सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ट्वीट्स को लेकर अवमानना के दोषी ठहराए गए प्रशांत भूषण की सज़ा के बारे में अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है. प्रशांत भूषण ने अपने दो ट्वीट्स में सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर टिप्पणी की थी जिसके लिए अदालत ने 14 अगस्त को उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया था. उन्हें 25 अगस्त 2020 को सज़ा सुनाने का दिन तय किया गया था जिसके पहले सुनवाई हुई और अब अदालत ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है.
कोर्ट की अवमानना के मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वह हर तरह की सजा के लिए तैयार हैं. भूषण ने कहा मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अवमानना केस में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्वीट मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए वकील प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना है. वकील प्रशांत किशोर पर अवमानना की कार्रवाई उनके दो ट्वीट को लेकर की गई है.
कोर्ट ने अपने फैसले में प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी बताया है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस मामले में अधिवक्ता प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया.
प्रशांत भूषण को क्यों माना गया दोषी
प्रशांत भूषण को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के बारे में किए गए दो ट्वीट्स के लिए अवमानना का दोषी माना है. कोर्ट ने जून में प्रशांत भूषण की ओर से मुख्य न्यायाधीश के बारे मे किए गए दो ट्वीट पर अवमानना का स्वत: संज्ञान लिया था.
प्रशांत भूषण ने सीजेआइ बोबडे की मोटरबाइक पर बैठे तस्वीर प्रकाशित होने पर ट्वीट किया था. उन्होंने कहा था कि कोरोना महामारी में शारीरिक दूरी को बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामान्य कामकाज को बंद कर दिया गया है और सीजेआइ बिना मास्क लगाए लोगों के बीच मौजूद हैं. जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने उनके इस ट्वीट को अदालत की अवमानना मानते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था.
प्रशांत भूषण ने अपने हलफनामे में क्या कहा?
प्रशांत भूषण ने अपने हलफनामे में कहा था कि किसी एक प्रधान न्यायाधीश या उसके बाद के प्रधान न्यायाधीशों के कामकाज की आलोचना करने का मतलब सुप्रीम कोर्ट की छवि को खराब करना नहीं है. उन्होंने कहा कि मोटरसाइकिल पर बैठे सीजेआइ के बारे में उनका ट्वीट, पिछले तीन महीने से अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट में सामान्य कामकाज नहीं होने पर उनकी पीड़ा को दर्शाता है.
कारण बताओ नोटिस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रशांत भूषण को 22 जुलाई 2020 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. 5 अगस्त 2020 को मामले में सुनवाई पूरी हो गई थी.
सजा का प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट की अवमानना अधिनियम की धारा 12 के तहत तय किए गए सजा के प्रावधान के अनुसार, दोषी को छह महीने की कैद या दो हजार रुपए तक नकद जुर्माना या फिर दोनों हो सकती है.
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