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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

छायावाद।।

● खड़ी बोली हिन्दी का स्वर्ण युग -- छायावाद 

● छायावाद का घोर समर्थक पत्र --- प्रेमचन्द द्वारा सम्पादित जागरण पत्र 

● छायावाद का प्रवर्तक -- जयशंकर प्रसाद 

●आचार्य शुक्ल ने छायावाद का प्रवर्तक माना है -- मुकूटधर पाण्डे 

● छायावाद की प्रयोगशाला का प्रथम आविष्कार माना गया है -- जयशंकर प्रसाद की झरना कविता को

● आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने छायावाद को अभिव्यंजनावाद का विलायती संस्करण कहा है

● सुमित्रानंदन पंत किस दार्शनिक मत के कवि है अरविंद दर्शन

● महादेवी वर्मा किस दार्शनिक मत की कवयित्री हैं -- बौद्ध दर्शन

● सूर्यकांत त्रिपाठी किस दार्शनिक मत के कवि हैं -- अद्वेत वेदांत दर्शन के

● जयशंकर प्रसाद किस दार्शनिक मत के कवि है - प्रत्यभिज्ञा दर्शन /आनंदवाद /समरसता वाद

● डॉ कृष्णदेव झारी के अनुसार छायावाद के चार आधार स्तंभ -- •जयशंकर प्रसाद - ब्रहमा •सुमित्रानंदन पंत -विष्णु • सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - महेश( रुद्र ) • महादेवी वर्मा - शक्ति( दुर्गा)

● आचार्य नंददुलारे वाजपेई के अनुसार छायावाद बृहत्रयी ( तीन बड़े कवि ) -- जयशंकर प्रसाद ,सुमित्रानन्दन पंत, सूर्यकान्त त्रिपाठी ' निराला 

● प्रभाकर माचवे विनय मोहन शर्मा के अनुसार छायावाद के प्रवर्तक-- माखनलाल चतुर्वेदी

● नंददुलारे वाजपेई के अनुसार छायावाद के प्रवर्तक -- सुमित्रानंदन पंत

● "परमात्मा की छाया आत्मा में और आत्मा की छाया परमात्मा में पड़ने लगती है । यही छायावाद है ।" यह परिभाषा किस आलोचक की है -- रामकुमार वर्मा

● "छायावाद तत्वत: प्रकृति के बीच जीवन उद् गीथ है ।.....उसका मूल दर्शन सर्वात्मवाद है ।" यह परिभाषा किसकी है --- महादेवी वर्मा 

● " जब वेदना के आधार पर स्वानुभूतिमयी अभिव्यक्ति होने लगी तब हिंदी में उसे छायावाद के नाम से अभिहित किया गया । " यह कथन किस व्यक्ति का है-- जयशंकर प्रसाद

● "छायावाद शब्द का प्रयोग दो अर्थों में समझना चाहिए- एक तो रहस्यवाद के अर्थ में और दूसरा काव्य शैली या पद्धती विशेष के व्यापक अर्थ में।" यह कथन किस आलोचक का है --आचार्य रामचंद्र शुक्ल

●" छायावाद के मूल में पाश्चात्य रहस्यवादी भावना अवश्य थी । इस श्रेणी की मूल प्रेरणा अंग्रेजी की रोमांटिक भाव धारा की कविता से प्राप्त हुई थी।" यह विचार किस आलोचक का है --- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

● "छायावाद स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह है।" कथन किस आलोचक का है -- नगेंद्र

●छायावाद को मधुचर्या किस आलोचक ने कहा -- 
शुक्ल

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