Geosynchronous Transfer Orbit)

संदर्भ:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने PSLV-C50 के द्वारा भारत के 42 वें संचार उपग्रह, CMS-01 को भू-तुल्‍यकालिक अंतरण कक्षा (Geosynchronous Transfer Orbit- GTO) में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है।

👉PSLV-C50 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया गया था। 
👉यह PSLV का 52 वां मिशन था।

✅CMS-01 के बारे में:

👉CMS-01 भारत का 42 वां संचार उपग्रह है।
 👉यह उपग्रह फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के एक्सटेंडेड-सी बैंड में सेवाएं प्रदान करता है।
 👉एक्सटेंडेड-सी बैंड कवरेज में भारतीय मुख्य भूमि, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं।

👉यह उपग्रह से सात वर्ष से अधिक समय तक सेवाएं प्रदान करेगा।

विभिन्न कक्षाएँ:

✅भू-तुल्‍यकालिक कक्षा (Geosynchonous Orbit–GEO) में उपग्रह, पृथ्वी के उपर लगभग एक ही स्थान पर स्थिर रहते हुए प्रतिदिन एक बार पृथ्वी के चारों और परिभ्रमण करता है

👉पृथ्वी के चारों ओर प्रति दिन एक बार की दर से एक उपग्रह लेता है, इसे जमीन पर लगभग उसी क्षेत्र में रखता है।

✅भू-स्थिर कक्षा (Geostationary Orbit-GEO) भी एक भू-तुल्‍यकालिक कक्षा होती है, किंतु इसमें कक्षा की आनति (inclination) कोण ‘शून्य’ होता है, अर्थात भू-स्थिर कक्षा, भूमध्य रेखा के ऊपर स्थित होती है।

✅fact

सभी भू-स्थिर उपग्रह, भू-तुल्‍यकालिक होते हैं, किंतु सभी भू-तुल्‍यकालिक उपग्रह भू-स्थिर नहीं होते हैं।

✅अंतरण कक्षा (transfer orbit)

भू-तुल्‍यकालिक और भू-स्थिर कक्षाओं में स्थापित करने हेतु पेलोड ले जाने वाले रॉकेट्स, पेलोड (payload) को, उपग्रह की अंतिम स्थिति से पहले, अंतरण कक्षा (transfer orbit) में छोड़ देते हैं।

👉अंतरण कक्षा से, उपग्रह एक इंजन के द्वारा अपने कक्षा में परिक्रमण करता है और अपने आनति कोण में परिवर्तन करते हुए अंतिम स्थिति में पहुँचता है।

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