(Vyakaran- DhatuGana-3)
पूर्व में आपने धातुगणो का परिचय, और उनको किस प्रकार बाँटा गया है इसके बारे में पढ़ा। अब हम इन गणों के उपयोग के बारे में पढ़ेंगे।
भ्वादि:- भवति, खादति, भजति, पठति।
(इनमें धातु के बाद शप् लगता है, फिर ति-आदि प्रत्यय आते हैं। शप् में "अ" बचता है = पठ्+अ+ति। वैसे ही - भज्+अ+ति = भजति)
अदादि:- अत्ति, वक्ति, हन्ति
(इनमें धातु के बाद "लुक्" विकरण लगता है। लुक् एक प्रकार का लोप/अदर्शन है मतलब धातु के बाद लुक्/शून्य ही लगेगा। तो कोई आधान/addition न करके सीधा प्रत्यय जोड़ना है।)
अद्+ति = अत्ति। वच्+ति=वक्ति। हन्+ति = हन्ति। अदादि में लुक्/अदर्शन ही विकरण है, अर्थात् धातु और प्रत्यय की बीच में शून्य/कुछ न होना।)
ऐसे सम्पूर्ण 10 गणों का उपयोग देखेंगे।
।।श्रीहरि: शरणम्।।
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