इतिहास में आज:भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री जिन्होंने कल्पना की उड़ानों को थमने नहीं दिया।।

साल था 1947। भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हो चुका था। देश की बड़ी आबादी इधर से उधर और उधर से इधर हो रही थी। इसी दौरान मुल्तान के रहने वाले बनारसी लाल चावला का परिवार करनाल आ गया था। बनारसी लाल ने यहां आकर कपड़े बेचना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने टायर का बिजनेस डाला। उनके चार बच्चे थे।

1 जुलाई 1961 को जन्मी सबसे छोटी बेटी का नाम मोंटो रखा। यही मोंटो आगे चलकर कल्पना चावला नाम से जानी गई। स्पेस में जाने वाली पहली भारतीय महिला। शुरुआत में करनाल से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया, फिर एयरोस्पेस में मास्टर्स की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गईं।

1984 में एयरोस्पेस की इंजीनियरिंग भी पूरी कर ली। फिर एक और मास्टर्स किया और पीएचडी की। 1988 में नासा में काम करना शुरू किया। 1991 में अमेरिका की नागरिकता मिल गई। इसी साल नासा एस्ट्रोनॉट कॉर्प्स का हिस्सा बनीं। 1997 में अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला और नासा के स्पेशल शटल प्रोग्राम का हिस्सा बन गईं।

19 नवंबर 1997 यानी आज ही के दिन कल्पना ने अपना अंतरिक्ष मिशन शुरू किया था। उस समय उनकी उम्र महज 35 साल थी। 6 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उन्होंने स्पेस शटल कोलंबिया STS-87 से उड़ान भरी। इस मिशन के दौरान कल्पना ने 65 लाख मील का सफर तय किया था। 376 घंटे 34 मिनट अंतरिक्ष में बिताए।

इसके बाद साल 2003 आया। यह यात्रा कल्पना की दूसरी लेकिन उनके जीवन की अंतिम यात्रा साबित हुई। 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा प्रवेश करते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें कल्पना चावला समेत 7 अंतरिक्ष यात्रियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो गई।
#कल्पना चावला

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