The 1947 agreement among India, Nepal and United Kingdom
हाल ही में नेपाली विदेश मंत्री ने कहा है कि भारत, नेपाल और यूनाइटेड किंगडम के बीच वर्ष 1947 का समझौता जो गोरखा सैनिकों की सैन्य सेवा से संबंधित है, ‘निरर्थक’ हो गया है।
⭕प्रमुख बिंदु:
नेपाली विदेश मंत्री ने कहा है कि गोरखा सैनिकों की भर्ती अब अतीत की विरासत हो चुकी है यह एक ऐसा एकल द्वार था जिसे नेपाली युवाओं को विदेश जाने के लिये खोला गया था। बदले हुए परिदृश्य में इस समझौते के कुछ प्रावधान संदिग्ध हो गए हैं। अतः वर्ष 1947 का त्रिपक्षीय समझौता निरर्थक हो गया है।
वर्ष 1947 का त्रिपक्षीय
⭕समझौता:
भारत, नेपाल और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुए वर्ष 1947 के समझौते के अनुसार, भारत और ब्रिटेन अपने देश की सेना में गोरखाओं लोगों की भर्ती कर सकते हैं।
⭕ब्रिटिश सेना में पहली बार गोरखाओं की भर्ती:
‘आंग्ल-नेपाल युद्ध’ (वर्ष 1814-16) जिसे ‘गोरखा युद्ध’ भी कहा जाता है, के दौरान जब अंग्रेज सेना को अधिक क्षति हुई थी तब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया ने पहली बार अपनी सेना में गोरखाओं को भर्ती किया था। यह युद्ध वर्ष 1816 की सुगौली की संधि पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ था।
‘आंग्ल-नेपाल युद्ध’ के समय ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लाॅर्ड हेस्टिंग्स थे।
भारतीय सेना में कार्यरत गोरखा सैनिक:
उल्लेखनीय है कि नेपाल के गोरखा सैनिक छह दशकों से भारतीय सेना का अभिन्न अंग रहे हैं और वर्तमान में 7 गोरखा रेजिमेंट में कुल 39 बटालियन कार्यरत हैं।
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