सिलसिला फ़िल्म आई थी सन् 1981 में। आज 42 साल बाद भी, किसी भी होली का जश्न अधूरा है , अगर उसमें “रंग बरसे” गीत ना बजे और कदम ना थिरकें।
क्या ग़ज़ब समाँ बाँधा था इस गीत ने। इसके लेखक कोई और नहीं प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन थे, और उसे गाया था, उनके बेटे और सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने।
इसका संगीत दिया था, प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकार स्व. शिवकुमार शर्मा और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने। यश चोपड़ा की गोल्डन जुबली “कभी - कभी” का संगीत दिया था ख़ैयाम ने। सभी को लगा कि सिलसिला का भी संगीत वे बनायेंगे। पर कहते हैं कि ख़ैयाम को कथानक पसंद नहीं आया। इस पर यश जी ने इन दोनों संगीतज्ञों से बात की, “शिव- हरि” के रूप में उनकी पहली फ़िल्म थी।
यश चोपड़ा तब तक अमिताभ बच्चन को लेकर फ़िल्में बनाते थे। सिलसिला के बाद उन्होंने शाहरुख़ को लेकर फ़िल्में बनाई और वे उतनी ही लोकप्रिय हुई। बीस साल बाद “मोहब्बतें”, उन दोनों को साथ के बनाई। उसमें भी एक होली गीत था , ”सोनी सोनी” पर , रंग बरसे वाली बात नहीं।
हाँ, और एक बात । सिलसिला में जो अमिताभ - रेखा - जया का त्रिकोण दिखाया था, ऐसा कहाँ जाता है की वह असली जीवन का दर्पण था ।
ख़ैर, उम्मीद है आज आपने भी “रंग बरसे” ; गाया , सुना या उस पर डांस किया होगा । उसी बहाने होली मुबारक।
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