राधा के स्कूल के रास्ते में एक नदी पड़ती थी । नदी के आस-पास खेत थे। एक खेत में कद्दू की बेल लगी थी। स्कूल से लौटते समय राधा ने सोचा, "माँ कद्दू की सब्ज़ी बहुत अच्छी बनाती हैं। क्यों न एक कद्दू लेती चलूँ?"
उसने पहले एक कद्दू तोड़ा। फिर दूसरा अब उसके दोनों हाथों में एक-एक कद्दू था । राधा के बाल बहुत लम्बे थे। उसने तीसरा कद्दू अपनी चोटी में बाँध लिया। वह घर की ओर चल पड़ी । रास्ते में राधा को प्यास लगी। उसने दोनों कद्दू नदी किनारे रखे। फिर पानी पीने के लिए झुकी । अचानक! चोटी में बँधा कद्दू आगे आ गया और ज़ोर का झटका लगा। राधा नदी में लुढ़क गई। वह डूबने लगी। उसने बहुत मुश्किल से चोटी में बँधा कद्दू खोला। जैसे-तैसे वह नदी से बाहर निकली। उसकी साँस फूल रही थी।
उसने मन ही मन सोचा, "आज तो ये कद्दू मेरी जान ही ले लेते! वैसे भी ये कद्दू मेरे नहीं थे। मुझे इन्हें नहीं तोड़ना चाहिए था !"
वह घर की ओर चल पड़ी।
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