (1825–1917) – कांग्रेस के संस्थापक सदस्य दादा भाई नौरोजी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तीन बार अध्यक्षता की। इन्हें 'भारत के महान वृद्ध पुरुष' (The Great old Man of India) की संज्ञा दी गई है। इन्होंने अपनी पुस्तक 'पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया' में भारत के धन के ब्रिटेन की ओर प्रवाह का वर्णन किया है। ये पहले भारतीय थे, जिन्हें लंदन काउंटी से ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉतन्स का सदस्य चुना गया था।
29. नंदलाल बोस – प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार नंदलाल बोस शांति निकेतन स्थित भारतीय कला भवन के निदेशन थे।
30. नागार्जुन (दूसरी सदी) – भारत के प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक। ये कनिष्क के समकालीन थे तथा उसका संरक्षण प्राप्त था। 'मध्यकारिका' इनकी प्रसिद्ध कृति है। यह ग्रंथ महायान का महत्वपूर्ण ग्रंथ है। 'सुहल्लेख' में इन्होंने बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों का उल्लेख किया है।
31. नागार्जुन (7-8वीं सदी) – प्रसिद्ध भारतीय रसायनशास्त्री, जिन्होंने रस चिकित्सा पद्धति का सूत्रपात किया। इनके प्रसिद्ध ग्रंथ 'रसरत्नाकार' में धातुओं के शोधन एवं उनके गुण—दोष का विवेचन किया गया है। इस ग्रंथ में पारद (पारा) का उल्लेख अति महत्वपूर्ण है।
32. पाणिनि – वैदिक काल से संंबंधित महान व्याकरणार्थ पाणिनि ने 'अष्टाध्यायी' व्याकरण ग्रंथ लिखा।
33. पं. रवि शंकर – प्रख्यात् शास्त्रीय गायक रवि शंकर किचलू आगरा घराने से संबंधित थे।
34. पृथ्वीराज चौहान – दिल्ली का शासक पृथ्वीराज चौहान अत्यंत वीर व साहसी यौद्धा था। 1192 में मुहम्मद गोरी के साथ तराइन के युद्ध में पराजित किया। यह युद्ध भारत में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
35. पोरस – सिकन्दर के आक्रमण के समय पंजाब का राजा, जिसे सिकन्दर ने युद्ध में पराजित कर गिरफ्तार कर लिया था। बाद में पोरस की बहादुरी से प्रभावित होकर उसे और उसके विजित क्षेत्र को छोड़ दिया।
36. फिराक गोरखपुरी (1896–1982) – उर्दू के प्रसिद्ध शायर फिराक गोरखपुरी को 'गुल-ए-नग्मा' के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
37. फिरोजशाह मेहता (1845–1915) – 'बंबई का जननायक' के रूप में प्रसिद्ध समाज सुधारक, देशभक्त व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मेहता ने 1883 में बदरूद्दीन तैयबजी तथा के टी तेलंग के साथ मिलकर बंबई प्रेसीडेंस एशोसिएशन की स्थापना की।
38. फूदोरजी – पहला भारतीय जिसने बिना आॅक्सीजन के एवरेस्ट पर विजय की। एवरेस्ट पद दो बार फतह करने के बाद दोरजी ने कंचनजंघा पर भी आरोहण किया।
39. बाणभट्ट – ये संस्कृत के विद्यान थे और सम्राट हर्षवर्धन के दरबारी थे। इनकी प्रसिद्ध रचनाये 'कादम्बरी' 'हर्षचरितम्' व 'सूर्यशतकम्' है।
40. बंकिम चंद्र चटर्जी (1838–1894) – बंकिम चंद्र चटर्जी की प्रसिद्ध रचना 'आनन्द मठ' है जिससे राष्ट्रीय गीत 'वंदेमातरम्' लिया गया है। इनकी अन्य रचनायें 'दुर्गेशनन्दिनी' एवं 'कपाल कुंडला' है।
41. बालकृष्ण भट्ट (1844–1914) – बालकृष्ण भट्ट हिंदी के प्रसिद्ध निबंधकार व नाटककार थे।
42. बैरम खां – प्रसिद्ध मुगल सम्राट अकबर महान् के चाचा, जिन्होंने अकबर के शिक्षक एवं अभिभावक की भूमिका निभाई।
43. ब्रह्मगुप्त (598–680) – भारत के प्रमुख गणितज्ञ। इन्होंने 'ब्रहा सिद्धांत' ग्रंथ की रचना की।
44. भारतेन्दु हरिशचन्द्र (1850–1883) – भारतेन्दु युग के प्रमुख लेखक ने 'चंद्रावली', 'भारत दुर्दशा' व 'अंधेर नगरी' जैसे प्रसिद्ध नाटक लिखे। भारतेन्दु हरिशचन्द्र आधुनिक हिंदी खड़ी बोली के संस्थापकों में प्रमुख थे।
45. भास्कराचार्य – महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने 'शिरोमणि' नामक ग्रंथ की रचना की जिसके प्रथम भाग को लीलावती भी कहा जाता है। पद्य के रूप में लिखी यह पुस्तक 12 वीं शताब्दी में भारतीय गणित की उपलब्धियों का एक उत्कृष्ट नमूना है।
46. भवभूति (8वीं शताब्दी) – संस्कृत के महान् नाटककार। इन्होंने मालतीमाधवम्, महावीरचरितम्, उत्तरामचरितम् नामक तीन प्रसिद्ध नाटकों की रचना की।
47. भास्कर I (7वीें शताब्दी) – ब्रह्मगुप्त के समकालीन प्रसिद्ध नक्षत्रविज्ञानी। भारत के दूसरे उपग्रह का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया है।
48. भर्तृहरि (7वीं शताब्दी) – प्रसिद्ध वैयाकरण, संस्कृत कवि एवं तत्वज्ञानी थे। इन्होंने नीतिशतकम्, श्रृंगारशतकम् एवं वैराग्यशतकम् काव्य ग्रंथों की रचना की थी। ये उज्जैन के महाराजा थे। इनकी पत्नी का नाम पिंगला था।
49. भदंत आनन्द कौशल्यायन (1900-1988) – अखिल भारतीय बौद्ध भिक्षु संघ के अध्यक्ष तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त बौद्ध विद्यान। इन्होंने बौद्ध धर्म की उपयोगिता को वर्तमान परिप्रेक्षय में रेखांकित किया तथा पूरे जीवन बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में अपना योगदान दिया।
50. मेघनाद साहा (1853-1956) – उष्ण उपवन (Thermal Ionisation) सिद्धांत द्वारा पाने वाले भारतीय, नाभिकीय भौतिक विज्ञानी मेघनाद साहा भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। इन्होंने 'हिस्ट्रीय ऑफ हिन्दू साइंस' लिखी।
51. मदर टेरेसा (1910) – 1946 से भारत में जरूरतमंद लोगों की नि:स्वार्थ सेवा करने वाली मदर टेरेसा को भारत की नागरिकता प्राप्त है। इन्हें पद्मश्री (1962), रेमन मैग्ससे पुररस्कार, जवाहर लाल नेहरू शांति पुरस्कर, नोबेल शांति पुरस्कार (1979), भारत रत्न (1980), ब्रिटिश आर्डर ऑफ येरिट (1993) जैसे सम्मानित परस्कारों से सम्मानित किया गया है।
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52. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (1861–1962) – 1955 में 'भारत रत्न' से सम्मानित विश्वेश्वरैया का भारत के औद्योगिक व तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। विश्वेश्वरैया एक कुशल प्रशासक व प्रबुद्ध अभियंता थे। इन्होंने अनेक बहुद्देश्यीय परियोजनाओं को अपने पर्यवेक्षण में संपन्न कराया, जिसमें कावेरी नदी पर बना विशाल बांध महत्वपूर्ण है।
53. मेजर ध्यानचंद (1905-1979) – भारतीय हॉकी को विश्व-स्तर तक प्रतिष्ठा दिलाने व 'हॉकी के जादूगर' नाम से विख्यात ध्यानचंद्र भारतीय हॉकी के उत्कृष्ट खिलाड़ी थे। इनके नेतृतव में भारत ने हॉकी के लिए अनेक विश्वस्तरीय प्रतियोगितायें जीतीं।
54. मुहम्मद गोरी – भारत में मुस्लिम साम्राज्य के संस्थापक मुहम्मद गोरी ने 1192 में दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान को हरा कर दिल्ली पर अधिकार किया।
55. मुंशी प्रेमचन्द (1880–1937) – हिन्दी भाषा के उपन्यास सम्राट, जिन्होंने अनेक उत्कृष्ट उपन्यासों तथा कहानियों की रचना की। इनके उपन्यासों एवं कहानियें में सामाजिक समस्याओं खासकर 'ग्रामीण परिवेश की समस्याओं' का यथार्थ चित्रण मिलता है।
56. मलिक मुहम्मद जायसी – 16वीं शताब्दी के अवधि भाषा के प्रसिद्ध कवि। इन्होंने पद्मावत महाकाव्य की रचना की। ये सूफी विचारधारा से प्रभावित थे।
57. महाराजा रणजीत सिंह – पंजाब के विख्यात राजा। इन्होंने आधुनिक ढंग से सुसज्जित सेना रखी।
58. मनु – प्राचीन भारत के विधि निर्माता, जिन्होंने देश के तत्कालीन परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर अनेक विधियों (कानूनों) का निर्माण किया। इन विधियों का संग्रह 'मनुस्मृति' नामक ग्रंथ के रूप में है।
59. रजिया बेगम (1236-40) – दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाली प्रथम मुस्लिम शासिका। इल्तुतमिश ने अपने पुत्रों को गद्दी के अयोग्य समझकर अपनी पुत्री रजिया को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।
60. राणासांगा – मेवाड़ के प्रसिद्ध राजा, जिन्होंने युद्धों में अपने अंगों–आंख, एक पैर एवं एक हाथ–को गंवा देने के बावजूद खुद को एक महान् योद्धा के रूप में स्थापित किया। खानवा के युद्ध (1527) में (बाबर में) इनकी हार हो गई।
61. राजशेखर (10वीं शताब्दी) – महान् संस्कृत विद्वान, जिन्होंने विद्धिशालभंजिका, कर्पूरमंजरी, बालरामायण, बालभारत, प्रचण्डपाण्डवम् जैसे नाटकों तथा काव्यमीमांसा जैसे श्रेष्ठ काव्यशास्त्र की रचना की। ये प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल (890-910 ई.) के गुरु थे।
62. रघुनन्दन (स्मार्त भट्टाचार्य) – विख्यात धर्मशास्त्री। इनके 'नवस्मृति' तथा 'अष्टाविंशति तत्व' नामक धर्मशास्त्र असम एवं बंगाल में उत्तराधिकार का प्रमाणिक आधार माना जाता है।
63. रामकृष्ण बजाज (1923-1994 ई.) – भारत के स्वतंत्रता सेनानी एवं लोकसेवक तथा देश के अग्रणी उद्योगपति।
64. राजराज – चोल साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक, जिन्होंने चोल साम्राज्य को एकता के सूत्र में बांधा तथा शासन में महत्वपूर्ण सुधार किया। इन्होंने तंजौर (तंजावुर) में वृहदेश्वर (राजराजेश्वर) नामक शिव मंदिर का निर्माण करवाया।
65. होमी जहांगीर भाभा (Homi Jahangir Bhabha) (1909–1966) – भारतीय नाभिक भौतिक विज्ञानी डा. होमी जहांगीर भाभा 'कॉस्म्कि किरणों में कास्केड शावर घटना' की सैद्धान्तिक व्याख्या व परमाणु के इलेक्ट्रॉन पोजिट्रॉन प्रकीर्णन की संभावनाओं के निर्धारण करने की प्रक्रिया के क्षेत्र में सुझाव महत्वपूर्ण थे। भाभा भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे और परमाणु ऊर्जा के शांन्तिप्रिय उपयोग संबंधी संयुक्त राष्ट्र की पहली कान्फ्रेंस के अध्यक्ष रहे।
66. विक्रमादित्य (चंद्रगुप्त द्वितीय) – गुप्तवंश का श्रेष्ठतम शासक। इनका शासनकाल भारतीय इतिहास में 'स्वर्णयुग' के नाम से जाना जाता है। इनके काल में कला एवं साहित्य में विशेष उन्नति हुई। महाकवि कालिदास इनके नवरत्नों में से एक थे।
67. वाल्मीकि – प्राचीन भारत में संस्कृत जगत् के महान कवि। रामायण इनकी प्रसिद्ध रचना है।
68. वाराहमिहिर – प्राचीन भारत के महान् गणितज्ञ, ज्योतिषविद् एवं दार्शनिक। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के नवरत्नों में से एक थे।
69. वेद व्यास (महर्षि कृष्ण द्वैपायन) – इन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की। इस महाकाव्य का एक खंड 'श्रीमद्भागवतगीता' हैं, जो हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ है। इसमें हिंदुओं को नैतिक विधि-निषेधों का वर्णन है।
70. वायकोम मोहम्मद बशीर (1908-94) – प्रसिद्ध मलयालम साहित्यकार, जिन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा 50 वर्षों तक मलयालम साहित्य को समृद्ध एवं प्रभावित किया। इन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया।
71. शंकराचार्य – भारत के प्रसिद्ध हिंदू चिन्तक व दार्शनिक, जिन्होंने हिन्दू धर्म की एकता के लिए विशिष्टा प्रयास किये और भारत में चार मठों की स्थापना की।
72. शांति स्वरूप भटनागर (1894-1955) – भारतीय विज्ञान की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभान वाले भटनागर चुंबकत्व व इमल्सनों का रसायन संबंधी कार्य के लिए सुविख्यात है। डॉ. भटनागर ने सी एस आई आरा (Council for Scientific and Industrial Reserch) की स्थापना में महत्वपूर्ण सहयोग दिया व इसके प्रथम निदेशक भी रहे। 1943 में इन्हें 'फैलो ऑफ रायल सोसायटी' चुना गया।
73. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला (1906-42) – पांच दशक से भी अधिक समय तक जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर छाय रहने वाले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे। इनके उपनाम 'शेर-ए-कश्मीर' से भी जाना जाता है।
74. श्री निवास रामानुज (1887-1948) – मात्र 33 वर्ष की आयु में मृत्यु हो जाने पर भी रामानुज ने संख्या सिद्धांत पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
75. सरोजिनी नायडू (1879-1948) – सरोजिनी नायडू प्रमुख स्वतंत्रता संग्रामी व भारत की अंग्रेजी भाषा की प्रसिद्ध कवयित्री थी। 1925 में भारतीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। स्वतंत्र भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की पहली महिला राज्यपाल थी।
76. स्वामी विवेकानन्द (1863–1902) – वेदांत दर्शन के प्रचारक विवेकानन्द ने 1893 में शिकागो में संपन्न विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया व विश्व को हिंदू धर्म दर्शन से प्रभावित किया।
77. सर आशुतोष मुखर्जी (1864–1924) – बंगाल के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं बैरिस्टर। ये 1899 में बंगाल विधान परिषद् के सदस्य मनोनीत किए गए। ये कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी थे।
78. सायण – चारों वेदों – ऋग्वेद, यर्जुवेद, सामवेद तथा अर्थववेद – पर प्रामाणिक भाष्यों के रचनाकार, कुशल राजनीतिज्ञ एवं संस्कृत के महान विद्यान्। ये विजयनगर शासक हरिहर II के मंत्री थे।
79. सुश्रुत – चौथी शताब्दी ई पू के महान् चिकित्सक, जिन्होंने 'सुश्रुत संहिता' की रचना की। ये शल्य चिकित्सा के बहुत बड़े जानकार थे।
80. सी एफ एंड्रयुज (1871–1902) – 1904 से भारत में निवास करने वाले ब्रिटिश नागरिक, जो दीनबंधु के उपनाम से विख्यात थे। ये भारतीय नेताओं के साथ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया।
81. सूरदास – भक्ति काव्य में श्रीकृष्ण भक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि। 'सूरसागर' इनका प्रसिद्ध ग्रंथ है। ये अंधे होने के बावजूद प्रकृति, बालवर्णन (श्रीकृष्ण का) का अत्यंत सजीव चित्र खींचा है।
82. राजेन्द्रचोल – चोल साम्राज्य का श्रेष्ठ शासक। इसने अपनी शक्तिशाली नौसेना द्वारा पेगू, श्रीलंका, अंडमान निकोबार को जीतकर चोल साम्राज्य में मिलाया।
83. हरिषेण – गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त (330-380 ई.) के दरबारी कवि एवं एक सेनापति। इन्होंने प्रयाग प्रशस्ति की रचना की, जिसमें समुद्रगुप्त की विजय यात्राओं का वर्णन है।
1. अबुल फजल (1561-1602) – मुगल सम्राट अकबर के 9 रत्नों में से एक 'आइने अकबरी' तथा 'अकबर नामा' के लेखक हैं। ये अकबर के प्रधानमंत्री थे।
2. आर्यभट्ट (476—520 ई.) – आर्यभट्ट के नाम पर प्रथम भारतीय उपग्रह का नाम रखा गया है। आर्यभट्ट प्राचीन भारत के महान खगोलविद् थे। ये चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय के दरबार में थे।
3. आचार्य विनोबा भावे (1895–1982) – आचार्य विनोबा भावे 'सर्वोदय' व 'भूटान' आंदोलन के जनक थे। मरणोपरान्त 1983 में इन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
4. आचार्य नरेन्द्र देव (1819–1956) – सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक नरेन्द्र देव प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ व विद्वान थे।
5. आर्देशिर कर्सेट जी वाडिया (1808–1877) – प्रसिद्ध यांत्रिक एवं समुद्री इंजीनियर। ये रॉयल सोसाइटी, लंदन के फैलो चुने जाने वाले प्रथम भारतीय थे।
6. ईश्वर चंद्र विद्यासागर (1820–1891) – प्रसिद्ध समाज सुधारक व शिक्षाविद् ईश्वर चद्र विद्यासागर ने प्राथमिक शिक्षा व विधवा विवाह के लिए सराहनीय कार्य किये।
7. उत्पल दत्त (1929–1993) – हिंदी तथा बांग्ला फिल्मों के विख्यात अभिनेता।
8. कृष्णदेव राय – कृष्णदेव राय ने दक्षिण भारत के विजनगर साम्राज्य पर 1509 से 1529 ई. तक राज्य किया। कृष्णदेव राय उत्कृष्ट योद्धा व कला व साहित्य के संरक्षक थे। इसके शासनकाल में विजयनगर साम्राज्य समृद्ध हुआ।
9. कनिष्क – कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रतापी राजा था। अश्वघोष व चरक जैसे साहित्यकार व वैद्य इसके दरबार में थे। कनिष्क ने चौथे बौद्ध संगीतिका का कश्मीर में आयोजन करवाया। कनिष्क बौद्ध धर्म का अनुयायी व संरक्षक था।
10. कबीरदास (1398–1518) – महान कवि व समाज सुधारक कबीर ने अपनी कविताओं के द्वारा समाज की रूढ़िवचादी परंपराओं पर प्रहार किया। निगुर्ण भक्ति धारा का यह महान कवि साम्प्रदायिकता व जाति—पाति का प्रबल विरोधी था। कबीर की रचनायें 'साखी', 'सबद' का 'रमैनी' में मिलती है।
11. कानन देवी – भारतीय फिल्म जगत् की महान अभिनेत्री, दादा साहब फाल्के सम्मान सम्मानित किया गया था। इंदिरा गांधी स्मारक पुरस्कार भी इन्हें प्रदान किया गया था।
12. कृतिवाद – 14वीं सदी के प्रमुख बांग्ला कवि, जिन्होंने रामायण (बाल्मीकी कृत) का बांग्ला में अनुवाद किया।
13. काश्यप मातंग – लगभग 67 ई पू में चीन की यात्रा पर जाने वाला प्रथम बौद्ध भिक्षु। मगध में जन्मे मातंग गंधार में रहते थे।
14. कल्हण – कश्मीर के प्रसिद्ध इतिहासकार एवं कवि। इन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना 'राजतरंगिणी में कश्मीर का तिथिवार एवं व्यवस्थित इतिहास लिखा है।
15. के कामराज नाडार (1903–1975) – प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ। ये 'जनता के नेता' उपनाम से भी प्रसिद्ध थे। इन्हें मरणोपरांत 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था।
16. कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी (1887-1971) – गुजराती एवं अंग्रेजी भाषाओं के प्रसिद्ध विद्वान, लेखक, कानूनविद्, स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ। इन्होंने देश में 'वन महोत्सव' का आरंभ किया था। इन्होंने मुंबई में भारतीय विद्याभवन की स्थापना भी की थी। ये मुंबई के गृहमंत्री (1937-39) केंद्र सरकार के खाद्य मंत्री (1950-51) तथा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल (1952-57) भी रहे।
17. गुरु गोविंद सिंह – सिक्खों के 10वें व अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना कर सिक्ख शक्ति की स्थापना की। गुरु गोविंद सिंह जीवनपर्यन्त मुगलों से संघर्षरत रहे।
18. गुरु नानक (1469–1538) – सिक्ख धर्म के संस्थापक व प्रथम गुरु, गुरु नानक का जन्म पाकिस्तान के तलवंडी नामक गांव में हुआ।
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19. गणेश शंकर विद्यार्थी (1890–1931) – गणेश शंकर विद्यार्थी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में पूर्ण ऊर्जा के साथ भागीदारी की, ये एक प्रबुद्ध पत्रकार थे। इन्होंने राष्ट्रवादी पत्रिका 'प्रताप' का संपादन किया। अंग्रेजी सरकार विरोधी लेखन के कारण इन्होंने कई बार जेल यात्रा की।
20. गोपाल कृष्ण गोखले (1866-1915) – भारत के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एवं महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु। इन्होंने 'सर्वेन्ट ऑफ इंडिया सोसाइटी' की स्थापना की। इन्होंने 1907 में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की अध्यक्षता भी की।
21. गोपीकृष्ण (1933–94) – देश के सुविख्यात कत्थक नर्तक, जिन्होंने 800 से भी अधिक फिल्मों में नृत्य निर्देशन किया। इन्होंने 9 घंटे 20 मिनट तक लगातार नृत्य कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।
22. गुरु अर्जुनदेव – सिक्खों के 5वें गुरु एवं 'गुरु ग्रंथ साहिब' के संकलनकर्त्ता। इन्होंने अमृतसर में स्वर्णमंदिर का निर्माण करवाया। सम्राट जहांगीर ने इन्हें, इस्लाम विरोधी घोषित कर इनकी हत्या करवा दी।
23. गोविन्द वल्लभ पंत (1887–1961) – प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, जो अपनी प्रशासनिक नीतियों के कारण विख्यात रहे। ये उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री तथा बाद में केंद्र सरकार के गृहमंत्री भी रहे।
24. चाणक्य – प्रसिद्ध नीतिज्ञ चाणक्य, मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे। इनका प्रसिद्ध ग्रंथ अर्थशास्त्र है।
25. चवार्क – भारतीय दर्शन में सर्वप्रथम चर्वाक ने भौतिक विचारधारा का समावेश किया। इस आदि वैज्ञानिक ने प्रचलित धार्मिक विश्वासों व ग्रंथों की प्रासंगिकता को स्वीकारने से इंकार कर दिया।
26. चितरंजन दास (1970–1925) – 1923 में मोतीलाल नेहरू के साथ मिलकर स्वराज पार्टी बनाई। प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को 'देशबंधु' के नाम से भी जाना जाता है।
27. तेज बहादुर सप्रू (1875–1945) – भारत के प्रमुख बैरिस्टर एवं न्यायविद्। इन्हें वायसराय की कार्यकारिणाी परिषद् की न्यायिक सदस्य बनाया गया था।
28. दादाभाई नौरोजी (1825–1917) – कांग्रेस के संस्थापक सदस्य दादा भाई नौरोजी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तीन बार अध्यक्षता की। इन्हें 'भारत के महान वृद्ध पुरुष' (The Great old Man of India) की संज्ञा दी गई है। इन्होंने अपनी पुस्तक 'पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया' में भारत के धन के ब्रिटेन की ओर प्रवाह का वर्णन किया है। ये पहले भारतीय थे, जिन्हें लंदन काउंटी से ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉतन्स का सदस्य चुना गया था।
29. नंदलाल बोस – प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार नंदलाल बोस शांति निकेतन स्थित भारतीय कला भवन के निदेशन थे।
30. नागार्जुन (दूसरी सदी) – भारत के प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक। ये कनिष्क के समकालीन थे तथा उसका संरक्षण प्राप्त था। 'मध्यकारिका' इनकी प्रसिद्ध कृति है। यह ग्रंथ महायान का महत्वपूर्ण ग्रंथ है। 'सुहल्लेख' में इन्होंने बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों का उल्लेख किया है।
31. नागार्जुन (7-8वीं सदी) – प्रसिद्ध भारतीय रसायनशास्त्री, जिन्होंने रस चिकित्सा पद्धति का सूत्रपात किया। इनके प्रसिद्ध ग्रंथ 'रसरत्नाकार' में धातुओं के शोधन एवं उनके गुण—दोष का विवेचन किया गया है। इस ग्रंथ में पारद (पारा) का उल्लेख अति महत्वपूर्ण है।
32. पाणिनि – वैदिक काल से संंबंधित महान व्याकरणार्थ पाणिनि ने 'अष्टाध्यायी' व्याकरण ग्रंथ लिखा।
33. पं. रवि शंकर – प्रख्यात् शास्त्रीय गायक रवि शंकर किचलू आगरा घराने से संबंधित थे।
34. पृथ्वीराज चौहान – दिल्ली का शासक पृथ्वीराज चौहान अत्यंत वीर व साहसी यौद्धा था। 1192 में मुहम्मद गोरी के साथ तराइन के युद्ध में पराजित किया। यह युद्ध भारत में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
35. पोरस – सिकन्दर के आक्रमण के समय पंजाब का राजा, जिसे सिकन्दर ने युद्ध में पराजित कर गिरफ्तार कर लिया था। बाद में पोरस की बहादुरी से प्रभावित होकर उसे और उसके विजित क्षेत्र को छोड़ दिया।
36. फिराक गोरखपुरी (1896–1982) – उर्दू के प्रसिद्ध शायर फिराक गोरखपुरी को 'गुल-ए-नग्मा' के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
37. फिरोजशाह मेहता (1845–1915) – 'बंबई का जननायक' के रूप में प्रसिद्ध समाज सुधारक, देशभक्त व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मेहता ने 1883 में बदरूद्दीन तैयबजी तथा के टी तेलंग के साथ मिलकर बंबई प्रेसीडेंस एशोसिएशन की स्थापना की।
38. फूदोरजी – पहला भारतीय जिसने बिना आॅक्सीजन के एवरेस्ट पर विजय की। एवरेस्ट पद दो बार फतह करने के बाद दोरजी ने कंचनजंघा पर भी आरोहण किया।
39. बाणभट्ट – ये संस्कृत के विद्यान थे और सम्राट हर्षवर्धन के दरबारी थे। इनकी प्रसिद्ध रचनाये 'कादम्बरी' 'हर्षचरितम्' व 'सूर्यशतकम्' है।
40. बंकिम चंद्र चटर्जी (1838–1894) – बंकिम चंद्र चटर्जी की प्रसिद्ध रचना 'आनन्द मठ' है जिससे राष्ट्रीय गीत 'वंदेमातरम्' लिया गया है। इनकी अन्य रचनायें 'दुर्गेशनन्दिनी' एवं 'कपाल कुंडला' है।
41. बालकृष्ण भट्ट (1844–1914) – बालकृष्ण भट्ट हिंदी के प्रसिद्ध निबंधकार व नाटककार थे।
42. बैरम खां – प्रसिद्ध मुगल सम्राट अकबर महान् के चाचा, जिन्होंने अकबर के शिक्षक एवं अभिभावक की भूमिका निभाई।
43. ब्रह्मगुप्त (598–680) – भारत के प्रमुख गणितज्ञ। इन्होंने 'ब्रहा सिद्धांत' ग्रंथ की रचना की।
44. भारतेन्दु हरिशचन्द्र (1850–1883) – भारतेन्दु युग के प्रमुख लेखक ने 'चंद्रावली', 'भारत दुर्दशा' व 'अंधेर नगरी' जैसे प्रसिद्ध नाटक लिखे। भारतेन्दु हरिशचन्द्र आधुनिक हिंदी खड़ी बोली के संस्थापकों में प्रमुख थे।
45. भास्कराचार्य – महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने 'शिरोमणि' नामक ग्रंथ की रचना की जिसके प्रथम भाग को लीलावती भी कहा जाता है। पद्य के रूप में लिखी यह पुस्तक 12 वीं शताब्दी में भारतीय गणित की उपलब्धियों का एक उत्कृष्ट नमूना है।
46. भवभूति (8वीं शताब्दी) – संस्कृत के महान् नाटककार। इन्होंने मालतीमाधवम्, महावीरचरितम्, उत्तरामचरितम् नामक तीन प्रसिद्ध नाटकों की रचना की।
47. भास्कर I (7वीें शताब्दी) – ब्रह्मगुप्त के समकालीन प्रसिद्ध नक्षत्रविज्ञानी। भारत के दूसरे उपग्रह का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया है।
48. भर्तृहरि (7वीं शताब्दी) – प्रसिद्ध वैयाकरण, संस्कृत कवि एवं तत्वज्ञानी थे। इन्होंने नीतिशतकम्, श्रृंगारशतकम् एवं वैराग्यशतकम् काव्य ग्रंथों की रचना की थी। ये उज्जैन के महाराजा थे। इनकी पत्नी का नाम पिंगला था।
49. भदंत आनन्द कौशल्यायन (1900-1988) – अखिल भारतीय बौद्ध भिक्षु संघ के अध्यक्ष तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त बौद्ध विद्यान। इन्होंने बौद्ध धर्म की उपयोगिता को वर्तमान परिप्रेक्षय में रेखांकित किया तथा पूरे जीवन बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में अपना योगदान दिया।
50. मेघनाद साहा (1853-1956) – उष्ण उपवन (Thermal Ionisation) सिद्धांत द्वारा पाने वाले भारतीय, नाभिकीय भौतिक विज्ञानी मेघनाद साहा भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। इन्होंने 'हिस्ट्रीय ऑफ हिन्दू साइंस' लिखी।
51. मदर टेरेसा (1910) – 1946 से भारत में जरूरतमंद लोगों की नि:स्वार्थ सेवा करने वाली मदर टेरेसा को भारत की नागरिकता प्राप्त है। इन्हें पद्मश्री (1962), रेमन मैग्ससे पुररस्कार, जवाहर लाल नेहरू शांति पुरस्कर, नोबेल शांति पुरस्कार (1979), भारत रत्न (1980), ब्रिटिश आर्डर ऑफ येरिट (1993) जैसे सम्मानित परस्कारों से सम्मानित किया गया है।
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52. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (1861–1962) – 1955 में 'भारत रत्न' से सम्मानित विश्वेश्वरैया का भारत के औद्योगिक व तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। विश्वेश्वरैया एक कुशल प्रशासक व प्रबुद्ध अभियंता थे। इन्होंने अनेक बहुद्देश्यीय परियोजनाओं को अपने पर्यवेक्षण में संपन्न कराया, जिसमें कावेरी नदी पर बना विशाल बांध महत्वपूर्ण है।
53. मेजर ध्यानचंद (1905-1979) – भारतीय हॉकी को विश्व-स्तर तक प्रतिष्ठा दिलाने व 'हॉकी के जादूगर' नाम से विख्यात ध्यानचंद्र भारतीय हॉकी के उत्कृष्ट खिलाड़ी थे। इनके नेतृतव में भारत ने हॉकी के लिए अनेक विश्वस्तरीय प्रतियोगितायें जीतीं।
54. मुहम्मद गोरी – भारत में मुस्लिम साम्राज्य के संस्थापक मुहम्मद गोरी ने 1192 में दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान को हरा कर दिल्ली पर अधिकार किया।
55. मुंशी प्रेमचन्द (1880–1937) – हिन्दी भाषा के उपन्यास सम्राट, जिन्होंने अनेक उत्कृष्ट उपन्यासों तथा कहानियों की रचना की। इनके उपन्यासों एवं कहानियें में सामाजिक समस्याओं खासकर 'ग्रामीण परिवेश की समस्याओं' का यथार्थ चित्रण मिलता है।
56. मलिक मुहम्मद जायसी – 16वीं शताब्दी के अवधि भाषा के प्रसिद्ध कवि। इन्होंने पद्मावत महाकाव्य की रचना की। ये सूफी विचारधारा से प्रभावित थे।
57. महाराजा रणजीत सिंह – पंजाब के विख्यात राजा। इन्होंने आधुनिक ढंग से सुसज्जित सेना रखी।
58. मनु – प्राचीन भारत के विधि निर्माता, जिन्होंने देश के तत्कालीन परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर अनेक विधियों (कानूनों) का निर्माण किया। इन विधियों का संग्रह 'मनुस्मृति' नामक ग्रंथ के रूप में है।
59. रजिया बेगम (1236-40) – दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाली प्रथम मुस्लिम शासिका। इल्तुतमिश ने अपने पुत्रों को गद्दी के अयोग्य समझकर अपनी पुत्री रजिया को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।
60. राणासांगा – मेवाड़ के प्रसिद्ध राजा, जिन्होंने युद्धों में अपने अंगों–आंख, एक पैर एवं एक हाथ–को गंवा देने के बावजूद खुद को एक महान् योद्धा के रूप में स्थापित किया। खानवा के युद्ध (1527) में (बाबर में) इनकी हार हो गई।
61. राजशेखर (10वीं शताब्दी) – महान् संस्कृत विद्वान, जिन्होंने विद्धिशालभंजिका, कर्पूरमंजरी, बालरामायण, बालभारत, प्रचण्डपाण्डवम् जैसे नाटकों तथा काव्यमीमांसा जैसे श्रेष्ठ काव्यशास्त्र की रचना की। ये प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल (890-910 ई.) के गुरु थे।
62. रघुनन्दन (स्मार्त भट्टाचार्य) – विख्यात धर्मशास्त्री। इनके 'नवस्मृति' तथा 'अष्टाविंशति तत्व' नामक धर्मशास्त्र असम एवं बंगाल में उत्तराधिकार का प्रमाणिक आधार माना जाता है।
63. रामकृष्ण बजाज (1923-1994 ई.) – भारत के स्वतंत्रता सेनानी एवं लोकसेवक तथा देश के अग्रणी उद्योगपति।
64. राजराज – चोल साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक, जिन्होंने चोल साम्राज्य को एकता के सूत्र में बांधा तथा शासन में महत्वपूर्ण सुधार किया। इन्होंने तंजौर (तंजावुर) में वृहदेश्वर (राजराजेश्वर) नामक शिव मंदिर का निर्माण करवाया।
65. होमी जहांगीर भाभा (Homi Jahangir Bhabha) (1909–1966) – भारतीय नाभिक भौतिक विज्ञानी डा. होमी जहांगीर भाभा 'कॉस्म्कि किरणों में कास्केड शावर घटना' की सैद्धान्तिक व्याख्या व परमाणु के इलेक्ट्रॉन पोजिट्रॉन प्रकीर्णन की संभावनाओं के निर्धारण करने की प्रक्रिया के क्षेत्र में सुझाव महत्वपूर्ण थे। भाभा भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे और परमाणु ऊर्जा के शांन्तिप्रिय उपयोग संबंधी संयुक्त राष्ट्र की पहली कान्फ्रेंस के अध्यक्ष रहे।
66. विक्रमादित्य (चंद्रगुप्त द्वितीय) – गुप्तवंश का श्रेष्ठतम शासक। इनका शासनकाल भारतीय इतिहास में 'स्वर्णयुग' के नाम से जाना जाता है। इनके काल में कला एवं साहित्य में विशेष उन्नति हुई। महाकवि कालिदास इनके नवरत्नों में से एक थे।
67. वाल्मीकि – प्राचीन भारत में संस्कृत जगत् के महान कवि। रामायण इनकी प्रसिद्ध रचना है।
68. वाराहमिहिर – प्राचीन भारत के महान् गणितज्ञ, ज्योतिषविद् एवं दार्शनिक। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के नवरत्नों में से एक थे।
69. वेद व्यास (महर्षि कृष्ण द्वैपायन) – इन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की। इस महाकाव्य का एक खंड 'श्रीमद्भागवतगीता' हैं, जो हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ है। इसमें हिंदुओं को नैतिक विधि-निषेधों का वर्णन है।
70. वायकोम मोहम्मद बशीर (1908-94) – प्रसिद्ध मलयालम साहित्यकार, जिन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा 50 वर्षों तक मलयालम साहित्य को समृद्ध एवं प्रभावित किया। इन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया।
71. शंकराचार्य – भारत के प्रसिद्ध हिंदू चिन्तक व दार्शनिक, जिन्होंने हिन्दू धर्म की एकता के लिए विशिष्टा प्रयास किये और भारत में चार मठों की स्थापना की।
72. शांति स्वरूप भटनागर (1894-1955) – भारतीय विज्ञान की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभान वाले भटनागर चुंबकत्व व इमल्सनों का रसायन संबंधी कार्य के लिए सुविख्यात है। डॉ. भटनागर ने सी एस आई आरा (Council for Scientific and Industrial Reserch) की स्थापना में महत्वपूर्ण सहयोग दिया व इसके प्रथम निदेशक भी रहे। 1943 में इन्हें 'फैलो ऑफ रायल सोसायटी' चुना गया।
73. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला (1906-42) – पांच दशक से भी अधिक समय तक जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर छाय रहने वाले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे। इनके उपनाम 'शेर-ए-कश्मीर' से भी जाना जाता है।
74. श्री निवास रामानुज (1887-1948) – मात्र 33 वर्ष की आयु में मृत्यु हो जाने पर भी रामानुज ने संख्या सिद्धांत पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
75. सरोजिनी नायडू (1879-1948) – सरोजिनी नायडू प्रमुख स्वतंत्रता संग्रामी व भारत की अंग्रेजी भाषा की प्रसिद्ध कवयित्री थी। 1925 में भारतीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। स्वतंत्र भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की पहली महिला राज्यपाल थी।
76. स्वामी विवेकानन्द (1863–1902) – वेदांत दर्शन के प्रचारक विवेकानन्द ने 1893 में शिकागो में संपन्न विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया व विश्व को हिंदू धर्म दर्शन से प्रभावित किया।
77. सर आशुतोष मुखर्जी (1864–1924) – बंगाल के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं बैरिस्टर। ये 1899 में बंगाल विधान परिषद् के सदस्य मनोनीत किए गए। ये कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी थे।
78. सायण – चारों वेदों – ऋग्वेद, यर्जुवेद, सामवेद तथा अर्थववेद – पर प्रामाणिक भाष्यों के रचनाकार, कुशल राजनीतिज्ञ एवं संस्कृत के महान विद्यान्। ये विजयनगर शासक हरिहर II के मंत्री थे।
79. सुश्रुत – चौथी शताब्दी ई पू के महान् चिकित्सक, जिन्होंने 'सुश्रुत संहिता' की रचना की। ये शल्य चिकित्सा के बहुत बड़े जानकार थे।
80. सी एफ एंड्रयुज (1871–1902) – 1904 से भारत में निवास करने वाले ब्रिटिश नागरिक, जो दीनबंधु के उपनाम से विख्यात थे। ये भारतीय नेताओं के साथ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया।
81. सूरदास – भक्ति काव्य में श्रीकृष्ण भक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि। 'सूरसागर' इनका प्रसिद्ध ग्रंथ है। ये अंधे होने के बावजूद प्रकृति, बालवर्णन (श्रीकृष्ण का) का अत्यंत सजीव चित्र खींचा है।
82. राजेन्द्रचोल – चोल साम्राज्य का श्रेष्ठ शासक। इसने अपनी शक्तिशाली नौसेना द्वारा पेगू, श्रीलंका, अंडमान निकोबार को जीतकर चोल साम्राज्य में मिलाया।
83. हरिषेण – गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त (330-380 ई.) के दरबारी कवि एवं एक सेनापति। इन्होंने प्रयाग प्रशस्ति की रचना की, जिसमें समुद्रगुप्त की विजय यात्राओं का वर्णन है।
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