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तत्सम और तद्भव शब्द की परिभाषा,पहचानने के नियम और उदहारण - Tatsam Tadbhav

तत्सम शब्द (Tatsam Shabd) : तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत +सम , जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना...

क्या संस्कृत व्याकरण से और कठिन नियमों से संस्कृत का नाश हो रहा है?

जी नहीं। संस्कृत भाषा तो आज उसके सटीक और सुघटित व्याकरण की वजह से ही जिन्दा है। 

क्या आप जानते हैं व्याकरण और नियमों के अभाव में क्या होता है? भाषा में बहुत से लोगों का प्रवेश हो सकता है, व्यापक स्तर पे बोली जा सकती है और प्रचार भी सरल है। इस लचीले स्वभाव से अवश्य काफी मदद मिलेगी। 

लेकिन इसका दुष्परिणाम है कि भाषा में बड़े बदलाव आएँगे प्रान्त प्रान्त के हिसाब से। देख लीजिए आज एक बिहारी गुजराती मराठी या पञ्जाबी सबकी हिन्दी अलग प्रकार की है। ऐसे में बदलाव 50-60 साल में एक भाषा की अनेक बोलियाँ बनती हैं, फिर उसमें से एक नयी निकट की भाषा बन जाती है। और फिर कुछ हजार दो हजार साल बाद जो मूल भाषा है उसका क्या स्वरूप था बताना असम्भव हो जाएगा। 

कह सकते हो कि प्राचीन साहित्य को देखके अन्दाज लगा लिया जाए। हाँ जैसे पुरानी अंग्रेजी आज नयी अंग्रेजी काफी फर्क है। लेकिन प्रत्येक व्यक्ति जो उस भाषा को सीखना चाहेगा, को अपने मनसे उसके नियम का अनुमान लगाना होगा। कई बार सही लगेगा कई बार गलत। और उसमें भी एक भाषा में करोड़ों नियम होते हैं पूरी भाषा के नियम सीखना असम्भव हो जाएगा।

आज लैटिन का येही हाल है। प्राचीन साहित्य है किन्तु पढ़ना सीखना बड़ा कठिन। कोई निबद्ध व्याकरण ग्रन्थ नहीं। सब विद्वान् बैठके हिसाब लगा लगा के उसके नियम निबद्ध कर रहे हैं। उसमें भी जिस तरह से प्राचीन लोग सोचते होंगे वैसा नवीन न सोचें और साहित्य भी 2000 साल बाद थोड़ा ही मिलेगा, उसमें से जितना अन्दाज लगा सको उतना सही। भाषा आ भी गयी तो भी उसका चाल चलन कोई देशी native बोले और बाहर का आके सीखे तो चाल चलन में जमीन आसमान का फर्क होता है। हम अंग्रेजी कितनी ही अच्छी बोलें या लिखें, हमारा चाल चलन अंग्रेजी मूल चाल चलन जैसा नहीं है।

आज सोचो पाणिनि भगवान् का कितना महान् उपकार है संस्कृत को। उन्होंने इतनी बड़ी भाषा को, जिसमें पृथक् पृथक् देखने जाओ तो करोड़ो नियम हैं, उसको मात्र आठ अध्याय की पुस्तक में समा दिया। यह सम्पूर्ण संस्कृत व्याकरण  चार से पाँच साल में हो सकता है और अगर ऊपरी हिस्सा चाहिए तो 1 साल में ही। आज इतने सारे लोग संस्कृत बोल रहे हैं, और संस्कृत की मौलिकता originality आज भी विद्यमान है उसमें बहुत बडा कारण व्याकरण का है।

चाल चलन में फर्क अवश्य आया है लेकिन व्याकरण सीखने वाले लोग उसी प्राचीन रीतसे संस्कृत बोलने लिखने में सक्षम हैं, दूसरी किसी भाषा में वह सम्भव नहीं। इसलिए व्याकरण का भला मानों मित्रों और पाणिनि भगवान् की दूरदर्शिता और उपकार को समझो जिससे पहले कि व्याकरण को कुछ कहो। 🙏
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